महाराष्ट्र के बाद बिहार की राजनीति में भी उथल-पुथल देखने को मिल रही है. भाजपा सांसद सुशील मोदी ने सोमवार को कहा कि बिहार में महाराष्ट्र जैसे राजनीतिक संकट की स्थिति में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने पाले में स्वीकार नहीं करेगी, भले ही वह भाजपा के दरवाजे पर अपनी नाक रगड़ लें. एएनआई से बात करते हुए, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, "अमित शाह पहले ही स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि वह किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को स्वीकार नहीं करेंगे, भले ही कुमार बीजेपी के दरवाजे पर नाक रगड़ें. हमने 17 साल तक नीतीश कुमार को ढोया है. अब बीजेपी उन्हें न तो स्वीकार करेगी और न ही भविष्य में आगे बढ़ाएगी.''
महाराष्ट्र में रविवार को हुए सियासी संकट के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में भी विद्रोह की स्थिति बन रही है. उन्होंने कहा, "बिहार में विद्रोह की स्थिति इसलिए भी बन रही है, क्योंकि पिछले 17 सालों में नीतीश कुमार ने अपने विधायकों और सांसदों से मिलने के लिए कभी एक मिनट का भी समय नहीं दिया है. उन्हें इंतज़ार करना पड़ा. अब उनमें से प्रत्येक को आधे घंटे का समय दिया जा रहा है."
सुशील मोदी ने कहा कि कई सांसदों को डर है कि वे अपना टिकट खो देंगे, क्योंकि नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को अपना नेता स्वीकार कर लिया है और तेजस्वी यादव को अपना 'उत्तराधिकारी' बना लिया है.
सुशील कुमार मोदी ने दावा किया कि बिहार में जनता दल में ‘विद्रोह' की स्थिति है और कभी भी उसमें टूट हो सकती है. उन्होंने कहा कि जदयू के कई सांसद एवं विधायक भाजपा एवं अन्य दलों से संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि जदयू के ये नेता न तो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार कर पा रहे हैं और न ही कांग्रेस के राहुल गांधी को संयुक्त विपक्ष के नेता के रूप में.
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा बिहार में सत्तारूढ़ जदयू के बागियों को पार्टी में शामिल करने पर विचार करेगी तो सुशील मोदी ने कोई आश्वासन नहीं दिया, लेकिन जोर देकर कहा कि भाजपा नीतीश कुमार को स्वीकार नहीं करेगी भले ही वह पार्टी का दरवाजा खटखटाएं और नाक रगड़ें. यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार में भी महाराष्ट्र जैसे राजनीतिक परिदृश्य की कोई संभावना है, उन्होंने कहा, "बिहार में भी नीतीश कुमार द्वारा राजद के तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने और अगली चुनावी लड़ाई में राहुल गांधी को नेता के रूप में स्वीकार करने के बाद से जदयू में विद्रोह की स्थिति है. जदयू का कोई भी विधायक या सांसद राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है."
सुशील मोदी ने किहा, "जदयू में टूट की संभावनाएं बन रही हैं... आने वाले दिनों में कुछ भी संभव है. कोई भी गारंटी नहीं दे सकता कि जदयू में कुछ नहीं होगा." उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के भाजपा से नाता तोड़ने और सत्ता में बने रहने के लिए बिहार में राजद से हाथ मिलाने के बाद जदयू के कई सांसदों को लगता है कि उनका भविष्य अंधकारमय है.
ये भी पढ़ें :-