भारत और कनाडा के बीच संबंध बिगड़ते जा रहे हैं. इसी साल जून में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की कथित संलिप्तता के कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया है. सवाल यह है कि कनाडा से सिखों का ऐसा क्या रिश्ता है कि वहां की सरकार भारत के बार-बार कहने के बावजूद वहां से भारत के खिलाफ चलाई जा रहीं अलगाववादी गतिविधियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही है?
साल 2021 की जनगणना के मुताबिक कनाडा की आबादी तीन करोड़ 70 लाख है. इनमें करीब 16 लाख लोग भारतीय मूल के हैं जो कि कनाडा की कुल आबादी का 3.7 फीसदी हिस्सा हैं. इनमें करीब आठ लाख 30 हजार हिन्दू हैं. सिख समुदाय के लोगों की तादाद सात लाख 70 हजार के आसपास है, जो कि कनाडा की आबादी का 2.1 फीसदी हिस्सा हैं. पिछले 20 साल में कनाडा में सिखों की आबादी दोगुनी हो गई है. अधिकतर सिख पंजाब से कनाडा पहुंचे हैं. उनका वहां जाने का मकसद पढ़ाई से लेकर करियर और नौकरी तक का रहा है.
सिख कनाडा में सबसे तेजी से बढ़ रहा समुदाय है. यह ईसाई, मुस्लिम और हिंदू के बाद कनाडा का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है. भारत के बाद सबसे अधिक सिख कनाडा में ही बसते हैं. ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया और अलबर्टा में इस समुदाय की सघन बसाहट है. अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद पंजाबी कनाडा में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है.
सिख समुदाय के लोग कंस्ट्रक्शन, ट्रक ट्रांसपोर्टेशन और बैंकिंग के क्षेत्र में बड़ा योगदान करते हैं. स्वास्थ्य और सेवा क्षेत्र में भी उनकी बहुत सक्रियता है. वे रेस्टोरेंट से लेकर पेट्रोल पंप तक चलाते हैं.
कनाडा में रहने वाले सात लाख 70 हजार सिखों में से दो लाख 36 हजार सिख कनाडा के नागरिक हैं. चार लाख 15 हजार सिखों को परमानेंट रेजिडेंट (PR) का दर्जा हासिल है. इनके अलावा एक लाख 19 हजार सिख नॉन परमानेंट रेजिडेंट के तौर पर रह रहे हैं. कनाडा में भारतीय मूल के करीब सवा तीन लाख छात्र हैं. इनमें भी सिख छात्रों की तादाद अच्छी खासी है.
कनाडा से संबंधित मिले आंकड़ों के मुताबिक सन 1980 में सिर्फ 35 हजार सिखों को परमानेंट रेजिडेंट का दर्जा हासिल था लेकिन अब चार लाख 15 हजार सिख परमानेंट रेजिडेंट हैं. इनमें से एक लाख 41 हजार सिखों ने तो 2011 से 2021 के बीच परमानेंट रेजिडेंट का दर्जा हासिल किया.
कोरोना महामारी से पहले कनाडा ने हर साल तकरीबन तीन लाख लोगों को परमानेंट रेजिडेंट का दर्जा दिया. इनमें औसतन चार फीसदी सिख होते हैं. वैसे अगर कनाडा की कुल आबादी के मुकाबले देखें तो सिख बहुत ज्यादा नहीं हैं लेकिन प्रभाव के हिसाब से इनका कनाडा में अच्छा खासा दखल है. तभी जब 2015 में कंजरवेटिव पार्टी को हराकर जस्टिन ट्रूडो पहली बार प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार में सबसे अधिक सिखों को मंत्री बनाया गया है. तब ट्रूडो ने अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार में चार सिखों को मंत्री बनाया था.
कनाडा में गुरुद्वारों के जरिए सिखों की नेटवर्किंगसिख आखिर दो फ़ीसदी होते हुए भी कनाडा में राजनीतिक तौर पर इतने अहम क्यों हैं? इस सवाल के जवाब में जानकार बताते हैं कि सिख समुदाय मजबूती से एकजुट रहता है. टोरंटो, वैंकुवर और कैलगरी समेत पूरे कनाडा में गुरुद्वारों के जरिए उनकी भारी नेटवर्किंग है. कनाडा के सिख फंड के रूप में बड़ी से बड़ी रकम जुटा लेते हैं. वे इसका बड़ा हिस्सा वहां के राजनेताओं को देते हैं जो उनके चुनाव लड़ने के काम आता है.
कनाडा में कुल 338 में से 18 सांसद सिखकनाडा के 338 में से 18 सिख सांसद हैं. रिपोर्टों के मुताबिक आठ संसदीय सीटों पर तो सिखों का सीधा दबदबा है. इसके अलावा 15 और संसदीय सीटों पर उनके वोट हार जीत के लिए मायने रखते हैं. यह भी एक बड़ी वजह है कि कनाडा की कोई भी राजनीतिक पार्टी सिखों को नाराज नहीं करना चाहती.
दूसरी तरफ देखें तो भारत विरोधी भावना भड़काकर सिखों को राजनीतिक रूप से बरगलाने की भी पूरी कोशिश होती है. कनाडा में पंजाब मूल के 18 सांसदों में एक खालिस्तानी अलगाववादी नेता जगमीत सिंह आग में घी डालने का काम करते रहे हैं और ट्रूडो उन्हीं की धुन पर नाच रहे हैं.