पीएम नरेंद्र मोदी के समाज सुधार के वो पांच काम, जो पीढ़ियों तक रखे जाएंगे याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को 75 साल के हो जाएंगे. इस अवसर पर आइए जानते हैं उनकी सरकार की पांच ऐसी परियोजनाओं के बारे में जिन्हें सदियों तक याद रखा जाएगा.

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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोटापे को गंभीर स्वास्थ्य संकट बताते हुए लोगों को कम तेल उपयोग करने की सलाह दी.
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना से शिशु लिंग अनुपात में सुधार और लड़कियों के प्रति सामाजिक सोच में बदलाव आया है.
  • आयुष्मान भारत योजना में गरीब परिवारों को सालाना पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है.
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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपना जन्मदिन मनाएंगे. वो 75 साल के हो जाएंगे. प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसे काम किए हैं, जो मील का पत्थर साबित हुई हैं. पीएम मोदी की ओर से शुरू की गईं ये योजनाएं आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेंगी. आइए जानते हैं पांच ऐसी ही योजनाओं के बारे में जो पीएम मोदी के कार्यकाल में शुरू हुईं. 

सेहत का सवाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर पर लगातार 12वीं बार तिरंगा फहराने के बाद देश को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने लोगों को मोटापे के प्रति जागरूक किया. उन्होंने कहा कि मोटापा देश के लिए एक संकट है. उन्होंने मोटापा कंट्रोल करने के लिए लोगों से अपनी डाइट बेहतर करने और खाने में तेल का इस्तेमाल कम करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि मोटापा बहुत बड़ा संकट बन रहा है. जानकार कहते हैं कि आने वाले सालों में हर तीसरे में से एक मोटापे का शिकार होगा. हमें मोटापे से बचना होगा. परिवार तय करे कि जब खाने का तेल घर में आएगा, तो 10 फीसदी कम आएगा. इस तरह हम मोटापे की बीमारी को हराने में मदद करें.

इस साल 25 फरवरी को प्रसारित अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने आनंद महिंद्रा
मनु भाकर, मोहनलाल, दिनेश लाल यादव निरहुआ, नंदन नीलेकणी, मीराबाई चानू, उमर अब्दुल्ला, आर माधवन,
सुधा मूर्ति और श्रेया घोषाल को कम तेल खाने का चैलेंज दिया था. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि ये 10 लोग 10-10 और लोगों को यह चैलेंज देंगे. उन्होंने कहा था कि अपने खानपान में छोटे-छोटे बदलाव करके हमारी भविष्य को मजबूत, फिट और रोग रहित बना सकते हैं. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर उनके चुनाव क्षेत्र वाराणसी में हवन पूजन करते उनके समर्थक.

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने गोद लिए गांव जयापुर के नागरिकों से कहा था, ''आइए कन्या के जन्म का उत्सव मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह ही गर्व होना चाहिए. मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि अपनी बेटी के जन्मोत्सव पर आप पांच पेड़ लगाएं.'' इसके बाद पीएम मोदी ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' की शुरूआत 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में की थी. इस योजना से शिशु लिंग अनुपात में कमी को रोकने में मदद मिलती है. यह योजना महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से कार्यान्वित की जा रही है.

पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार कन्या शिशु के प्रति समाज के नजरिए में बदलाव लाने का प्रयास कर रही है. पीएम मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में हरियाणा के बीबीपुर के एक सरपंच की तारीफ की थी, जिसने 'सेल्फी विद डाटर' की शुरूआत की. प्रधानमंत्री ने लोगों से बेटियों के साथ अपनी सेल्फी भेजने का अनुरोध भी किया. उनका यह आइडिया जल्द ही यह दुनिया भर में हिट हो गया. भारत और दुनिया के कई देशों के लोगों ने बेटियों के साथ अपनी सेल्फी भेजी और यह उन सबके लिए एक गर्व का अवसर बन गया जिनकी बेटियां हैं.

मध्य प्रदेश के एक स्कूल में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के तहत दिए जलाते छात्र.

आयुष्मान भारत योजना

लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराने के लिए पीएम मोदी की सरकार ने 2018 में  'आयुष्मान भारत योजना' शुरू की थी. अब यह योजना गरीबों के इलाज में एक बड़ी भूमिका निभा रही है. इस समय यह देश की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना है. इसमें हर परिवार को सालाना पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर दिया जाता है. इस योजना के तहत गरीब और वंचित भारतीयों को अस्पताल में किफायती इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है.

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नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की बेवसाइट के मुताबिक अब तक 42 करोड़ से अधिक लोगों ने अबतक आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना कार्ड बनवा लिया है. वहीं नौ करोड़ पचास लाख से अधिक लोगों को अस्पतालों में दाखिल कराया गया है. 

वोकल फार लोकल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वोकल फॉर लोकल' अभियान शुरू किया. इसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना है. इसका मकसद भारतीय नागरिकों को स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को खरीदने के लिए प्रेरित करना है. इसमें पीएम ने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया. यह अभियान भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है, जिससे देश अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर न रहे. इसका एक उद्देश्य स्वदेशी भी है. इसमें स्वदेशी वस्तुओं की खरीद और उपयोग पर जोर दिया गया है. इससे स्थानीय कारीगरों को लाभ होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने दिवाली पर लोगों से स्वदेशी उत्पादों को खरीदने के बाद उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करने की अपील की थी. 

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प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि जब लोग गर्व से स्थानीय चीजों का प्रचार करेंगे, तो वे वैश्विक ब्रांड बन सकते हैं. 
उन्होंने इस साल अगस्त में अपने मासिक 'मन की बात' कार्यक्रम में एक बार फिर 'वोकल फॉर लोकल' का मंत्र दोहराया. मोदी सरकार ने 'एक जनपद-एक उत्पाद' जैसी योजना के साथ एक बड़ी पहल की है. इसमें किसी एक खास जिले में बनने वाली खास चीज को प्रमोट किया जाता है. 

स्वच्छ भारत अभियान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर 2014 को 'स्वच्छ भारत अभियान' शुरू किया था. इसका उद्देश्य देश को स्वच्छ, स्वस्थ और खुले में शौच मुक्त बनाना है. इसके साथ ही स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है. यह अभियान महात्मा गांधी के स्वच्छता दृष्टिकोण से प्रेरित है, इसलिए इसे उनके जन्मदिन पर शुरू किया गया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने स्वयं झाड़ू उठाकर सफाई की और लोगों, सेलिब्रिटीज, गैर सरकारी संगठनों से इस अभियान में शामिल होने की अपील की.

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लखनऊ में स्वच्छ भारत अभियान पर जागरूकता अभियान चलाते लोग.

यह अभियान जनजागरूकता के जरिए स्वच्छता के प्रति लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने की एक कोशिश है. खुले में शौच से मुक्ति दिलाने के लिए शौचालय निर्माण का काम शुरू किया गया. इसके तहत 2014 से 2024 तक, 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए. इससे ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 2014 के 39 फीसदी से बढ़कर करीब 100 फीसदी हो गया. ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण और शहरी)  में शौचालय निर्माण और व्यवहार परिवर्तन पर जोर दिया गया. वहीं शहरी विकास मंत्रालय ने शहरी स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और सफाई पर ध्यान दिया. इसी के तहत देशभर के शहरों में स्वच्छ सर्वेक्षण आयोजित किए गए. शहरों की स्वच्छता रैंकिंग की गई. इसका परिणाम यह हुआ कि 2019 में भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया. इससे डायरिया जैसे रोगों में कमी आई और महिलाओं को शौचालयों से गरिमा और सुरक्षा मिली.

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