बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शुक्रवार को विपक्षी सदस्यों ने सैन्य बलों में भर्ती की केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का विरोध करते हुए इसके खिलाफ नारेबाजी की और इसे एक घोटाला करार दिया. बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के दूसरे सबसे बड़े घटक भाकपा माले के विधायकों ने विधानसभा परिसर में हाथों में तख्तियां लिए इस योजना को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.
भाकपा माले के विधायक संदीप सौरव ने आरोप लगाया, ‘‘यह कोई योजना नहीं बल्कि भर्ती के नाम पर एक घोटाला है. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाकपा माले के वरिष्ठ विधायक सत्यदेव राम ने मांग की कि इस नई योजना, जिसके तहत जवानों को चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा और बिना पेंशन लाभ के सेवानिवृत्त किया जाएगा, इसके खिलाफ सदन द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया जाए.
बाद में बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा द्वारा विधायक को चेताए जाने और हाल के दिनों में दिवंगत हुए राजनेताओं को श्रद्धांजलि अर्पित किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी.
विधायक संगीता कुमारी ने आरोप लगाया कि हर साल दो लाख नौकरियों का वादा करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार से युवा पीढ़ी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है. उन्होंने राज्य के भाजपा नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘उन्हें युवाओं की चिंताओं को समझना चाहिए. चार साल बाद वे कहां जाएंगे. हम हिंसा और आगजनी को सही नहीं ठहराते, लेकिन जो पीड़ित महसूस कर रहे हैं उनके प्रति कुछ संवेदनशीलता होनी चाहिए.''
कांग्रेस विधायक नीतू कुमार जिनकी पार्टी अब राजद से अलग हो गई है, उन्होंने भाजपा को लोगों के बीच जाकर योजना के लाभ, यदि कोई हों तो, उसके बारे में समझाने की कोशिश करने की चुनौती दी.
उन्होंने कहा कि आम जनता उन्हें करारा जवाब देने के लिए तैयार है. उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे ने सत्तारूढ़ राजग में भी दरार पैदा कर दी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भी केंद्र से इस योजना पर पुनर्विचार करने की मांग की है.