चुनावी गणित : भारत में यूपी और पाकिस्तान में पंजाब से गुजरता है सत्ता का रास्ता

चाहे भारत का उत्तर प्रदेश हो या फिर पाकिस्तान का पंजाब, दोनों ही राज्यों में संसद की सबसे अधिक सीटें हैं.

Advertisement
Read Time: 4 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

जिस तरह भारत में कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश होकर जाता है उसी तरह पाकिस्तान में कहते हैं कि इस्लामाबाद में वही काबिज होता है जो पंजाब प्रांत जीतता है. ऐसा कहे जाने की वजह यह है कि चाहे भारत का उत्तर प्रदेश हो या फिर पाकिस्तान का पंजाब, दोनों ही राज्यों में संसद की सबसे अधिक सीटें हैं. लेकिन एक बड़ा अंतर भी है. 543 लोकसभा सीटों में से यूपी में 80 सीटें हैं जो भारत के 28 राज्यों में सबसे अधिक हैं. हालांकि यह लोकसभा सीटों की कुल 543 सीटों का महज 15 फीसदी के आसपास है. जबकि पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में 336 सीटें हैं. इनमें से 266 पर सीधे चुनाव हो रहा है. इन 266 सीटों में से 141 अकेले पंजाब में है जो कि पाकिस्तान की कुल सीटों का 53 फीसदी है.

Advertisement

दूसरे शब्दों में कहें को पाकिस्तान के पंजाब में पाकिस्तान की संसद की अकेले इतनी सीटें हैं जितनी बाकी के तीन प्रांतों में जोड़कर भी नहीं हैं. सिंध में 61 सीटें हैं, ख़ैबरपख़्तूनख्वा में 45 सीटें और बलूचिस्तान में 16 सीटें हैं. इसके अलावा इस्लामाबाद जो कि संघीय क्षेत्र में आता है, वहां 3 सीटें हैं. सिंध, केपी, बलूचिस्तान और इस्लामाबाद की सीटें मिला लें तो 125 सीटें ही ठहरती हैं. अगर अनारक्षित सीटों के साथ 70 आरक्षित सीटों के हिसाब से भी देखें, यानी कि 336 सीटों के लिहाज़ से देखें, तो पंजाब में 173 सीटें आती हैं. जबकि पाकिस्तान में सरकार बनाने के लिए 169 सीटें चाहिए.

अब थोड़ा पीछे के आंकड़ों पर निगाह डाल लेते हैं. 2018 के चुनाव में पीटीआई ने पूरे पाकिस्तान में 149 सीटें जीतीं जबकि पीएमएलएन ने 82 सीटें. इन 149 सीटों में से उनकी पार्टी ने पंजाब में 67 सीटें जीतीं. जबकि नवाज़ की पार्टी ने कुल 82 सीटें जीतीं, जिसमें से 64 सीटें पंजाब में जीतीं. इमरान ने कई छोटे दलों के सहयोग से सरकार बनाई. इतना ही नहीं इमरान खान की पार्टी पीटीआई पंजाब असेंबली में भी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और प्रांतीय सरकार बनाई.

Advertisement

साल 2013 में नवाज़ शरीफ जब पीएम बने तो उस समय पीएमएलएन ने पूरे पाकिस्तान में 157 सीटें जीतीं और फिर 14 निर्दलियों को मिलाकर बहुमत हासिल किया था. इसमें से पंजाब में सबसे अधिक सीटें जीती थीं. पीएमएलएन ने पंजाब प्रांत की 371 सीटों में से 313 जीतकर प्रांतीय सरकार भी बनाई.

Advertisement

वर्ष 2008 के चुनाव में जब पीपीपी के नेतृत्व में मिलीजुली सरकार बनी तब पीपीपी ने पूरे पाकिस्तान में 118 सीटें जीती थीं और पीएमएलएन ने 89 सीटें. तब पीपीपी ने पंजाब में सबसे अधिक सीटें जीती थीं. हालांकि तब पीएमएलएन ने पंजाब की प्रांतीय असेंबली में 148 सीटें हासिल की थीं जबकि पंजाब पीपीपी को सिर्फ़ 103 सीटें मिली थीं.

Advertisement

अंत में आपको ये भी बता दें कि पंजाब नवाज़ शरीफ़ की पार्टी का गढ़ रहा है. हालांकि 2018 के चुनाव में इमरान ने यहां बाज़ी मारी और अभी भी पंजाब में उनको अच्छा जनसमर्थन हासिल है.

Advertisement
Topics mentioned in this article