ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में जब्त की PFI की 57 करोड़ की प्रॉपर्टी

प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली पुलिस और एनआईए द्वारा दर्ज केसों के आधार पर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की 35 चल और अचल संपत्तियां जब्त की हैं. इन संपत्तियों की कीमत करीब 57 करोड़ रुपये है. इन संपत्तियों में कई ट्रस्ट, कम्पनियां और निजी संपत्तियां हैं. ईडी (ED) ने दिल्ली पुलिस और एनआईए (NIA) द्वारा दर्ज केसों के आधार पर मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया था.

जांच में पता चला कि पीएफआई के 29 खातों में देश और विदेश से फंड आया था. डमी फर्मों से फंड हवाला के जरिए और दूसरे तरीकों से भेजा गया था. ईडी इस मामले में फरवरी 2021 से मई 2024 तक पीएफआई से जुड़े 26 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. ईडी ने अपराध की 94 करोड़ रुपये आय का पता लगाया है.

प्रवर्तन निदेशालय ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) 2002 के प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की है. प्रवर्तन निदेशालय के मुताबिक एजेंसी ने 16 अक्टूबर को इन संपत्तियों को कुर्क किया. इससे पहले उसने 16 अप्रैल को 21.13 करोड़ रुपये मूल्य की 16 अचल संपत्तियों को भी कुर्क किया था. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और की अब तक एजेंसी द्वारा 56.56 रुपये मूल्य की कुल 35 अचल संपत्तियां कुर्क की गई हैं.

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ईडी के अनुसार, जांच से पता चला है कि सिंगापुर और खाड़ी देशों जैसे कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में पीएफआई के 13,000 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं. पीएफआई ने खाड़ी देशों में रहने वाले अनिवासी मुस्लिम प्रवासियों के लिए डिस्ट्रिक्ट एक्जीक्यूटिव कमेटियां (DEC) का गठन किया है. इन्हें पैसा एकत्रित करने का काम सौंपा गया था. प्रत्येक डीईसी को कई करोड़ रुपये इकट्ठे करने का टारगेट दिया गया था. विदेशों में जुटाई गई राशि को घुमावदार बैंकिंग चैनलों के साथ-साथ हवाला चैनलों के माध्यम से भारत में ट्रांसफर किया गया ताकि उनके ओरिजन का पता न लगाया जा सके. इसके बाद यह राशि पीएफआई और उसके पदाधिकारियों को उनकी आतंकवादी और गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सौंप दी गई.

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प्रवर्तन निदेशालय ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि, जांच से पता चला है कि पीएफआई के असली उद्देश्य इसके संविधान में बताए गए उद्देश्यों से अलग हैं. पीएफआई के असली उद्देश्यों में जिहाद के माध्यम से भारत में इस्लामी आंदोलन चलाने के लिए एक संगठन का गठन करना शामिल है, हालांकि पीएफआई खुद को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में पेश करता है. पीएफआई ने विरोध के अहिंसक तरीकों का इस्तेमाल करने का दावा किया, लेकिन सबूतों से पता चलता है कि उसके द्वारा अपनाए गए विरोध के तरीके हिंसक प्रकृति के हैं.

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पीएफआई के विरोध के कुछ तरीके

गृह युद्ध की तैयारी : गैर-हिंसक हवाई हमले, गेरिला थिएटर और इसके लिए एक अलग से टेली कम्युनिकेशन सिस्टम तैयार करने की प्लानिंग कर रहा था.
निर्दयता और शोषण : पीएफआई ने अपने सदस्यों को अधिकारियों को परेशान करने, उनको ठगने, सामाजिक संबंध बनाने के साथ दुनिया को मरा हुआ दिखाने के लिए नकली अंतिम संस्कार करने का भी निर्देश दिया था. 
राष्ट्र की एकता और संप्रभुता को कमजोर करना : भारत के खिलाफ साजिश के तहत पीएफआई राष्ट्र की एकता और अखंडता  को कमजोर करना चाहता है. इसके लिए वह कानूनों को तोड़ना, दोहरी पहचान और भारत के अंदर समानांतर सरकार चलाने समेत भारत के सीक्रेट एजेंटों की पहचान उजागर करना चाहता था. 

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं. उसने दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों में हिंसा भड़काने और परेशानी पैदा करने की साजिश की. हाथरस में साम्प्रदायिक माहौल को बिगाड़ने और आतंक फैलाने के लिए पीएफआई और सीएफआई (CFI) के सदस्यों ने दौरा किया. 

पीएफआई आतंकवादी ग्रुप बनाने की प्लानिंग के तहत, घातक हथियार और विस्फोटक सामग्री जमा करने और महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थानों समेत बड़े व्यक्तियों पर हमला करने की योजना बना रहा था. पीएफआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पटना यात्रा के दौरान अशांति फैलाने के लिए ट्रेनिंग केम्प बनाया था. उसने देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाले साहित्य तैयार किया.

ईडी ने बताया कि, पीएफआई फिजिकल एजुकेशन (PE) की आड़ में आक्रामक और रक्षात्मक युद्धाभ्यास सिखाने के लिए विभिन्न प्रकार के वार, घूंसे, लात, चाकू और डंडे से हमले का प्रशिक्षण दे रहा था. यह कक्षाएं नकली मालिकों के नाम से पंजीकृत संपत्तियों पर चलाई जाती थीं. दिलचस्प बात यह है कि पीएफआई के पास अपने नाम पर पंजीकृत एक भी संपत्ति नहीं है. 

पीई कक्षाओं की आड़ में हथियार प्रशिक्षण देने का ऐसा ही एक मामला 2013 में नारथ आर्म्स कैंप का सामने आया था. इसमें पीएफआई अपने कैडरों को कन्नूर जिले के नारथ में हथियार शिविर में विस्फोटकों और हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दे रहा था. इसका उद्देश्य विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और कैडरों को आतंकवादी गतिविधियों के लिए तैयार करना था.

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