'निष्पक्ष तरीके से हो चर्चा': वक्फ विधेयक पर जेपीसी की बैठक से निलंबित सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखा पत्र

शुक्रवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक के दौरान हंगामे के बाद 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था. निलंबित सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए. राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह नदवी, एम. अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक और इमरान मसूद शामिल थे. इन सांसदों ने लोकसभा के स्पीकर को अब पत्र लिखा है.

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वक्फ संशोधन विधेयक : विपक्षी सांसदों ने अध्यक्ष के तौर-तरीकों पर उठाए सवाल.
नई दिल्ली:

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार के लिए गठित जेपीसी की शुक्रवार को हुई बैठक से 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया. इसके बाद विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर निष्पक्ष चर्चा कराए जाने की मांग की और समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के कामकाज के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए हैं. 27 जनवरी की प्रस्तावित बैठक स्थगित करने की मांग भी सांसदों ने की है. 

जेपीसी सदस्य ए. राजा, कल्याण बनर्जी, असदुद्दीन ओवैसी, नसीर हुसैन, अरविंद सावंत, गौरव गोगोई, मोहम्मद जावेद, इमरान मसूद, मोहिबुल्लाह नदवी, एम. अब्दुल्ला की ओर से लिखे गए इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि जगदंबिका पाल मनमाने तरीके से बैठकों की तारीखें बदलते रहे हैं. शुक्रवार को हुई बैठक में जब समिति में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस आपत्ति जताई और अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने विपक्ष के 10 सदस्यों को निलंबित कर दिया.

विपक्षी सांसदों ने कहा कि उनकी आपत्तियों के बावजूद पहले तो 24 और 25 जनवरी को जेपीसी की बैठक तय की गई और शुक्रवार सुबह बताया गया कि 25 जनवरी की बैठक 27 जनवरी को होगी. उन्होंने कहा कि पहले के तय शेड्यूल के आधार पर सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अपने कार्यक्रम निश्चित कर लिए हैं. उन्होंने यह बैठक 30 जनवरी को आयोजित करने का अनुरोध किया ताकि सभी सदस्य अपनी बात रख सकें क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है.

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यह बहुत अफसोसजनक: मोहिबुल्लाह नदवी

मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा, "यह बहुत अफसोसजनक है कि जब भी कोई संसद या संसद की समितियों में संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आवाज उठाता है, उसे नजरअंदाज किया जाता है. यह एक गंभीर स्थिति है, क्योंकि संविधान को नकारा जा रहा है और लोकतांत्रिक मूल्य कमजोर हो रहे हैं. इसकी बजाय तानाशाही और बुलडोजर मानसिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है और देशवासियों के लिए चिंता का विषय है."

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जेपीसी से निलंबित किए गए सदस्यों में विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ सांसद मौजूद हैं, जिनके पास व्यापक अनुभव है. वे कई समितियों में शामिल हो चुके हैं और उनमें से कई पहले भी विभिन्न जेपीसी के सदस्य रह चुके हैं. वे इसके नियमों और प्रक्रियाओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं. हालांकि, हमने कभी ऐसा जेपीसी नहीं देखा, जिसमें 10 सदस्यों को एक साथ निलंबित किया गया हो.

गौरव गोगोई

कांग्रेस सांसद

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा है और यह विधेयक पूरी तरह से समय के खिलाफ है. यह वक्फ की संपत्तियों को हड़पने की एक साजिश प्रतीत हो रही है और इसके माध्यम से देश में नफरत फैलाने की योजना बनाई जा रही है. हमने स्पीकर साहब से सवाल किया कि इतनी जल्दबाजी क्यों है, जबकि इस विधेयक को सत्र के आखिरी दिन, यानी 4 अप्रैल तक रखा जा सकता था. उन्हें यह आशंका है कि इस तरह की जल्दबाजी से सभी पक्षों को अपनी बात रखने का उचित समय नहीं मिलेगा."

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वक्फ संशोधन विधेयक एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है. अगर सरकार इसे जबरन थोपने की कोशिश करती है और संयुक्त कार्य समिति के माध्यम से इसे सीधे संसद में लाने की कोशिश करती है, तो इसके कानूनी और सामाजिक दोनों ही तरह से गंभीर नकारात्मक परिणाम होंगे. अगर सरकार जल्दबाजी में है, तो इसके और भी बुरे परिणाम होंगे.

असदुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद से लोकसभा सांसद

यह कोई मजाक नहीं: द्रमुक सांसद ए. राजा

द्रमुक सांसद ए. राजा ने कहा, "हमारी प्राथमिकता यह है कि हर राज्य को समान रूप से ध्यान में रखा जाए. स्पीकर को सीधे चेयरमैन से यह कहना चाहिए कि हर राज्य को अपने बयान देने का समान अवसर मिले. संशोधन प्रस्तुत करने के लिए केवल 48 घंटे का समय देना जल्दबाजी है, और यह कोई मजाक नहीं है. स्पीकर को यह समझना चाहिए कि इस प्रक्रिया के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए. हमें लखनऊ में होना चाहिए और फिर यहां आकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संयुक्त संसदीय समिति को विचार करने का पर्याप्त समय मिले. वर्तमान कार्यक्रम में बदलाव किए जा रहे हैं, यहां तक कि मध्यरात्रि में भी, जो ठीक नहीं है. हम स्पीकर से अपील करते हैं कि वे इस प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाएं."

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