दिल्ली के आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को तीसरी बार ED का समन

अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री इस बार समन पर प्रवर्तन निदेशालय नहीं गए तो उसके पास उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट मांगने का विकल्प होगा.

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प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल से 3 जनवरी को उसके सामने पेश होने के लिए कहा है.
नई दिल्ली:

दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के दूसरे समन को ठुकराए जाने के एक दिन बाद एजेंसी ने अब उनको 3 जनवरी को उसके सामने पेश होने के लिए कहा है. केजरीवाल को एजेंसी ने गुरुवार को बुलाया था, लेकिन वे इससे एक दिन पहले पूर्व-निर्धारित 10-दिन के विपश्यना (ध्यान) के लिए रवाना हो गए.

यदि आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल 3 जनवरी को तीसरी बार समन पर ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए तो ईडी के पास उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट मांगने का विकल्प होगा.

गुरुवार को एजेंसी के समन का जवाब देते हुए केजरीवाल ने इसे "राजनीति से प्रेरित और अवैध" बताया था. 'आप' प्रमुख ने यह भी कहा था कि उन्होंने अपना जीवन पारदर्शिता और ईमानदारी से जीया है और उनके पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. केजरीवाल ने मामले के जांच अधिकारी को लिखे एक पत्र में कहा था कि व्यक्तिगत पेशी के लिए उनके खिलाफ जारी किया गया नोटिस “कानून के अनुरूप नहीं है” और इसे वापस लिया जाना चाहिए.

ईडी ने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्डरिंग मामले की जांच के सिलसिले में दिल्ली के मुख्यमंत्री को तीन जनवरी को पेश होने के लिए समन जारी किया है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को इससे पहले दो नवंबर और 21 दिसंबर को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन उन्होंने एजेंसी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया था.

केजरीवाल को जब पहली बार 2 नवंबर को पेश होने के लिए कहा गया था तब पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार चल रहा था. तब उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखकर समन वापस लेने के लिए कहा था.

केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि समन बीजेपी के इशारे पर भेजा गया. केजरीवाल ने पत्र में कहा था, “उक्त समन में यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है कि मुझे एक व्यक्ति के रूप में बुलाया जा रहा है, दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में मेरी आधिकारिक क्षमता में, या फिर 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में बुलाया जा रहा है."

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अप्रैल में इस मामले को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आप प्रमुख से पूछताछ की थी, लेकिन एजेंसी ने उन्हें आरोपी नहीं बनाया था.

उन्होंने उस समय एजेंसी और केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, "सीबीआई ने मुझसे कुल 56 सवाल पूछे. सब कुछ फर्जी है. मामला फर्जी है. मुझे यकीन है कि उनके पास हमारे खिलाफ कुछ भी नहीं है, एक भी सबूत नहीं है." 

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ईडी की ओर से पहला समन जारी किए जाने के बाद से ही ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को पूछताछ के बाद एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा. 'आप' के कई नेताओं ने भी इसी तरह के बयान जारी किए हैं.

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को इस मामले में फरवरी में गिरफ्तार किया गया था और आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को अक्टूबर में हिरासत में लिया गया था.

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