सादगी से घर लौटेंगे किसान, बिपिन रावत के निधन के कारण नहीं मनाएंगे जश्न

सीडीएस जनरल बिपिन रावत की दुखद मौत को ध्यान में रखते हुए किसानों ने जश्न नहीं मनाने का फैसला भी लिया है. किसानों ने कहा कि वे बिपिन रावत के आकस्मिक निधन से व्यथित हैं और इसीलिए शांतिपूर्ण ढंग से घर वापसी करेंगे. 

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किसान बिना जश्न मनाए करेंगे घर वापसी. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

कृषि कानूनों की वापसी और अन्य मांगों को लेकर एक साल से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने मांगों पर केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद किसान आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया है. किसान 11 दिसंबर से सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत अन्य जगहों से घर लौटना शुरू करेंगे. सीडीएस जनरल बिपिन रावत की दुखद मौत को ध्यान में रखते हुए किसानों ने जश्न नहीं मनाने का फैसला भी लिया है. किसानों ने कहा कि वे बिपिन रावत के आकस्मिक निधन से व्यथित हैं और इसीलिए शांतिपूर्ण ढंग से घर वापसी करेंगे. 

गाजीपुर बार्डर पर सालभर से डटे दो बीघे के किसान हरेंदर ने कहा कि मैंने किसान आंदोलन की सफलता के लिए स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने की मनौती मांगी थी, मैं वहां सड़क मार्ग से जाऊंगा. संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन खत्म करने के ऐलान से वो किसान खुश हैं जो बीते एक साल से ठंड, गर्मी, बरसात में अपना पैसा लगाकर और तकलीफ सहते हुए यहां टिके रहे.

गाजीपुर बार्डर 28 जनवरी को खाली होने वाला था लेकिन लौट रहे किसानों के साथ हुई मारपीट फिर राकेश टिकैत का रोने का वीडियो वायरल होते ही हजारों लोग दोबारा गाजीपुर बार्डर जुट गए. बीते सालभर से राकेश टिकैत भी अपने गांव सिसौली नहीं गए हैं. अब उन्होंने 13 को सिसौली जाने का ऐलान किया है

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उधर टिकरी बार्डर पर सबसे ज्यादा महिला किसान आंदोलनकारी दिखीं. सालभर से अनुशासित किसानों ने इस दौरान कई मौतें भी देखी लेकिन उसके बावजूद उनका धैर्य और अनुशासन बना रहा. अब किसान आंदोलन के खत्म होने के ऐलान के बाद घर लौटने की तैयारी कर रहे हैं. सबसे ज्यादा दिन तक चले आंदोलन में कुछ घटना छोड़ दें तो लगभग सब शांतिपूर्ण ही रहा.

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