Explainer : जम्मू में क्यों बढ़ रहे हैं आतंकी हमले? पैटर्न में क्या दिख रहा बदलाव?

पाकिस्तान कश्मीर में कुछ खास करने में सफल नहीं हो रहा है, वहीं जम्मू क्षेत्र में समान स्तर की खुफिया जानकारी मौजूद नहीं है. इसीलिए आतंकी सॉफ्ट टारगेट को निशाना बना रहे हैं.

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नई दिल्ली:

जम्मू में हाल के दिनों में आतंकी हमले तेजी से बढ़े हैं. सोमवार को एक बार फिर से सैनिकों पर आतंकवादियों के कायराना हमले में 5 जवानों की मौत हो गई, वहीं पांच अन्य घायल हैं. 9 जून को केंद्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से हमले बढ़े हैं. आतंकवादियों ने जम्मू के रियासी में तीर्थ यात्रियों को ले जा रही बस को भी निशाना बनाया था. ऐसे और भी कई बड़े हमले जम्मू में हुए हैं, जो कश्मीर से आतंकवादियों के फोकस में बदलाव को दिखाता है.

बढ़ती चिंता ये भी है कि ये पाकिस्तानी आतंकवादी अब सुरक्षा बलों के अलावा निर्दोष नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं. 9 जून को, लश्कर-ए-तैयबा ने एक नागरिक बस पर आतंकी हमला किया था, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई और 41 घायल हो गए थे.

कटरा में शिव खोरी मंदिर से माता वैष्णो देवी मंदिर तक हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस अंधाधुंध गोलीबारी के कारण रियासी जिले में एक गहरी खाई में गिर गई थी. अधिकारियों का कहना ​​है कि ऐसे में जम्मू और कश्मीर दोनों में तनाव और बढ़ेगा. बताया जा है कि नियंत्रण रेखा (LOC) के पार लॉन्च पैड पर लगभग 60 से 70 आतंकवादी एक्टिव हैं.

जम्मू पर फोकस क्यों?
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की रणनीति का ध्यान कश्मीर घाटी से हट गया, जहां सुरक्षा बल मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं. पिछले 2-3 सालों से, आतंकवादी जम्मू में रुक-रुककर हमले कर रहे हैं, जिससे हिंसा में तेजी देखी गई है, विशेष रूप से 2023 में 43 आतंकवादी हमले और 2024 में अब तक 25 हमले हुए हैं.

आतंकी हमलों को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से रोकने के कदम के रूप में भी देखा जा रहा है, जो 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पहला चुनाव होगा.

चुनौतियों से भरा है जम्मू का इलाका
जम्मू क्षेत्र के विशाल और जटिल इलाके का उपयोग पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) और एलओसी के पार सशस्त्र आतंकवादियों को भेजने के लिए किया जाता है, ये कभी-कभी सुरंगों का भी उपयोग करते हैं. साथ ही ड्रोन का भी इस्तेमाल कर हथियार भेजे जाते हैं. आतंकवादी नागरिकों के रूप में भी प्रवेश करते हैं और स्थानीय गाइडों की सहायता से छिपने के जगह और हथियार इकट्ठा करते हैं.

जम्मू-कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों की महत्वपूर्ण सफलताओं के बावजूद, जम्मू सेक्टर एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है. मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने और कम से कम स्थानीय लोगों के समर्थन के कारण लश्कर और जैश मॉड्यूल को ट्रैक करना मुश्किल हो रहा है.

राजौरी और पुंछ में पुलिस ने चौकियां स्थापित की हैं और जवानों को तैनात किया है. जंगलों में जहां कोई नहीं जाता, आतंकी वहां अपना ठिकाना बनाते हैं. कुछ दिन पहले ऐसी ही जगह पर सुरक्षाबलों की आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी. जिसके बाद आतंकवादी भाग गए थे.

मानसून के मौसम से पहले जम्मू-कश्मीर में भारी घुसपैठ शुरू हो गई है. आमतौर पर, आतंकवादी कंसर्टिना वायर और इंफ्रारेड लाइट जैसी सीमा निगरानी प्रणालियों को बाधित करने के लिए मानसून की बाढ़ का इंतजार करते हैं. कभी-कभी, नीलगाय जैसे जानवरों का भी उपयोग करते हैं.

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ग्राम रक्षा समिति को किया जा रहा एक्टिव
स्थानीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी गांवों में एक नेटवर्क बनाया जा रहा है, साथ ही ग्राम रक्षा समिति को भी एक्टिव किया जा रहा है. कठुआ में हाल ही में एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) ने एक आतंकवादी को मार गिराने में मदद की. हालांकि, किश्तवाड़ के इलाकों में सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकवादी कमांडर जहांगीर सरूरी अभी भी फरार है. अधिकारियों का मानना ​​है कि क्षेत्र में आतंकवाद के फिर से पनपने के पीछे उसी का हाथ है.

1992 से सक्रिय आतंकी सरूरी, इनाम घोषित किए जाने के बावजूद गिरफ्त से बचा हुआ है. वो ट्रैकर्स को गुमराह करने के लिए पीछे की ओर जूते पहनने जैसी अपनी भ्रामक रणनीति के लिए भी जाना जाता है, वहीं वो तलाशी के दौरान हिंदू अल्पसंख्यक घरों में छिपकर पकड़े जाने से बच जाता है. हालांकि सुरक्षाबलों का मानना ​​है कि कट्टर पाकिस्तानी आतंकवादियों से खतरा अधिक गंभीर है.

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आतंकवाद विरोधी प्रयासों में स्थानीय आबादी का समर्थन महत्वपूर्ण रहा है. 2018 में, पुंछ के पास सलानी के 50 ग्रामीण आतंकवादियों द्वारा अपने दोस्त की हत्या का बदला लेने के लिए सुरक्षाकर्मियों के साथ शामिल हो गए. एक अन्य उदाहरण में, एक नागरिक जिसका भाई 2003 में आतंकवादियों द्वारा मारा गया था, वो भी बदला लेने के इरादे से सुरक्षाबलों में शामिल हो गया.

पाकिस्तान कश्मीर में कुछ खास करने में सफल नहीं हो रहा है, वहीं जम्मू क्षेत्र में समान स्तर की खुफिया जानकारी मौजूद नहीं है. इसीलिए आतंकी सॉफ्ट टारगेट को निशाना बना रहे हैं. वो अस्थायी चौकियां, वाहन चौकियां और यहां तक ​​कि नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं.

जम्मू में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं, स्थानीय आबादी के समर्थन से क्षेत्र में आतंकवाद से निपटने के प्रयास तेज किए गए हैं.
 

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