असम पुलिस अब पेशेवर तरीके से अपने सभी कर्मचारियों-अधिकारियों, जिनमें भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी भी शामिल हैं, का बॉडी मास इन्डेक्स (BMI) रिकॉर्ड करेगी, ताकि आने वाले वक्त में 'नाकारा' हो चुके लोगों से पुलिस बल को छुटकारा दिलाया जा सके. पुलिसकर्मियों को अपनी फिटनेस पर काम करने के लिए तीन माह का समय दिया जाएगा, जिसके बाद BMI रिकॉर्ड किया जाएगा.
असम पुलिस के महानिदेशक (DGP) जी.पी. सिंह ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, "हमारी योजना असम पुलिस के सभी कर्मियों, IPS व APS अधिकारियों सहित, को 15 अगस्त तक तीन माह का समय देने की है, और फिर 15 दिन के भीतर हम BMI आकलन शुरू कर देंगे..."
जो कर्मी मोटापे की श्रेणी (BMI 30+) में आएंगे, उन्हें वज़न घटाने के लिए तीन और माह की पेशकश की जाएगी और उसके बाद उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) की पेशकश कर दी जाएगी. जी.पी. सिंह ने कहा कि जिन्हें हाइपोथायरॉयडिज़्म जैसी चिकित्सा समस्याएं होंगी, उन्हें छूट दी जाएगी. DGP का कहना था कि 16 अगस्त को BMI रिकॉर्ड करवाने वाले पहले शख्स वही होंगे. असम पुलिस में लगभग 70,000 कर्मचारी कार्यरत हैं.
असम पुलिस के शीर्ष अधिकारी ने पिछले हफ्ते बताया था कि उन्होंने 650 से भी ज़्यादा कर्मियों की एक लिस्ट बनाई है, जो कथित रूप से शराब पीने के आदी हैं या मोटे हैं, और उनमें से जो भी ड्यूटी के लिए अयोग्य पाए जाएंगे, उन्हें गहन समीक्षा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की पेशकश की जाएगी.
जी.पी. सिंह ने 8 मई को कहा था, "हमारे पास लगभग 680 लोगों की एक सूची पहले से मौजूद है... हालांकि बिना तार्किक आधार के कोई नाम लिस्ट में न जोड़ा जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए हमने बटालियनों और जिलों में समितियां गठित की हैं, जिनकी अध्यक्षता डिप्टी कमान्डेंट या एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी करेंगे..."
उन्होंने यह भी बताया कि जिन लोगों के नाम सूची में आ जाएंगे, लेकिन अगर वे VRS चुनने के इच्छुक नहीं होंगे, तो उन्हें फील्ड ड्यूटी नहीं दी जाएगी.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक के दौरान पुलिस बल से नाकारा लोगों को हटाने की पुरज़ोर तरफदारी की थी. इन लोगों में आदतन शराब पीने वाले, अत्यधिक मोटापे वाले कर्मियों के साथ-साथ वे कर्मी भी शामिल हैं, जिनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. मुख्यमंत्री का इरादा असम पुलिस बल को रेस्पॉन्सिव और एक्शन-ओरिएन्टेड बनाना है.
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, जो राज्य के गृहमंत्री भी हैं, ने बाद में यह भी कहा था, "सरकार के पास उन्हें VRS देने का प्रावधान है... यह एक पुराना नियम है, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया था... इस बार हमने इस पर काम करना शुरू कर दिया है... जिन लोगों को VRS की पेशकश की जाएगी, उन्हें उनका पूरा वेतन मिलता रहेगा और रिक्तियों को भरने के लिए नई भर्तियां की जाएंगी..."