"ऐसे बुद्धिजीवियों से डर लगता है..." नोबेल विजेता अमर्त्य सेन पर निर्मला सीतारमण का कटाक्ष

सीतारमण ने हार्वर्ड केनेडी स्कूल में आयोजित संवाद के दौरान कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, उनमें भी हिंसा की घटनाओं के लिए ‘‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जिम्मेदार होंगे, क्योंकि यह मेरे विमर्श के अनुकूल है.’’ 

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
हार्वर्ड में एक बातचीत के दौरान, निर्मला सीतारमण से बीजेपी पर अमर्त्य सेन के विचारों के बारे में पूछा गया था.
बोस्टन:

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के बारे में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन के विचारों को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘‘चिंताजनक'' है कि विद्वान अब तथ्यों के आधार पर टिप्पणी करने के बजाय, अपनी पसंद एवं नापसंद से प्रभावित हो सकते हैं और उनके ‘‘गुलाम'' बन सकते हैं.

‘मुसव्वर-रहमानी सेंटर फॉर बिजनेस एंड गवर्नमेंट' द्वारा मंगलवार को आयोजित एक संवाद के दौरान हार्वर्ड के प्रोफेसर लॉरेंस समर्स ने सीतारमण से सवाल किया कि ‘‘हमारे समुदाय के कई लोगों ने'', खासतौर पर अर्थशास्त्री सेन ने भाजपा सरकार के संबंध में ‘‘कड़ी आपत्तियां'' जताई हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की भावना है कि सहिष्णुता की विरासत पर ‘‘काफी सवाल खड़े हो रहे हैं'' और ‘‘आपकी सरकार ने मुस्लिम आबादी के प्रति'' जो रवैया अपनाया है, ‘‘वह सार्वभौमिकता और समावेशिता के हमारे मूल्यों के मद्देनजर अमेरिका और भारत के बीच आता है.'' 

सीतारमण ने हार्वर्ड केनेडी स्कूल में आयोजित संवाद के दौरान कहा कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, उनमें भी हिंसा की घटनाओं के लिए ‘‘प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जिम्मेदार होंगे, क्योंकि यह मेरे विमर्श के अनुकूल है.'' 

Advertisement

लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या "निंदनीय", हम "रक्षात्मक" नहीं : निर्मला सीतारमण

सीतारमण ने कहा कि वह ‘‘डॉ़ अमर्त्य सेन, जिनका आपने जिक्र किया'' उनका सम्मान करती हैं. उन्होंने कहा कि ‘‘वह (सेन) भारत जाते हैं, वहां आजादी से घूमते हैं और जो कुछ भी हो रहा है, उसका पता लगाते हैं. इसी से हमें, विशेषकर एक विद्वान को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन तथ्यों के आधार पर बात कर रहा है.'' 

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘नहीं. यह चिंताजनक है कि विद्वान अब तथ्यों के आधार पर टिप्पणी करने के बजाय अपनी निजी पसंद एवं नापसंद से अधिक प्रभावित हो सकते हैं. यह वास्तव में चिंता की बात है कि विद्वान समभाव से सोचने, अपने समक्ष मौजूद तथ्यों एवं आंकड़ों को देखने और उसके बाद बोलने के बजाय अपनी पसंद एवं नापसंद के गुलाम बन सकते हैं.'' 

Advertisement

सीतारमण ने कहा, ‘‘कोई राय होना अलग बात है और इसका तथ्यों पर आधारित होना पूरी तरह से अलग बात है. यदि राय पूर्वग्रह से ग्रस्त हो, तो उसका जवाब देने का मेरे पास कोई तरीका नहीं है.'' उन्होंने कहा, ‘‘कभी-कभी यह सोने का नाटक कर रहे किसी व्यक्ति को जगाने की कोशिश करने के समान होता है. यदि आप वास्तव में सो रहे हैं, मैं आपके कंधे पर हाथ मारकर कह सकती हूं कि ‘कृपया उठ जाइए', लेकिन यदि आप सोने का नाटक कर रहे हैं, तो क्या आप जागेंगे. आप नहीं जाग सकते, आप नहीं जागेंगे और मैं यह सोचकर स्वयं को मूर्ख बनाऊंगी कि मैं आपको जगा रही हूं.'' 

Advertisement

अर्थव्यवस्था में आने लगा सुधार, संगठित क्षेत्र साल अंत तक कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा: मोंटेक

सीतारमण ने कहा कि यदि अमेरिका में किसी एक राज्य में कोई समस्या है, तो अमेरिका के राष्ट्रपति को उस समस्या से संभवत: नहीं निपटना होगा, लेकिन उस राज्य के गवर्नर को इससे निपटना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘भारत में भी ऐसा ही है. देश में ऐसे कई राज्य हैं, जिनमें वह दल सत्ता में नहीं है, जिससे प्रधानमंत्री संबंध रखते हैं. कल रात भी, एक ऐसे राज्य में अपराध हुए जहां प्रधानमंत्री की पार्टी सत्ता में नहीं है, उस राज्य में अत्यंत गरीब लोगों को निशाना बनाया गया, कुछ लोगों की मौत हो गई.'' 

सीतारमण ने कहा, ‘‘लेकिन यह घटना भी प्रधानमंत्री की ही जिम्मेदारी होगी, क्योंकि यह मेरे विमर्श के अनुरूप है. ऐसा करना उचित नहीं है, क्योंकि उस राज्य में कानून-व्यवस्था उस चुने हुए मुख्यमंत्री के हाथ है, जो प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी का सदस्य नहीं है.'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताइए कि कितने लोगों ने प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी की इस प्रकार के अभद्र एवं आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करके निंदा की है. क्या उनमें से किसी को छुआ भी गया, क्या उनसे सवाल किए गए? जबकि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, पहला काम ऐसे लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजना होता है. मैं उन राज्यों के नाम बताऊंगी, जहां ऐसा हुआ है.'' 

सीतारमण ने कहा, ‘‘किसी विपक्षी दल से संबंध रखने वाले चुने गए किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलने वाले कुछ लोग तो अब भी जेल में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बात करने वाले यही विद्वान क्या इन राज्यों पर भी टिप्पणी करेंगे.'' उन्होंने कहा कि 2014 में जब मोदी सत्ता में आए थे, तब गिरजाघरों पर कई हमले हुए थे. उन्होंने कहा, ‘‘और उस समय भी आवाजें उठी थीं. लोगों ने अपने पुरस्कारों, देश में हम जो पुरस्कार देते हैं, सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों पद्म पुरस्कारों को यह कहते हुए वापस कर दिया था कि, ‘यह सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, देखिए ईसाइसों से कैसा व्यवहार किया जा रहा है, गिरजाघरों पर हमले हो रहे हैं.'' 

उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में ये घटनाएं हुई थीं, उन्होंने स्वयं जांच की, उन संबंधित राज्यों की समितियों एवं पुलिस ने जांच कीं. सीतारमण ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का इनसे कोई लेना-देना नहीं था. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उचित जांच के बाद पता चला कि इनमें से किसी भी हमले का प्रधानमंत्री से कोई लेना-देना नहीं था, इनका भाजपा से कोई संबंध नहीं था, इनका कोई साम्प्रदायिक पहलू नहीं था.'' 

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन दोष प्रधानमंत्री पर लगाया गया. यह कहकर पुरस्कार लौटा दिए गए, ‘ओह, मेरे लिए इस देश में रहना मुश्किल है, ओह, हमारे अल्पसंख्यकों पर हमला हो रहा है'. यह सामने आया कि किसी भी घटना का साम्प्रदायिक पहलू नहीं था और उनका भाजपा या प्रधानमंत्री से कोई लेना-देना नहीं था.'' सीतारमण ने कहा कि 2019 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बेहतर एवं मजबूत जनादेश के बाद लौटे, तो उसके बाद भी ‘‘साम्प्रदायिक हिंसा की बातें'' करने वाली मुहिम जारी है.

वीडियो: लखीमपुरी खीरी केस में केंद्रीय मंत्री को बर्खास्त करें, राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से की मांग

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Artificial Intelligence: क्या परमाणु बम और महामारी जैसा ख़तरनाक हो सकता है AI? | Khabron Ki Khabar