शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में पहुंचा कर धरती पर लौटा फॉल्कन-9 रॉकेट, जानें क्या है खासियत

चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर फॉल्कन-9 रॉकेट फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से आज दोपहर रवाना हुआ. ये यात्री ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार हैं. इस यान को अंतरिक्ष में पहुंचाने के बाद फॉल्कन-9 रॉकेट धरती पर वापस लौट आया है.

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  • चार अंतरिक्ष यात्री बुधवार को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतरराष्ट्री स्पेश स्टेशन के लिए रवाना हुए.
  • स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आया है.
  • भारतीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं.
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नई दिल्ली:

फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से चार अंतरिक्ष यात्री बुधवार को अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन के लिए रवाना हुए. इसके करीब आठ मिनट बाद ही इस अंतरिक्ष यान को लेकर जाने वाला स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट सुरक्षित धरती पर लौट आया. क्रू ड्रैगन कैप्सूल में चार अंतरिक्ष यात्री बैठे हैं, इनमें भारतीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी शामिल हैं. वो अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं. क्रू ड्रैगन कैप्सूल के करीब 28 घंटे बाद आईएसएस पर पहुंचने की उम्मीद है.

फाल्कन-9 की उड़ान

यह लॉन्च इससे पहले छह बार अलग-अलग कारणों से टाल देना पड़ा था. मौसम संबंधी डेटा अपलोड न होने के कारण सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सातवीं बार देरी होने की कगार पर थी. लेकिन कुछ ही मिनटों में यह समस्या हल हो गई. इससे दोपहर 12.01 बजे (भारतीय समयानुसार) के बाद, फाल्कन 9 रॉकेट के शक्तिशाली मर्लिन इंजन ने काम करना शुरू कर दिया.

इसके बाद रॉकेट ने कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से उड़ान भरी. इसी जगह से नील आर्मस्ट्रांग ने 1969 में अपोलो 11 पर सवार होकर चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी. इसके साथ ही, एक्सिओम मिशन 4, या AX-4 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया.

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फाल्कन 9 रॉकेट क्या है?

यह स्पेसएक्स की ओर से डिजाइन किया गया और बनाया हुआ दो चरणों वाला एक रॉकेट हैं. इसकी खासियत यह है कि इसका दुबारा इस्तेमाल भी हो सकता है. यह दुनिया का पहला ऑर्बिटल-क्लास रॉकेट है, जिसका दोबारा प्रयोग हो सकता है. स्पेसएक्स रॉकेट के सबसे महंगे हिस्सों का फिर उपयोग कर सकता है. इस वजह से अंतरिक्ष मिशनों की लागत कम होगी. 

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फाल्कन 9 रॉकेट स्पेसएक्स की ओर से विकसित नौ मर्लिन इंजनों से संचालित होता है. गैस-जनरेटर पावर साइकिल में रॉकेट-ग्रेड केरोसिन और तरल ऑक्सीजन का उपयोग करता है. रॉकेट की ही तरह इसके इंजन को भी फिर हासिल कर दुबारा उपयोग के लिए डिजाइन किया गया था. फाल्कन 9 में दो अलग-अलग हिस्से हैं. इसके पहले हिस्से का दुबारा उपयोग किया जा सकता है. यह हिस्सा क्रू कैप्सूल को पूर्व-निर्धारित ऊंचाई और गति तक सफलतापूर्वक पहुंचाने के बाद पेलोड से अलग हो जाता है. इसी बिंदु पर बूस्टर सेक्शन भी अलग हो जाता है और वापस पृथ्वी की तरफ उड़ जाता है.

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स्पेसएक्स अब तक 451 बार सफलतापूर्वक बूस्टर को उतार चुका है. क्रू ड्रैगन कैप्सूल के करीब 28 घंटे की उड़ान के बाद आईएसएस पर पहुंचने की उम्मीद है. स्पेसएक्स के मुताबिक फाल्कन-9 ने अबतक 492 मिशन को पूरा किया है.इसने अबतक 447 लैंडिग की है और 417 बार दुबारा उड़ान भरी है. 

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