गरीबों की मदद के नाम पर देश की तरक्की रोकने की कोशिश... NGOs को लेकर हुए खुलासे पर बोले प्रकाश जावड़ेकर

पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "ये भारत के खिलाफ साजिश है. भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. तरक्की कर रहा है. बाकी देश रुके हुए हैं. इसलिए भारत को भी रोकना है. इसी मकसद से ये NGO काम करते हैं."

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

इनकम टैक्स (Income Tax) के छापे में देश के कुछ बड़े NGO की भूमिका को लेकर गंभीर खुलासे सामने आए हैं. अंग्रेजी न्यूज पेपर 'इंडियन एक्सप्रेस' ने IT के दस्तावेजों की गहन छानबीन करके एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि कई NGO चैरिटी के नाम पर भारत में देश विरोधी एजेंडा चला रहे हैं. BJP नेता और पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इन NGO के मकसद को देश के खिलाफ बड़ी साजिश का हिस्सा करार दिया है. जावड़ेकर ने कहा, "ये NGO गरीबों की मदद के नाम पर देश की तरक्की रोकने का काम करती हैं. PM मोदी जिस गरीबी को मिटाने का काम कर रहे हैं, ये ताकतें उसमें बाधा डालने की कोशिश करती हैं."

प्रकाश जावड़ेकर ने NDTV से कहा, "पर्यावरण मंत्री रहते हुए मैंने ऐसे NGO देखें, जिनकी एनुअल रिपोर्ट में लिखा जाता है कि ये एक डेवलपमेंट प्रोजेक्ट था. हमने कोर्ट केस और आंदोलन करके इसे रोका. कोर्ट में केस जीतने के लिए बड़े-बड़े वकील हायर किए जाते हैं, जिनकी फीस करोड़ में होती है. सवाल ये है कि इतना पैसा आता कहां से है? इसमें किसी गरीब की मदद नहीं हो रही. बल्कि गरीबों की मदद के नाम पर देश की तरक्की रोकने का काम है. PM मोदी जिस गरीबी को मिटाने का काम कर रहे हैं, ये ताकतें उसमें बाधा डालने की कोशिश करती हैं."

देश की विकास परियोजनाएं रोकना चाहती हैं 5 NGO, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच में मिलीभगत का खुलासा

क्या ये आर्थिक गति को रोकने की कोशिश?
पूर्व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, "ये भारत के खिलाफ साजिश है. भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. तरक्की कर रहा है. बाकी देश रुके हुए हैं. इसलिए भारत को भी रोकना है. इसी मकसद से ये NGO काम करते हैं. ये NGO स्टील प्लांट या थर्मल प्लांट या कोयले की खदान का विरोध करते हैं. क्या विदेशों में ऐसे प्रोजेक्ट नहीं चलते हैं? बेशक बाकी देशों में ये प्रोजेक्ट्स चलते हैं. लेकिन, वहां ऐसे NGO काम नहीं करते हैं. भारत में ये NGO पैसे लेकर देश की ग्रोथ को रोकने की मुहीम चला रहे हैं."

Advertisement

डेमोक्रेटिक रिवाइवल का भी मकसद?
अमेरिकी बिजनेसमैन जॉन सोरोस ने खुलकर कहा है कि भारत में डेमोक्रेटिक रिवाइवल यानी लोकतांत्रिक पुनरुत्थान होना चाहिए. क्या इन NGO का ये भी मकसद है? इसके जवाब में प्रकाश जावड़ेकर कहते हैं, "IT की कार्रवाई में जिन NGO के बारे में खुलासा हुआ है, उसमें कई संस्थाएं मंत्री रहते मेरे पास आती थीं. हालांकि, मुझे पहले दिन से ही मालूम था कि इनका असली एजेंडा क्या है. इसलिए वो किसी भी भेष में आए, तो मैं समझता था कि उनका क्या मकसद है."

Advertisement

देशहित के ख़िलाफ़ काम कर रही NGOs, इनकम टैक्स विभाग ने क्या-क्या लगाए आरोप...?

प्रकाश जावड़ेकर कहते हैं, "मैं इन NGO से औपचारिकता के तौर पर मिलता भी था. लेकिन, मुझे पक्का यकीन था कि ये NGO राइट टू इंफोर्मेंशन का इस्तेमाल करके जानकारी लेंगे. इसे एक उदाहरण से समझिए. सरदार सरोवर पर एक्टिविस्ट मेधा पाटेकर का काफी आंदोलन चला. उसमें जो विस्थापित हुए, उनका री-डेवलपमेंट ढंग से होना चाहिए था. लेकिन NGO की दखल के बाद ऐसा न हो सका. अब हो रहा है. जाहिर तौर पर ये NGO पर्यावरण के नाम पर सिर्फ कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए देश की विकास की गति को रोकने की कोशिश करती हैं."

4 NGO की 75% फंडिंग विदेशी स्रोतों से
रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 5 NGOs पर विकास विरोधी एजेंडा चलाने का आरोप है. 5 में से 4 NGO की 75% फंडिंग विदेशी स्रोतों से हुई. इस फंड का इस्तेमाल कॉरपोरेट घरानों के प्रोजेक्ट्स के खिलाफ किया गया है. पांचों NGO वित्तीय रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. ये NGO अपने-अपने मिशन भी एक दूसरे से साझा करते हैं. भारत में जो तमाम प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, ये NGO उन्हें रोकने की साझा कोशिश करते हैं. डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को रोकने के लिए विरोध-प्रदर्शनों और आंदोलनों को हवा दी जाती है.

Advertisement

इन NGO की भूमिका संदिग्ध
पांच बड़े NGO के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह अहम आरोप लगाए थे. जिन NGO के खिलाफ कार्रवाई की गई थी, उनमें देश का प्रमुख थिंकटैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) और मल्टीनेशनल कन्फ़ेडरेशन ऑक्सफ़ैम (Oxfam) भी शामिल हैं. इसके अलावा एनवायरॉनिक्स ट्रस्ट (ET), लीगल इनिशिएटिव फ़ॉर फ़ॉरेस्ट एंड एनवायरनमेंट (LIFE) और केयर इंडिया सॉल्यूशन फ़ॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (CISSD) के खिलाफ एक्शन लिया गया है. 

Advertisement

'इंडियन एक्सप्रेस' का दावा है कि उसने वर्ष 2023 खत्म होने से पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा इन NGO को जारी किए गए 'इन्टीमेशन लेटर' को रिव्यू किया है. 100-100 पन्नों से भी लंबे इन लेटर में NGOs के खिलाफ लगाए गए अहम आरोपों को ट्रैक करने के लिए अलग-अलग एग्रीमेंटों, वित्तीय स्टेटमेंट, ईमेल और बोर्ड बैठकों में चर्चा में रही बातों की प्रतियां भी शामिल की गई हैं.

इनकम टैक्स रेड से कैसे खुला 5 NGO का काला चिट्ठा, पूरा मामला समझिए

Featured Video Of The Day
Parliament Session: Baba Saheb Ambedkar पर सियासत धक्का-मुक्की तक क्यों पहुंची? | Muqabala
Topics mentioned in this article