बीबीसी इंडिया के कार्यालयों में आयकर विभाग के सर्वे को लेकर गहरी चिंता जताते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मंगलवार को इसे सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों को 'डराने और परेशान करने' के लिए सरकारी एजेंसियों के उपयोग की 'प्रवृत्ति' की निरंतरता करार दिया. गिल्ड ने एक बयान जारी कर मांग की कि ऐसी सभी जांच में काफी सावधानी और संवेदनशीलता बरती जाए, जिससे पत्रकारों और मीडिया संगठनों के अधिकार कमजोर नहीं हों. गिल्ड का यह बयान कथित कर चोरी की जांच के तहत दिल्ली और मुंबई में बीबीसी के कार्यालयों में आयकर अधिकारियों के सर्वे अभियान के बाद आया है.
ब्रिटेन के सार्वजनिक प्रसारक ने कहा कि वह कर अधिकारियों के साथ 'पूरा सहयोग' कर रहा है. गिल्ड ने यहां एक बयान में कहा, 'आयकर विभाग का सर्वे सरकारी नीतियों या सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संगठनों को डराने और परेशान करने के लिए सरकारी एजेंसियों के उपयोग के चलन की निरंतरता है.'' गिल्ड ने कहा कि गुजरात में 2002 की हिंसा और भारत में अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति पर बीबीसी के वृत्तचित्रों के प्रदर्शन के बाद यह आईटी सर्वे किया गया है.
गिल्ड ने जिक्र किया कि 2021 में न्यूज़क्लिक, न्यूज़लॉन्ड्री, दैनिक भास्कर और भारत समाचार जैसे मीडिया संगठनों के कार्यालयों में भी आईटी सर्वे किए गए थे. उसने कहा, 'प्रत्येक मामले में, छापे और सर्वे समाचार संगठनों द्वारा सरकारी प्रतिष्ठान के आलोचनात्मक कवरेज की पृष्ठभूमि में थे.' गिल्ड ने कहा, 'यह एक प्रवृत्ति है, जो संवैधानिक लोकतंत्र को कमजोर बनाती है.' गिल्ड ने अपनी पुरानी मांग को दोहराया कि सरकारें सुनिश्चित करें कि इस तरह की जांच निर्धारित नियमों के तहत हों और वे स्वतंत्र मीडिया को डराने के लिए उत्पीड़न के तरीकों में नहीं बदल जाएं.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)