संयुक्त राज्य अमेरिका, यानी US में बसे सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या के लिए एक सरकारी अधिकारी के साथ मिलकर साज़िश रचने के आरोपी निखिल गुप्ता ने अपने परिवार के ज़रिये सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है, तथा भारत सरकार से अमेरिका द्वारा करवाई जा रही प्रत्यर्पण कार्यवाही में हस्तक्षेप की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्ज़ी, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई होने की उम्मीद है, में दावा किया गया है कि निखिल गुप्ता को प्राग में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है, और कानून का पालन करने वाले किसी भी नागरिक की तरह, उन्हें डर है कि उनका जीवन खतरे में है.
भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता इस वक्त गिरफ़्तार कर प्रत्यर्पित किए जाने के अमेरिकी सरकार के अनुरोध के बाद चेक गणराज्य की जेल में बंद हैं. प्रत्यर्पण अनुरोध को अनंतिम रूप से मंज़ूरी दे दी गई है.
भाड़े का हत्यारा बुलाने और साज़िश रचने के आरोप में दोषी करार दिए जाने की स्थिति में निखिल को 20 साल की जेल की सज़ा का सामना करना पड़ सकता है. अमेरिका ने भारत सरकार के एक कर्मचारी पर भी आरोप लगाया है, जिसकी पहचान फिलहाल गुप्त रखी गई है.
अमेरिकी सरकारी प्रॉसीक्यूटरों का कहना है कि निखिल गुप्ता और भारत सरकार के कर्मचारी, जिसे उन्होंने सीसी-1 कोडनाम दिया है, के बीच मई माह से ही फोन और ईमेल के ज़रिये लगातार संपर्क था, जिसमें सीसी-1 ने निखिल गुप्ता से हत्या की योजना बनाने के लिए कहा. बदले में निखिल से वादा किया गया था कि भारत में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को खत्म करने में मदद की जाएगी. अमेरिका ने कहा कि दोनों के बीच दिल्ली में आमने-सामने मुलाकात भी हुई थी.
सीसी-1 के निर्देशों के मुताबिक, निखिल गुप्ता ने न्यूयॉर्क शहर में पन्नूं को मार डालने की खातिर हिटमैन भाड़े पर लेने के लिए कथित तौर पर ऐसे शख्स से मदद मांगी, जिसे वह अपराधी समझता था, लेकिन असल में वह गोपनीय मुखबिर था, जो अमेरिका के ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ काम कर रहा था.
आरोपों पर प्रतिक्रिया में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "भारत ऐसे इनपुट को गंभीरता से लेता है, क्योंकि वे हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों पर भी प्रभाव डालते हैं, और संबंधित विभाग पहले से ही इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं..." सरकार ने कहा, एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित कर दी गई है.
पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस ने भारत से साज़िश में शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराने की मांग की थी, और अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि उनकी सरकार जांच के 'परिणामों की प्रतीक्षा कर रही' है.