Exclusive: अमृतपाल सिंह पर खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में अहम खुलासे

अमृतपाल सिंह पहले सिख सिद्धांतों का पालन किए बिना दुबई में रह रहा था, तब उसकी लैविश लाइफ स्टाइल थी

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खालिस्तानी अलगाववादी अमृतपाल सिंह (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

खालिस्तान समर्थक अलगाववादी अमृतपाल सिंह पर खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमृतपाल के फाइनेंसर दलजीत कलसी ने 13 सालों में (2007-2020) थाईलैंड की 18 यात्राएं कीं. थाइलैंड की इतनी यात्राओं के पीछे के कारणों की जांच की जरूरत है, कहीं वह वेश्यावृत्ति में लिप्त तो नहीं था.

अमृतपाल सिंह जब सिख सिद्धांतों का पालन किए बिना दुबई में रह रहा था, तब वह लैविश लाइफ स्टाइल जी रहा था. अमृतपाल के उकसावे पर बाबा बंदा सिंह बहादुर इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवासी छात्रों को निशाना बनाया गया और उन्हें घेर लिया गया. खालसा वहीर के दौरान ईसाई बहुसंख्यक वाले रास्ते में जाकर जानबूझकर शरारत करने का प्रयास किया गया. 

अमृतपाल सिखों के ईसाई धर्म में धर्मांतरण और मिशनरियों द्वारा क्राउड फंडिंग का मुद्दा उठाता रहा है. उसने यह कहकर ईसा मसीह को नीचा दिखाने की कोशिश की कि वह खुद को नहीं बचा सका, तो वह दूसरों के लिए क्या कर सकता है.

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उसने इसी तरह के भड़काऊ भाषण हिंदू धर्म के खिलाफ भी दिए थे. सुधीर सूरी की हत्या में शामिल संदीप सिंह उर्फ सनी अमृतपाल का सहयोगी है. उसकी कार पर WPD (वारिस पंजाब दे) का स्टीकर लगा था. हत्या से चार दिन पहले अमृतपाल ने उसे हत्या के लिए उकसाया था. फिर अमृतपाल ने उसे धमकाते हुए कहा था कि वह उसका नाम न ले.

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अमृतपाल को दीप सिद्धू की मौत से पहले पंजाब में कोई नहीं जानता था. इसी वजह से वह अपने अतीत के बारे में खुलकर बात नहीं करता था क्योंकि इससे उसकी छवि को नुकसान हो सकता था. अमृतपाल दुबई में ड्रग डीलर जसवंत सिंह रोडे से जुड़ा हुआ है, जिसका भाई पाकिस्तान से काम कर रहा है. अमृतपाल अपने पिछले जीवन के बारे में बात नहीं करता है, जब वह गैर-अमृतधारी था और सिख धार्मिक सिद्धांतों का पालन नहीं करता था.

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भारत आने के बाद अमृतपाल और उसके संगठन ने एक धार्मिक कट्टरपंथी ग्रुप के रूप में काम करना शुरू कर दिया, जो कि उसके पहले के व्यक्तित्व के बिल्कुल विपरीत है. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उसे भारत में देश विरोधी ताकतों द्वारा लगाया गया है. 

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अमृतपाल के पास सिख रूढ़िवाद का अपना संस्करण है. उसके संस्करण का सिख धर्म के बारे में सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है. अमृतपाल ड्रग माफिया रवेल सिंह द्वारा गिफ्ट में दी गई एक शानदार मर्सिडीज में घूम रहा था.

अमृतपाल सिंह की हालिया (पिछले 10 दिनों की) गतिविधियां
अमृतपाल सिंह (अध्यक्ष, वारिस पंजाब दे/डब्ल्यूपीडी) की हालिया गतिविधियां इस तथ्य की ओर इशारा करती हैं कि वह कैसे व्यवस्थित रूप से सिखों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा है. 

पिछले 10 दिनों में अमृतपाल ने पांच कार्यक्रमों (अमृतसर, मुक्तसर, तरनतारन, मनसा और कपूरथला) में शिरकत की थी, जहां 800-1000 लोगों का जमावड़ा था. इन आयोजनों में उसके सम्बोधन के मुख्य सूत्र यह थे - 

  • सिक्खों से बपतिस्मा (अमृतधारी और शास्त्रधारी) लेने और नशीले पदार्थों से मरने के बजाय सिक्ख पंथ के लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार रहने का आग्रह करना.
  • उसने आरोप लगाया कि सरकार सिखों के शस्त्र लाइसेंस रद्द करके उन्हें निहत्था बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. गुरु गोविंद सिंह (10 वें सिख गुरु) ने सिखों को हथियार रखने का आदेश दिया था ताकि सरकार द्वारा उन्हें सताने पर वे अपनी अपने परिवार और धर्म की रक्षा कर सकें.
  • उसने आगे सरकार से सिखों के साथ शांति से बातचीत करने, उन्हें उनके अधिकार देने, सिखों के साथ हुई जबरदस्ती को स्वीकार करने और उसके लिए माफी मांगने के लिए कहा.
  • पंजाब की भावी पीढ़ियों के लिए खालसा शासन प्राप्त करने के लिए युवाओं को एकजुट होने का आग्रह करते हुए, उसने दावा किया कि सिख पंथ विभाजित था जिसके कारण दुश्मन उन पर हमला कर रहे थे और उनकी कमजोरी का फायदा उठा रहे थे.
  • उसने कहा कि सरकार को पंजाब में ड्रग्स की समस्या के लिए पाकिस्तान को दोष नहीं देना चाहिए क्योंकि दिल्ली और हरियाणा से ड्रग्स आता है.
  • उसने डेरा के अनुयायियों को उन गुरुओं से प्यार करने की धमकी दी, जिन्होंने अपना और अपने बच्चों का बलिदान दिया और अपनी मातृभूमि के लिए लड़े, न कि उनसे (बाबा राम रहीम, प्रमुख, डीएसएस के संदर्भ में) जिन्होंने उनके पैसे लूट लिए, झूठ बोला और उन्हें बम से उड़ा दिया.
  • उसने दावा किया कि मूसेवाला की हत्या में शामिल सिखों का इस्तेमाल 'तिलकधारी' द्वारा एक सिख को मारने के लिए किया गया था.
  • उसने जोर देकर कहा कि जब भी गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी होती है, सिख पुलिसकर्मियों को कानून की ओर नहीं देखना चाहिए और इसके बजाय पंथ के लिए स्टैंड लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि भाई दिलावर सिंह, भाई सतवंत सिंह, भाई बेअंत सिंह और भाई केहर सिंह ने पहले पुलिस में सेवा की और पंथ के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और अब तक उनकी वर्षगांठ पर त्योहार मनाए जाते थे. उसने तर्क दिया कि कई पुलिस कर्मियों की अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मृत्यु हो गई, कुछ समय बाद भुला दिया गया और इसलिए उन्हें संघर्ष के लिए सिख पंथ के पक्ष में लाइन खींचनी चाहिए.
  • हाल ही में, WPD ने बरनाला में एक और नशामुक्ति केंद्र खोला है और मोगा और मुक्तसर में दो और खोलने की योजना बना रहे थे ताकि एक निजी मिलिशिया उसकी कमान पर कार्रवाई करने के लिए तैयार रहे.

WPD की भविष्य की योजना का खुलासा करते हुए अमृतपाल सिंह ने 19 मार्च को गुरुद्वारा मुक्तसर साहिब, मुक्तसर से खालसा वाहीर का दूसरा चरण शुरू करने और दमदमा साहिब, जिला में समाप्त करने की घोषणा की थी. वह बैसाखी के दिन मालवा क्षेत्र के गांवों का दौरा कर मालवा में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के बाद बठिंडा की तरफ रुख कर रहा था.

इस बीच अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहने वाले ज्ञानी हरप्रीत सिंह (अभिनय जत्थेदार, अकाल तख्त) ने अजनाला के बाद सिख जत्थेदारों द्वारा विरोध के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने पर गठित समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट (12 मार्च) पर असंतोष व्यक्त किया. घटना में जहां गुरु ग्रंथ साहिब को अमृतपाल सिंह ने ढाल के रूप में इस्तेमाल किया और समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ इसे फिर से जमा करने के निर्देश के साथ रिपोर्ट वापस कर दी.

इसके अलावा अमृतपाल की लोकप्रियता को भुनाने की कोशिश में 'कौमी इंसाफ मोर्चा'(QIM) के आयोजक, अजनाला घटना के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब ले जाने पर अमृतपाल सिंह के समर्थन में सामने आए क्योंकि वे चाहते हैं कि अमृतपाल लामबंदी बढ़ाने के लिए QIM का हिस्सा बने. धरना स्थल पर और इसके लिए वेकोर कमेटी के एक सदस्य के खिलाफ कार्रवाई की, जिसने अमृतपाल द्वारा अजनाला में विरोध स्थल पर गुरु ग्रंथ साहिब ले जाने की निंदा की थी.

अमृतपाल पाकिस्तान में सिख समुदाय को दी जाने वाली विभिन्न यातनाओं पर स्पष्ट रूप से चुप रहा है, जिसमें जबरन धर्मांतरण के लिए नाबालिग सिख लड़कियों का अपहरण, गुरुद्वारा ननकाना साहिब पर हमला, महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति को नुकसान पहुंचाना और पाकिस्तान में एक गुरुद्वारा को बंद करना शामिल है.

अमृतपाल जहां रहता था वहां से महज 40 किलोमीटर दूर उसकी नाक के नीचे ऐसी तमाम घटनाएं हो रही हैं. 

NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980) की आवश्यकता क्यों?
अमृतपाल की पंजाब के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की मंशा थी, जिसका अंदाजा एक अन्य सिख वरिंदर सिंह के अपहरण और हमले में शामिल होने से लगाया जा सकता है. अजनाला की घटना के दौरान अधिकारियों की खुलेआम अवहेलना करना और ऐसा करते समय पुलिसकर्मियों को घायल करने से नहीं हिचकिचाना, बेअदबी/बेदबी में शामिल होना कपूरथला और जालंधर के गुरुद्वारों में तोड़-फोड़ का सहारा लेते हुए, ईसा मसीह और हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर सांप्रदायिक माहौल को खराब करना, युवाओं को हिंसा के लिए इस्तेमाल करना और आनंदपुर खालसा फौज ( AKF) के रूप में अपने निजी मिलिशिया का नाम देकर गन कल्चर को बढ़ावा देना, धमकी देना, खुले तौर पर यह घोषणा करके कि वे राज्य में विश्वास नहीं करते हैं और पंजाब सरकार के खुले में हथियारों का प्रदर्शन नहीं करने के आदेश की अवहेलना करते हैं. प्रतिबंधित संगठन एसएफजे (सिख फॉर जस्टिस) के साथ संबंध, जो अब डब्ल्यूपीडी के खुले समर्थन में आ गया है. 

खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि NSA में हिरासत में लेने के बाद WPD से जुड़े लोगों  को पंजाब से बाहर भेजने की जरूरत है. अगर उन्हें पंजाब की किसी जेल में रखा जाता तो वे जेल ब्रेक में शामिल होंगे. वे जेल में बंद अन्य अपराधियों को कट्टरपंथी बना देंगे और उन्हें आनंदपुर खालसा फौज (AKF) में शामिल कर लेंगे.

WPD से जुड़े लोग कौन हैं और उनका असल मकसद क्या है?

अमृतपाल- ट्रक ड्राइवर, कटे बाल, दुबई में आधुनिक तरीके से जीवन जी रहा था.
दलजीत कलसी- एक्टर, वित्तीय धोखाधड़ी/पोंजी योजना में शामिल, थाईलैंड की अक्सर यात्राएं करने वाला.
पापलप्रीत- स्मॉल टाइम रिपोर्टर.
गुरमीत बुक्कनवाला- फर्नीचर की दुकान चलाता था.

इन सभी व्यक्तियों का मकसद पैसा कमाना और कम समय में सत्ता हासिल करना था. अमृतपाल ने दीप सिद्धू की अचानक हुई मौत को भुनाया.

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