पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी ने तीन चुनावों में जेल में रहते हुए जीत हासिल की थी

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के माफिया सरगना और नेता मुख्तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई

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मुख्तार अंसारी (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के माफिया सरगना और नेता मुख्तार अंसारी की गुरुवार को हार्ट अटैक से मौत हो गई. मुख्तार अंसारी लंबे समय से जेल में बंद था.  उसके खिलाफ दर्जनों मुकदमे चल रहे थे. मुख्तार अंसारी अंसारी गाजीपुर के मोहम्मदाबाद युसूफपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार से था. उसने अपराध की दुनिया में अपना वर्चस्व बनाया और इसी को जरिया बनाकर राजनीति की सीढ़ियां चढ़ता गया. आखिरकार वह कानून से और अधिक समय तक नहीं बच सका और 2005 से जेल में सजा काट रहा था. वह पांच बार विधायक रहा था.  

राजनीति की दुनिया में मुख्तार अंसारी ने अपना दबदबा बनाकर रखा था. उस पर कई मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन इसके बावजूद वह चुनाव जीतता रहा. मुख्तार अंसारी पांच बार विधायक रहा. उसने 15 साल से ज्यादा वक्त जेल में काटा. सन 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में मुख्तार अंसारी को जीत मिली. तीन विधानसभा चुनावों में मुख्तार अंसारी ने जेल में रहकर ही जीत हासिल की थी.

मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र दिया गया था. जबकि मुख्तार अंसारी के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी गाजीपुर की राजनीति में सक्रिय रहे थे. उनकी बेहद साफ-सुथरी छवि रही है. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में तो मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं.

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सन 1988 में एक ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्‍तार अंसारी का नाम पहली बार सामने आया था. इसी दौरान बनारस में कांस्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई. इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया. साल 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया था. अपना वर्चस्व को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उसका सामना हुआ.

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साल 1991 में चंदौली में मुख्तार को पुलिस ने पकड़ लिया. उस पर रास्ते में दो पुलिस कर्मियों को गोली मारकर फरार होने का आरोप है. उस पर 1991 में कांग्रेस नेता अजय राय की हत्या का भी आरोप लगा. इसमें अंसारी समेत पांच लोगों पर मुकद्दमा दर्ज किया गया. इसके बाद उसने सरकारी ठेके, शराब के ठेके, कोयला के काले कारोबार को बाहर रहकर संभालना शुरू किया. सन 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले के मामले में मुख्तार का नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया.

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इसी दौरान 1996 में मुख्तार अंसारी पहली बार एमएलए बना. वह कुल पांच बार विधायक रहा. सन 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद मुख्तार का नाम क्राइम की दुनिया में छा गया. कहा जाता है कि 2002 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमला कराया. इसमें मुख्तार अंसारी के तीन लोग मारे गए. अक्टूबर 2005 में मऊ में हिंसा भड़की. इसके बाद उस पर कई आरोप लगे, जिन्हें खारिज कर दिया गया.

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इसी दौरान मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. कहा जाता है राजनीतिक रसूख की लड़ाई में मुख्तार ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की एके 47 से हत्या करा दी. उस पर 2010 में राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा. कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी का दुश्मन ब्रजेश सिंह गाजीपुर-मऊ क्षेत्र से भाग निकला था.

साल 2008 में उसे उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया था. 2008 में अंसारी को हत्या के एक मामले में एक गवाह धर्मेंद्र सिंह पर हमले का आरोपी बनाया गया था. 2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगा दिया था. मुख्तार के खि‍लाफ हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज थे. मुख्तार अंसारी पर कुल 60 से ज्यादा मामले दर्ज थे, जिसमें अधिकतर मामले गाजीपुर के थे.

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