दक्षिण कश्मीर हिमालय क्षेत्र में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा श्रद्धालुओं की कम संख्या और रास्ते की मरम्मत के कार्यों को देखते हुए 23 अगस्त से अस्थायी रूप से निलंबित रहेगी. दक्षिण कश्मीर हिमालय क्षेत्र में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा श्रद्धालुओं की कम संख्या और रास्ते की मरम्मत के कार्यों को देखते हुए 23 अगस्त से अस्थायी रूप से रोक दी गई है.
श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि इस वर्ष 4 लाख से अधिक यात्री पवित्र गुफा के दर्शन कर चुके हैं. हालांकि, अधिकारी तीर्थयात्रा के लिए की गई रसद और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए अधिक संख्या की उम्मीद कर रहे थे.
कई वर्षों से यात्रियों की संख्या में हो रही है गिरावट
पिछले कई वर्षों से अमरनाथ यात्रा में कम संख्या में लोग आ रहे हैं. 2012 में गुफा मंदिर के दर्शन करने वाले 6 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों की तुलना में, 2022 में यह संख्या घटकर 3 लाख के करीब रह गई थी वहीं इस वर्ष 4.4 लाख लोग ही दर्शन के लिए पहुंचे हैं.
2 सप्ताह बाद ही कम होने लगे थे यात्री
इस साल सरकार की तरफ से 62 दिनों की यात्रा की व्यवस्था की गई थी. लेकिन दो सप्ताह की तीर्थयात्रा के बाद ही तीर्थयात्रियों की संख्या घटने लगी. हालांकि यात्रा को प्रभावी रूप से कम कर दिया गया है, अधिकारियों का कहना है कि पवित्र गदा (कैहारी मुबारक) को 31 अगस्त को गुफा मंदिर में ले जाया जाएगा, जो यात्रा के समापन का प्रतीक होगा. एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि तीर्थयात्रियों की संख्या में कमी और ट्रैक बहाली कार्य के मद्देनजर 23 अगस्त से यात्रा अस्थायी रूप से निलंबित रहेगी. इसका मतलब है कि बुधवार से कोई भी व्यक्ति यात्रा नहीं कर सकेगा.
सरकार ने की थी सुरक्षा की व्यापक तैयारी
सरकार की तरफ से यात्रा को लेकर व्यापक तैयारी सरकार की तरफ से की गई थी. कभी सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रमुख स्रोत रही इस यात्रा पर अब सुरक्षा काफिलों का असर देखा जा रहा है. यात्रा काफिलों के गुजरने पर किसी भी वाहन को चलने की इजाजत नहीं होती है. यात्रियों के पल-पल पर नज़र रखने के लिए सुरक्षा उपायों के हिस्से के रूप में, प्रत्येक तीर्थयात्री को पिछले दो वर्षों से एक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग आवंटित किया जाता है. हालांकि सुरक्षा महत्वपूर्ण है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि इसका असर यात्रा पर नहीं पड़ना चाहिए, यह यात्रा कश्मीर में समधर्मी संस्कृति की लंबी यात्रा का प्रतिनिधित्व करती है.
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