किसान आंदोलन मामला : शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश के खिलाफ SC पहुंची हरियाणा सरकार

हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दाखिल कर कहा है कि हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले पर रोक लगाई जाए. हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश से हरियाणा में कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

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नई दिल्ली:

किसान आंदोलन (Farmer Protest) के दौरान बंद किए गए शंभू बॉर्डर को खोलने के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है. सरकार ने कानून- व्यवस्था का हवाला देकर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक बरकरार रखने की मांग की है. साथ ही हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने सर्वोच्च अदालत से मामले में जल्द सुनवाई की मांग भी की है. अब जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस मामले पर 22 जुलाई को सुनवाई करेगी.

ये भी पढ़ें-Explainer : शंभू बॉर्डर कब खुलेगा? सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा और क्या अब दिल्ली पहुंचेंगे किसान?

हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले पर रोक लगाई जाए. हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश से हरियाणा में कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

सरकार का कहना है कि इससे शंभू बॉर्डर और उसके आसपास और हरियाणा के अन्य भागों में जान-माल को खतरा हो सकता है, जिसकी रक्षा करने के लिए राज्य सरकार,  संविधान के तहत कर्तव्यबद्ध है.

शंभू बॉर्डर खोलने के पक्ष में नहीं हरियाणा सरकार

बता दें कि हाई कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार से अंबाला के पास शंभू बार्डर पर लगाए गए अवरोधक हटाने का निर्देश देते हुए राजमार्ग को अवरुद्ध करने के उसके अधिकार पर प्रश्न उठाए थे. दरअसल अपनी विभिन्न मांगों के पक्ष में किसान 13 फरवरी से शंभू बार्डर पर डेरा डाले हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न मांगों के पक्ष में दिल्ली की ओर बढ़ने की घोषणा की थी, जिसके बाद हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवरोधक लगा दिए थे.

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हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह टिप्पणी उस समय की जब हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि राज्य, उच्च न्यायालय के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया में है, जिसमें उसे सात दिन के भीतर राजमार्ग खोलने का निर्देश दिया गया था. वकील द्वारा उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के बारे में पीठ को सूचित किए जाने पर न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा, "कोई राज्य राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकता है? यातायात को नियंत्रित करना उसका कर्तव्य है. हम कह रहे हैं कि इसे खोलिए, लेकिन नियंत्रित कीजिए."

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