18 लाख वोटर मृत मिले हैं... जानें बिहार वोटर लिस्ट पर चुनाव आयोग ने दिए हैं क्या 3 बड़े अपडेट

बिहार में SIR को लेकर चुनाव आयोग ने बड़ा अपडेट दिया है. वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन में 18 लाख वोटर मृत पाए गए हैं. 

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  • बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण कर 18 लाख मृत मतदाताओं के नाम पाए हैं.
  • लगभग 42 लाख मतदाता अपने पते पर नहीं मिले और 7.50 लाख से अधिक मतदाताओं ने कई स्थानों पर पंजीकरण कराया है.
  • चुनाव आयोग ने 21.36 लाख मतदाताओं की सूची साझा की जिनके फार्म अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं
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पटना:

बिहार में वोटर लिस्ट के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर संसद में जारी महासंग्राम के बीच चुनाव आयोग ने मंगलवार को तीन बड़े अपडेट दिए. पहला- वोटर लिस्ट सत्यापन की प्रक्रिया में अभी तक राज्य में 18 लाख वोटर मृत मिले हैं. दूसरा- 26 लाख वोटर ऐसे मिले हैं, जो दूसरे विधानसभाओं में शिफ्ट हुए हैं. और तीसरा- 7 लाख वोटर ऐसे हैं जिन्होंने दो जगह वोट बनवा रखे हैं. 


चुनाव आयोग ने कहा कि वह अपने बूथ स्तर के अधिकारियों और राजनीतिक दलों के बूथ स्तर के एजेंट के माध्यम से प्रत्येक मतदाता तक पहुंचने का प्रयास कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 1 अगस्त में प्रकाशित होने वाली मतदाता सूची से कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए. इससे पहले चुनाव आयोग ने शनिवार को बताया था कि बिहार में लगभग 42 लाख मतदाता अपने पते पर नहीं मिले, जबकि 7.50 लाख से अधिक मतदाताओं ने कई स्थानों पर अपना रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है. 

    SIR पर अडिग चुनाव आयोग 

    इस बीच मंगलवार को चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण को उचित ठहराते हुए कहा है कि यह सूची से अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है. बिहार से शुरू कर पूरे भारत में मतदाता सूची के एसआईआर का निर्देश 24 जून को दिया गया था.

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    इस निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में निर्वाचन आयोग ने दायर हलफनामे में कहा गया है कि कानूनी चिंताओं के बावजूद आयोग एसआईआर-2025 प्रक्रिया के दौरान पहचान के सीमित उद्देश्य के लिए आधार, मतदाता कार्ड और राशन कार्ड पर पहले से ही विचार कर रहा है. आयोग ने एक विस्तृत हलफनामे में कहा, 'एसआईआर प्रक्रिया मतदाता सूची से अपात्र व्यक्तियों को हटाकर चुनावों की शुचिता बढ़ाती है. मतदान का अधिकार लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धाराओं 16 और 19 के साथ अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 62 से प्राप्त होता है जिसमें नागरिकता, आयु और सामान्य निवास के संबंध में कुछ पात्रताओं की बात की गई है। एक अपात्र व्यक्ति को मतदान का कोई अधिकार नहीं है और इसलिए वह इस संबंध में अनुच्छेद 19 और 21 के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकता.'

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