देश में चल रहे लोकसभा चुनावों के बीच सरकार ने प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया. लेकिन इसके साथ शर्तों भी रखी गई है. इस फैसले से कीमतों में उछाल, साथ ही दाम को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने बफर स्टॉक के लिए पांच लाख टन प्याज खरीदना भी शुरू किया. लेकिन देश के करीब 40% प्याज पैदा करने वाले महाराष्ट्र के प्याज किसान नुकसान में हैं.
देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है. चुनावों के दौरान प्याज़ के निर्यात से बैन तो हटा दिया गया है. लेकिन किसानों को फायदा नहीं मिल रहा है. निर्यातबंदी हटने के 11 दिन बाद भी मंडियों में किसानों के लिए दाम नहीं बढ़ा है. इसलिए बैन हटाने के फैसले को चुनावी समझा जा रहा है.
मार्केट कमेटी के निदेशक जयदत्त होलकर ने कहा कि साढ़े पांच सौ डॉलर निर्यात मूल्य लगाया है, निर्यात ड्यूटी है 40% इससे प्याज किसान एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं. पहले 4000 पर क्विंटल मिल रहे थे, बैन लगने के बाद हज़ार पर आये, तीन हज़ार नीचे आई कीमत, बहुत नुक़सान हुआ. अब भी दाम 1500 पर क्विंटल हैं. अगर बाहर का प्याज़ सस्ता मिलेगा तो हमारा कौन लेगा? अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इसका ज़्यादा फ़ायदा पाकिस्तान को हो रहा है. उसने 300 डॉलर एमईपी रखा है. हमारा 550 डॉलर है. पाकिस्तान से सस्ता मिलेगा तो हमारा कौन लेगा. सरकार की नीतियां बदलनी चाहिए.
एशिया की सबसे बड़ी प्याज़ मंडी लासलगांव मंडी में पहले ढाई लाख क्विंटल प्याज़ की नीलामी रोज़ाना होती थी जो अब घट कर ड़ेढ़ क्विंटल पर आयी है. पांच फीसदी प्याज के किसान हर साल कम हो रहे हैं.
प्याज की खेती करने वाले किसान विजय पवार ने कहा कि बारिश कम हुई, कीमत भी नहीं मिलती, क्या करेंगे? एक एकड़ में किया सवा सौ क्विंटल प्याज़ उत्पादन हुआ. अब अच्छी क़ीमत मिले तो बेचेंगे. हमें 1500 रुपये मिल रहा है. लेकिन क्विंटल में दाम पहले भी इतना ही था, नुक़सान में हैं. आप कितनी पीढ़ी से हैं किसानी में? आगे की पीढ़ी को रखेंगे? क्या करेंगे? मजबूरी है पर बहुत लोग छोड़ रहे हैं.
कोटम गोन नाम के इस गांव के वरिष्ठ किसान वसंतराव कहते हैं कि यहां करीब पचास ऐसे किसान बेटे हैं जिनकी उम्र 40-45 हो चुकी है. लेकिन उन्हें कोई अपनी बेटी नहीं देना चाहता. उन्होंने कहा कि करीब 45 घर ऐसे हैं जहां लड़कों का ब्याह नहीं हो रहा, प्याज़ की खेती में इतना नुक़सान है कि लोगों का भरोसा उठ गया है.
प्याज बेल्ट कहे जाने वाली तीन सीटें नासिक, डिंडोरी और धुले में 20 मई को पांचवे चरण में मतदान है, किसानों के नुक़सान का असर इनके मत पर भी दिखने वाला है. सरकार ने 7 दिसंबर 2023 को प्याज की महंगाई कम करने के लिए प्याज की निर्यात पर रोक लगा दी थी. किसानों और निर्यातकों के भारी विरोध के बाद 4 मई को निर्यातबन्दी खत्म कर दी गई. लेकिन 550 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य और उस पर 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी की शर्त के साथ. फिर भी अंदेशा था कि इससे कहीं घरेलू बाज़ार में प्याज़ की क़ीमतें ना बढ़ जायें इसलिए केंद्र सरकार ने कीमतों में वृद्धि होने पर आपूर्ति बढ़ाने के लिए 2024-25 के लिए पांच लाख टन का बफर स्टॉक बनाने के लिए बाजार दरों पर किसानों से प्याज खरीदना शुरू कर दिया कि यदि प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो बफर सरकार को बाजारों में हस्तक्षेप करने की इजाजत देगा लेगा.
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