EXPLAINER: राज्यसभा चुनाव में कब और कैसे रिजेक्ट होता है वोट? ऐसे में पोलिंग ऑफिसर क्या कार्रवाई करता है

राज्यसभा (Rajya Sabha) के सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (STV) से खुले मतदान के द्वारा किया जाता है. यहां प्रत्येक विधायक (MLA) का वोट केवल एक बार गिना जाता है.

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देश के 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों आज चुनाव हो रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:

देश के चार राज्यों की 16 राज्यसभा सीटों के लिए आज शुक्रवार को चुनाव हो रहे हैं. 57 सीटों पर चुनाव होने थे, लेकिन इसमें 41 उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना जा चुका है. इसके बाद 4 राज्यों की 16 सीटों पर लड़ाई देखने को मिल रही है. इनमें महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक शामिल हैं. राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से खुले मतदान द्वारा किया जाता है. राज्य की विधानसभा के सदस्य राज्यसभा चुनाव में एकल संक्रमणीय मत (STV) प्रणाली में हिस्सा लेते हैं. इसमें प्रत्येक विधायक का वोट केवल एक बार गिना जाता है. अतीत में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं, जहां विधायकों के वोट नियमों के उल्लंघन के कारण खारिज कर दिए गए हैं. ये वोट क्यों और किस तरह से खारिज होते हैं? आइए कुछ सवाल-जवाब के जरिए इसे समझते हैं....

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सवाल: ओपन बैलेट सिस्टम में वोट खारिज किए जा सकते हैं?
ओपन बैलेट वोटिंग केवल राज्यों की परिषद के चुनावों में लागू होती है. प्रत्येक राजनीतिक दल जिसके पास विधायक हैं, यह सत्यापित करने के लिए एक अधिकृत एजेंट नियुक्त कर सकता है कि उसके सदस्यों ने किसे वोट दिया है.

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सवाल: क्या एक अधिकृत एजेंट एक साथ दो पार्टियों का प्रतिनिधित्व कर सकता है?
नहीं. चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 39AA के अनुसार एक राजनीतिक दल के विधायक अपने मतपत्र (अपना वोट अंकित करने के बाद) केवल अपनी पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाएंगे. किसी दूसरी पार्टी के एजेंट को या नेता को दिखाने के लिए अधिकृत नहीं है. मतलब एक व्यक्ति को एक से अधिक पार्टी के अधिकृत एजेंट के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है.

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सवाल: क्या किसी विधायक या मंत्री को अधिकृत एजेंट नियुक्त किया जा सकता है?
चुनाव आयोग द्वारा राज्यों की परिषद और राज्य विधान परिषद के चुनावों में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है.

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सवाल: क्या कोई निर्दलीय विधायक अपना चिन्हित मत पत्र किसी पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखा सकता है?
नहीं. निर्दलीय विधायकों को किसी भी एजेंट को चिह्नित मतपत्र दिखाए बिना मतपेटी में चिह्नित मतपत्र डालना होता है.

सवाल: अगर किसी राजनीतिक दल का कोई मतदाता अधिकृत एजेंट को अपना चिह्नित मतपत्र दिखाने से मना करता है तो पीठासीन अधिकारी/रिटर्निंग अधिकारी द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है?
ऐसे मामले में, निर्वाचक को दिया गया मतपत्र पीठासीन अधिकारी वापस ले लेता है और मतपत्र को रिवर्स साइड पर रिकॉर्ड करने के बाद एक अलग लिफाफे में रखा जाता है. ये मतपत्र "रद्द-मतदान प्रक्रिया का उल्लंघन करता है". चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 39ए के उप-नियम (6) से (8) तक का प्रावधान ऐसे मामलों में लागू होता है.

सवाल: यदि मतदाता अधिकृत एजेंट को दिखाए बिना मतपत्र को बॉक्स में छोड़ देता है तो क्या होता है?
चुनाव आयोग के अनुसार, यदि मतदाता अधिकृत एजेंट को दिखाए बिना मतपत्र को बॉक्स में छोड़ देता है, तो मतगणना के समय, आरओ को पहले इस संबंधित मतपत्र को अलग करना चाहिए और इसकी गणना नहीं की जाएगी.

सवाल: क्या कोई विधायक मत पत्र पर अपनी या किसी दूसरे की पेन से मार्क कर सकता है?
नहीं, मतपत्र में, एक विधायक को अपनी पसंद के उम्मीदवारों की रैंकिंग करके उन्हें चिह्नित करना होता है. इसके लिए उन्हें चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किए गए एक विशेष पेन का भी उपयोग करना होता है. यदि वे किसी अन्य पेन का उपयोग करते हैं तो उनका वोट रिजेक्ट हो सकता है. दूसरा कि यदि उनके मतपत्र अपूर्ण रहते हैं, तो वोट रिजेक्ट हो जाता है. उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़कर आपको पता चल गया होगा कि किन परिस्थितियों में राज्यसभा में विधायकों के वोट रिजेक्ट हो सकते हैं. 

2016 में, चुनाव आयोग ने हरियाणा पुलिस को राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए अनधिकृत कलम के उपयोग की अनुमति देने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर के खिलाफ वरिष्ठ वकील आर के आनंद की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था. कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया था कि पार्टी के वोटों को अमान्य करने के लिए यह एक जानबूझकर धोखाधड़ी की गई थी. यह मामला मीडिया में भी खूब उछला था.

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