कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसान अडिग, दर्शन पाल बोले, 'दिल्‍ली की सीमा से अभी नहीं जा रहे'

किसान नेता डॉ. दर्शन पाल (Dr Darshanpal) ने शुक्रवार को सिंघू बॉर्डर से NDTV से बात करते हुए कहा, 'हम दिल्ली की सीमाओं से अभी नहीं जा रहे हैं. सरकार हमें बुला कर न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की गारंटी पर भी बात करे. अभी पहले सरकार संसद से ये क़ानून रद्द करे.'

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दर्शन पाल से पहले राकेश टिकैत ने भी कहा है, किसान आंदोलन तत्‍काल वापस नहीं होगा

नई दिल्‍ली:

कृषि कानूनों को वापस लेने के पीएम नरेंद्र मोदी के ऐलान के बावजूद किसान फिलहाल अपने आंदोलन को 'पूरी तरह विराम' देने के मूड में नहीं हैं. उनका कहना है कि सरकार को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य की गारंटी पर भी बात करना चाहिए. किसान नेता डॉ. दर्शन पाल (Dr Darshanpal) ने शुक्रवार को सिंघू बॉर्डर से NDTV से बात करते हुए कहा, 'हम दिल्ली की सीमाओं से अभी नहीं जा रहे हैं. सरकार हमें बुला कर न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की गारंटी पर भी बात करे. अभी पहले सरकार संसद से ये क़ानून रद्द करे.'  दर्शन पाल ने इसके साथ ही कहा, 'कल संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में हम आगे की रणनीति तय करेंगे. हमें आतंकवादी कहा, खालिस्तानी कहा लेकिन जीत हमारी हुई. हम मोदी जी से कहना चाहते हैं कि अगर ये कानून पहले ही रद्द कर देते तो 700 किसान भाई नहीं मरते. कल हम संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद अपना निर्णय बताएंगे. '

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दर्शन पाल से पहले किसान नेता राकेश टिकैत  (Rakesh Tikait) ने भी कहा है कि  किसान आंदोलन तत्‍काल वापस नहीं होगा. भारतीय किसान यूनियन (BKU)के प्रवक्‍ता टिकैत ने एक ट्वीट में लिखा, 'आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा. सरकार न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें.'

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गौरतलब है कि केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान पिछले एक साल से अधिक समय से आंदोनलरत थे. इन किसानों का कहना था कि इनके कारण कृषि के क्षेत्र में प्राइवेट सेक्‍टर का दखल बढ़ेगा. पीएम ने देश के नाम अपने संबोधन में आज इन इन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. कृषि कानूनों को वापस लेने के पीछे की वजह पर प्रकाश डालते हुए पीएम ने कहा कि हम किसानों को आश्‍वस्‍त करने में सफल नहीं हो पा रहे थे. किसानों का एक वर्ग ही कानूनों का विरोध कर रहा लेकिन हम उन्‍हें शिक्षित करने और जानकारी देने का प्रयास करते रहे. हम किसानों को समझा नहीं सके. यह किसी पर आरोप लगाने का समय नहीं है. मैं सबसे कहना चाहता हूं कि हमने कृषि कानूनों को वापस ले लिए. हम कृषि कानूनों को रद्द कर रहे हैं.

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