केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman)ने कहा है कि सरकार ईंधन (पेट्रोल-डीजल )पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होती यदि उस पर यूपीए के समय के ऑयल बांड्स के लिए भुगतान करने का बोझ नहीं होता. पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों को कम करने के लिये उन पर उत्पाद शुल्क में कटौती से इनकार करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में ईंधन पर दी गयी भारी सब्सिडी के एवज में किए जा रहे भुगतान से उनके हाथ बंधे हुए हैं. वित्त मंत्री ने आज संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि केंद्र और राज्यों को साथ बैठकर पेट्रोलियम की ऊंची कीमतों के मुद्दे के समाधान के लिए रास्ता तलाशने की जरूरत है. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार ने सरकारी तेल कंपनियों को ईंधन के कृत्रिम रूप से कम रखे गये खुदरा बिक्री मूल्य और लागत में अंतर की भरपाई के लिये बांड जारी किए थे. ये ऑयल बांड अब 'मेच्योर' हो रहे हैं और इनका ब्याज के साथ भुगतान किया जा रहा है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने सोमवार को कहा कि सरकार ने इन तेल बांड के लिए पिछले पांच साल में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक ब्याज का भुगतान किया है और अभी भी 1.30 लाख करोड़ रुपये बकाया हैं. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, 'अगर मुझ पर ऑयल बांड के लिए भुगतान करने का बोझ नहीं होता तो मैं ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होती.'
वित्त मंत्रालय के मुताबिक ऑयल बॉन्ड्स पर ब्याज के भुगतान पर 2014-15 में करीब 10255 करोड़ रुपए खर्च हुए और 2015-16 से अब तक हर साल 9989 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक 2025-26 तक इस पर सरकार को अभी 37340 करोड रुपए इंटरेस्ट पेमेंट के तौर पर और खर्च करने होंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पेट्रोल डीजल की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर आम लोगों की चिंता जायज है. उन्होंने कहा, "जब तक केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस समस्या का हल ढूंढने पर चर्चा नहीं करेंगे, इसका हल संभव नहीं है."
महंगाई दर पर वित्त मंत्री ने कहा कि इस साल महंगाई दर 2 फ़ीसदी से 6 फ़ीसदी के बीच रहने की उम्मीद है.
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने के लिए संसद में पारित ने कानून पर वित्त मंत्री ने कहा कि वह इससे जुड़े विवाद को सुलझाने के दौरान कानून के दायरे में रहते हुए ही पहल करेंगी. वित्त मंत्री ने कहा कि जल्दी ही नए टैक्सेशन रोल्स लॉ को लागू करने के लिए नियमों को फ्रेम कर लिया जाएगा.
अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत सरकार के प्रोजेक्टस और निवेश की सुरक्षा पर वित्त मंत्री ने कहा, "इस पर कुछ भी टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगा. विदेश मंत्रालय अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए हरसंभव पहल कर रही है."
वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है और आने वाले त्योहारों के सीजन में सरकार को उम्मीद है कि बाजार में डिमांड में और सुधार होगा क्योंकि लॉकडाउन के नियमों को देश के बड़े हिस्से में काफी रिलैक्स किया गया है.