Bihar Election Results 2020: BJP के ये पांच सियासी दांव रहे कारगर, अंतिम घड़ी में बदली रणनीति; JDU को भी पीछे छोड़ा

Live Bihar Assembly Election Results: ताजा रुझानों के मुताबिक, बीजेपी को 22 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. बीजेपी के लिए ये बड़ी छलांग है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 30 सीटों के नुकसान के साथ 41 सीटों पर सिमटती दिख रही है.

Bihar Election Results 2020: BJP के ये पांच सियासी दांव रहे कारगर, अंतिम घड़ी में बदली रणनीति; JDU को भी पीछे छोड़ा

Bihar Election Results 2020: ताजा रुझानों के मुताबिक, बीजेपी को 22 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. बीजेपी के लिए ये बड़ी छलांग है.

नई दिल्ली:

Bihar Election Results 2020: बिहार विधान सभा चुनावों (Bihar Assembly Elections 2020) के नतीजे और रुझान अभी आने जारी है. शाम 5 बजे तक के रुझानों के मुताबिक एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है. नतीजों और रुझानों के मुताबिक बीजेपी 75 सीटों के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरती दिख रही है. वहीं राजद 72 सीटों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी बनती दिख रही है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 30 सीटों के नुकसान के साथ 41 सीटों पर सिमटकर  राज्य की तीसरे नंबर की पार्टी बनती दिख रही है. ताजा रुझानों के मुताबिक, बीजेपी को 22 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. बीजेपी के लिए ये बड़ी छलांग है. आइए जानते हैं बीजेपी के कौन से दांव उसकी सियासी सफलता में कारगर साबित हुए.

19 लाख रोजगार और जॉब का वादा: रोजगार के मामले में जब तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरियों का वादा किया तब ऐसा लगा कि राज्य का युवा महागठबंधन खासकर तेजस्वी का मुरीद हो जाएगा. एनडीए गठबंधन की अगुवाई कर रहे नीतीश कुमार ने तो तेजस्वी के वादों को हवा-हवाई बता दिया और पूछ डाला कि पैसे कहां से लाओगे लेकिन बीजेपी ने उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के बयान के बावजूद 19 लाख रोजगार का वादा किया. इनमें 4 लाख नौकरियां और 15 लाख स्वरोजगार हैं. वादे का असर जनमानस पर असरकारी हो, इसके लिए बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र लॉन्च करने के लिए सीधे देश की खजाना मंत्री के हाथों चुनावी वादे लॉन्च कराया ताकि लोगों में यह भ्रम दूर हो जाए कि पैसों की कमी होने नहीं दी जाएगी.

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लालू परिवार पर वार:  पीएम मोदी बीजेपी के स्टार प्रतचारक रहे. उन्होंने चुनावों के अंतिम चरण में न केवल अपनी सियासी रणनीति बदली बल्कि चुनाव प्रचार भी आक्रामक रखा.  23 अक्टूबर को जब पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली चुनावी रैली को संबोधित किया तब उन्होंने लालू-राबड़ी के 15 वर्षों के शासनकाल को जंगलराज कहा. 28 अक्टूबर को मतदान के पहले चरण के दिन उन्होंने और आक्रमक होते हुए तेजस्वी यादव को जंगलराज का युवराज कहा. धीरे-धीरे चुनाव में लालू परिवार और उनके 15 वर्षों का शासनकाल अचानक मुद्दा बन गया. लोगों के बीच यह आशंका घर कराने में बीजेपी कामयाब रही कि अगर राजद का शासन लौटा तो बिहार में फिर से कानून-व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ हो सकती है.

चिराग को पीछे से सह देना: लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान पर पीएम मोदी का हमला नहीं करना और बीजेपी के कई बागियों का लोजपा का दामन थामना बीजेपी को फायदा पहुंचा गया. जिन सीटों पर लोजपा ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार काटे, वहां तो एनडीए का वोट बैंक तितर-बितर हो गया और जेडीयू को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. इसके अलाव भाजपा की सीटों पर एनडीए का वोट एकमुश्त रहा, जबकि भाजपा समर्थक वोट जेडीयू के लिए कारगर साबित नहीं हो सके.

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ईबीसी, दलित और महिलाओं पर फोकस: बीजेपी ने अगड़ी जाति के परंपरागत वोट बैंक के अलावा टिकट बंटवारे में अति पिछड़ा वर्ग, दलितों और महिलाओं पर विशेष फोकस किया. इसकी वजह से पिछले सभी चुनावों की अपेक्षा उसे ज्यादा बढ़त मिलती हुई दिख रही है.

सीमांचल पर फोकस, हिन्दूवाद और राष्ट्रवाद का कार्ड: तीसरे चरण के मतदान से पहले बीजेपी ने सीमांचल पर जोर देना शुरू कर दिया.  तीसरे चरण की वोटिंग से ऐन पहले पीएम मोदी ने न केवल खुद वहां जनसभा की बल्कि अपने अंतिम चुनावी रैली में हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद का भी कार्ड खेला. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी उतारकर सीमांचल में हिन्दू मतदाताओं को लामबंद करने की कोशिश की. ओवैसी की वजह से मुस्लिम वोटों में हुई सेंधमारी की वजह से सीमांचल में की 24 सीटों में से 11 पर एनडीए आगे चल रही है. नीतीश ने भी इसी इलाके में जीवन का अंतिम चुनाव का इमोशनल कार्ड खेला था.

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