सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग (Election Commission) की एक विधायक की अयोग्यता (MLA disqualification) की अवधि को हटाने या कम करने की शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने एनजीओ 'लोक प्रहरी' की ओर से पेश एसएन शुक्ला से पूछा कि धारा 11 में क्या बुरा है? संसद को ही लगा कि चुनाव आयोग को शक्ति सौंपी जा सकती है.
शुक्ला ने अपनी ओर से कहा कि इस प्रावधान को या तो रद्द कर दिया जाना चाहिए या इसकी फिर से व्याख्या की जानी चाहिए क्योंकि यह 'अत्यधिक प्रतिनिधिमंडल' के दोष से ग्रस्त है. इसके बाद कोर्ट ने मामले का परीक्षण करने का फैसला किया और केंद्र व अन्य से जवाब मांगा. अब इस मामले पर पांच दिसंबर को सुनवाई की जाएगी.
याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 (1), (2) और (3) और 9 की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती दी गई है. ये प्रावधान अयोग्यता की अवधि को दोषसिद्धि की तारीख से केवल छह वर्ष तक सीमित करती है.