EXCLUSIVE : 'अच्छे आचरण' पर रिहा हुए बिलकिस के दोषियों के खिलाफ दर्ज हैं यौन हमलों समेत कई मामले

NDTV की खोज में पता चला है कि साल 2017-2021 के बीच, बिलकिस बानो मामले में कम से कम चार गवाहों ने शिकायतें और प्राथमिकी दर्ज करवाई थीं.

नई दिल्ली:

बिलकिस बानो केस में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. इस मामले में जिन दोषियों को जेल से रिहा किया गया है, उन पर परोल के दौरान गवाहों को धमकाने का आरोपी पाया गया है. इतना ही नहीं, बल्कि कईयों पर परोल के दौरान ही यौन हमले का भी आरोप है. जबकि सरकार का कहना है कि उनके 'अच्छे आचरण' की वजह से उन्हें रिहा किया गया है. सजा पूरी होने से पहले ही अगस्त महीने में रिहा किए गए 11 में से कम से कम चार दोषियों पर परोल के दौरान गवाहों को धमकाने और परेशान करने का आरोप है.

NDTV ने दोषियों के खिलाफ कई प्राथमिकी और पुलिस शिकायतें हासिल की हैं. जो कि गुजरात सरकार के उस दावे के बिल्कुल विपरित है, जिसमें कहा गया था कि दोषियों के 'अच्छे आचरण' की वजह से उन्हें रिहा किया गया है. सरकार की ओर से कहा गया था कि सरकार के पास इस बात के कोई सबूत नहीं थे कि उन्होंने (दोषी) इस दौरान कोई भी गलत काम किया है.

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NDTV की खोज में पता चला है कि साल 2017-2021 के बीच, बिलकिस बानो मामले में कम से कम चार गवाहों ने शिकायतें और प्राथमिकी दर्ज करवाई थीं. एनडीटीवी को एक FIR और दो पुलिस शिकायत मिली हैं.

* 6 जुलाई 2020 को दो दोषियों राधेश्याम शाह और मितेशभाई भट्ट के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी.

दाहोद के राधिकपुर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (शील भंग करने के इरादे से हमला), 504 (धमकी), 506 (2) (हत्या की धमकी) और 114 (उकसाने) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. यह FIR सबराबेन पटेल और बिलकिस बानो मामले में एक गवाह पिंटूभाई ने दर्ज करवाई थी. 

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एफआईआर के मुताबिक, दो दोषियों और राधेश्याम के भाई आशीष सहित तीन लोगों ने सबराबेन, उनकी बेटी आरफा और गवाह पिंटूभाई को उनके बयानों के लिए धमकाया. इस मामले में लिमखेड़ा कोर्ट में मुकदमा चल रहा है.

* एक अन्य गवाह मंसूरी अब्दुल रज्जाक अब्दुल मजीद ने 1 जनवरी, 2021 को शैलेश चिम्मनलाल भट्ट के खिलाफ दाहोद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने आरोप लगाया था कि परोल पर बाहर रहते दोषी की ओर से उन्हें धमकियां मिली हैं.

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि लिमखेड़ा के विधायक शैलेश भाई भाभोर और पूर्व राज्य मंत्री और लोकसभा सांसद जसवंतसिंह भाभोर ने शैलेश चिम्मनलाल भट्ट को सम्मानित किया और 'अच्छे आचरण' के लिए दोषी की तारीफ की. शिकायत में दो भाजपा नेताओं की शैलेश भट्ट के साथ मंच साझा करने की एक तस्वीर भी संलग्न है.

यह शिकायत कभी भी एफआईआर में नहीं बदली.

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* दो अन्य गवाहों, घांची आदमभाई इस्माइलभाई और घांची इम्तियाजभाई यूसुफभाई ने 28 जुलाई, 2017 को एक दोषी गोविंद नाई के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि दोषी ने "समझौता" करने पर सहमत नहीं होने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी. यह शिकायत भी कभी एफआईआर में तब्दील नहीं हुई.

मंगलवार को केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने दोषियों के "अच्छे व्यवहार" का हवाला देते हुए उनकी रिहाई के फैसले का बचाव किया था. 

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एनडीटीवी को बताया था, "जब सरकार और संबंधित लोगों ने फैसला लिया है, तो मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता क्योंकि यह कानून की एक प्रक्रिया है.'

सीबीआई ने इस अपराध को "जघन्य, घिनौना और गंभीर" करार दिया था, जिसके बाद 'समय से पहले रिहाई' के कानून के तहत बिलकिस के दोषियों को रिहा कर दिया गया. इस फैसले को लेकर काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है. इस पर मंत्री ने दोषियों के 'अच्छे आचरण' का जिक्र किया. 

जोशी ने कहा, 'कुछ समय जेल में रहने के बाद, अगर उनका व्यवहार... बहुत सारी घटनाएं हैं, तो मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता.'

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