अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने बुधवार को NDTV से बातचीत में कहा कि 1962 में जब भारत-चीन के बीच युद्ध चल रहा था उस दौरान भी उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा करवाई थी. आज भी केंद्र सरकार को चाहिए कि वो संसद में इस विषय पर सभी दलों के सांसदों से चर्चा करे. लोकतंत्र में सदन के अंदर चर्चा का एक अलग ही महत्तव है, इस तरीके से लोकतंत्र ही मजबूत होता है.
शशि थरूर ने आगे कहा कि आज सरकार किसी चर्चा की जगह पर सिर्फ एक बयान देकर इतने बड़े मुद्दे से बचती दिख रही है. सरकार का संसद के प्रति भी कुछ जिम्मेदारी है, उसे सही तरीके से निभाना जरूरी है. नेहरू जी के समय पर युद्ध चल रहा था तब भी 100 से ज्यादा सांसदों ने संसद में अपनी राय रखी थी.
उन्होंने आगे कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश को एक जिम्मेदार संसद चाहिए. राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े भी ऐसे कई मसले हैं जिन्हें हम खुद भी गोपहनीय रखना चाहते हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं आप किसी तरह की चर्चा ही नहीं करेंगे. आपको तो पता ही होगा कि इस मामले को लेकर बुधवार को संसद में हंगामा भी हुआ.
बता दें कि इस मामले को लेकर विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा की मांग पर अड़ा हुआ है. दरअसल अरुणाचल के तवांग में भारत-चीन सैनिकों की झड़प के मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कल बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि, भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को LAC से खदेड़ा था. रक्षा मंत्री के बयान से असंतुष्ट कांग्रेस का दोनों सदनों से वॉकआउट कर दिया था.
चीनी अतिक्रमण पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के वॉकआउट पर एनडीटीवी से आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि डोकलाम और गलवान के बाद चीनी सैनिकों ने तवांग सेक्टर में अतिक्रमण किया है. गलवान की घटना के बाद भारत सरकार ने चीन पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे लेकिन अब एक बार फिर चीन के साथ हमारा व्यापार बढ़ा है. चीन से आयात करीब 31% तक बढ़ा है. हम प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण चाहते हैं. चीनी दस्तावेजों को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं.