बारिश और कड़ाके की ठंड में खुले आसमान तले गुजरी किसानों की रात, राकेश टिकैत ने दी सरकार को चेतावनी

राकेश टिकैत ने प्रदेश सरकार पर किसानों के साथ वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि किसानों को वादे के मुताबिक न गन्ने का भुगतान मिल रहा, न एमएसपी पर खरीद हो रही. ऊपर से अधिकारी बिजली-पानी के अलावा अन्य मामलों में फंसाकर मुकदमे दर्ज करने में जुटे हैं.

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उत्तर प्रदेश के जीआईसी मैदान में जोरदार बारिश के साथ कड़ाके की ठंड के बीच किसानों की पहली रात खुले आसमान के नीचे गुजरी और भाकियू का अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहा. यही नहीं तेज हवाओं से उड़े तंबुओं को और मजबूती के साथ किसानों ने लगाना शुरू कर दिया.

धरनास्थल से राकेश टिकैत ने प्रदेश सरकार पर किसानों के साथ वादाखिलाफी का आरोप लगाया और कहा कि किसानों को वादे के मुताबिक न गन्ने का भुगतान मिल रहा, न एमएसपी पर खरीद हो रही. ऊपर से अधिकारी बिजली-पानी के अलावा अन्य मामलों में फंसाकर मुकदमे दर्ज करने में जुटे हैं. अभी किसान आंदोलन के दौरान ही दर्ज सैकड़ों मुकदमे वापस नहीं लिए गए हैं. इसलिए हम मांग करते हैं कि जो किसानों के वाजिब हक हैं उन्हें सरकार दिलाए. आंदोलन के दौरान शहीद किसानों के परिजनों को बाकी राज्यों की तर्ज पर प्रदेश सरकार मुआवजा दे.

राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने 14 माह तक गर्मी, बारिश और कड़क सर्दी झेली है. किसान अपने हकों के लिए आंदोलन की पहली पाठशाला में अव्वल नंबर से उत्तीर्ण हुआ है. इसलिए अब वही तर्जुबा किसानों के काम आ रहा है. बारिश को किसानों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया है. इसलिए टैंटों को और भी मजबूती के साथ लगाने में जुट गए हैं. उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि आंदोलन की मजबूती के लिए अब ट्रैक्टर-ट्रॉली पर झोपड़ी बनाकर आंदोलन स्थल की ओर कूच करें. यही किसानों के आंदोलन का असली हथियार होगा.

राकेश टिकैत ने केंद्र और प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि समय रहते किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो यूपी ही नहीं हरियाणा और पंजाब का किसान भी मुजफ्फनगर के लिए कूच कर सकता है. उन्होंने कहा कि उनकी एसकेएम के नेताओं से बातचीत भी हुई है और उन्होंने आंदोलन को हर तरह का सहयोग देने का आश्वासन दिया है. पहले हम प्रदेश सरकार की नीयत देख रहे हैं. समय रहते किसानों की मांग मान ली गईं तो ठीक वरना किसान आर-पार की लड़ाई के लिए मजबूर होगा.

राकेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर के अलावा पड़ोसी जनपदों के किसानों से अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की न सुनी तो पड़ोसी जनपदों के कार्यकर्ता भी मुजफ्फरनगर कूच कर सकते हैं. सभी जिलाध्यक्षों को इसकी सूचना भेजी जा रही है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा जरूरत पड़ी तो संयुक्त किसान मोर्चा से भी आंदोलन में भागीदारी करने की अपील की जाएगी. ताकि यह आंदोलन एक बार फिर दुनिया के लिए नजीर बन सके.

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