भारत का बड़ा फैसला, काबुल में टेक्निकल मिशन को भारतीय दूतावास का दर्जा दिया

तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक की.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • अफगानिस्तान के तालिबान विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर हैं और महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें कर रहे हैं
  • भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने काबुल में मौजूद भारतीय टेक्निकल मिशन को दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की
  • 2021 में तालिबान के सत्ता में आने बाद भारत ने काबुल में दूतावास बंद कर दिया था और बाद में एक छोटा मिशन खोला था
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान के विदेश मंत्री एक सप्ताह की यात्रा के लिए भारत में हैं. उन्होंने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक की. इस बैठक में एस. जयशंकर ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि अब काबुल में मौजूद टेक्निकल मिशन को भारतीय दूतावास का दर्जा दे दिया जाएगा. दरअसल 2021 में अफगानिस्तान के अंदर तालिबान जब सत्ता में वापस आया तो नई दिल्ली ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था. भारत ने व्यापार, चिकित्सा सहायता और मानवीय सहायता की सुविधा के लिए एक साल बाद एक छोटा मिशन खोला था. अब वापस इस टेक्निकल मिशन को भारतीय दूतावास का दर्जा दे दिया गया है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने बैठक में क्या कहा?

तालिबान के विदेश मंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल का भारत दौरे पर स्वागत करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने उनकी इस यात्रा को दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने और स्थायी मित्रता की पुष्टि करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा कि एक पास के पड़ोसी और अफगान लोगों के शुभचिंतक के रूप में, भारत की अफगानिस्तान के विकास और प्रगति में गहरी रुचि है. भारत स्वास्थ्य से लेकर भूंकप जैसे आपदाओं में मदद करने या अफगान लोगों के लिए खाद्य सहायता देने, हर तरीके से मदद करता है. 

भारत के विदेश मंत्री ने कहा, "विकास और समृद्धि के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता है. हालांकि, ये सीमा पार आतंकवाद के साझा खतरे से खतरे में हैं जिसका सामना हमारे दोनों देशों को करना पड़ रहा है. हमें आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से निपटने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए. हम भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति आपकी संवेदनशीलता की सराहना करते हैं. पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद हमारे साथ आपकी एकजुटता उल्लेखनीय थी."

एस. जयशंकर ने इस दौरान क्रिकेट की भी बात की. उन्होंने कहा, "खेल एक और ऐसे क्षेत्र है जहां दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक संबंध है. अफगानिस्तान में क्रिकेट प्रतिभा का उदय वास्तव में प्रभावशाली रहा है. भारत अफगान क्रिकेट के लिए अपना सपोर्ट बढ़ाकर खुश है."

उन्होंने आखिर में सबसे अहम घोषणा की. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हमारे बीच गहरे सहयोग आपके राष्ट्रीय विकास के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता और लचीलेपन में योगदान देता है. इसे बढ़ाने के लिए, मुझे आज काबुल में भारत के तकनीकी मिशन को भारतीय दूतावास का दर्जा देने की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है."

तालिबान के विदेश मंत्री की यह यात्रा अहम क्यों?

नई दिल्ली आधिकारिक तौर पर तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देती है, लेकिन दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों में वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठकों और बातचीत के जरिए संबंधों को मजबूत करने के लिए अस्थायी कदम उठाए गए हैं.

मुत्ताकी की भारत यात्रा से काबुल में स्थापित तालिबान के साथ भारत के संबंधों में एक नया आयाम जुड़ने की उम्मीद है. इससे कुछ ही दिन पहले भारत ने रूस, चीन और सात अन्य देशों के साथ मिलकर अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य बुनियादी ढांचे को तैनात करने के प्रयासों का विरोध किया था. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान शासन से कहा था कि वह बगराम एयरबेस को सौंप दे क्योंकि उसे अमेरिका ने बनाया था. बैठक के बाद, इन देशों ने एक बयान में कहा कि वे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी प्रणाली में अफगानिस्तान के सक्रियता से जोड़ने का समर्थन करते हैं.

Advertisement

नई दिल्ली इस बात पर भी जोर देती रही है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. याद रहे कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 15 मई को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुत्ताकी के साथ फोन कॉल पर बात की थी. तब काबुल शासन ने पहलगाम में आतंकवादी हमले की निंदा की थी. जनवरी में, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और मुत्ताकी के बीच बातचीत के बाद तालिबान शासन ने भारत को एक "महत्वपूर्ण" क्षेत्रीय और आर्थिक शक्ति बताया था.

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: क्या Chirag Paswan के बिना नहीं जीतेगी NDA? समझिए पूरा गणित | Bole Bihar
Topics mentioned in this article