प्रिशा पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के खिलाफ ED ने दायर की चार्जशीट, मनी लॉन्ड्रिंग का है आरोप

ED ने यह जांच सीबीआई, एसीबी, हैदराबाद द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की, जिसमें हुमायून नगर उप-डाकघर के अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्रिशा पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया था.

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प्रवर्तन निदेशालय हैदराबाद की टीम ने ने मनी लॉन्ड्रिंग के प्रावधानों के तहत प्रिशा पर्ल्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, इसके निदेशक नीलेश कुमार अग्रवाल और सैलेश कुमार अग्रवाल, घनश्यामदास ज्वेलर्स,  अग्रवंशी एग्रो फार्म्स एलएलपी और गजानंद अग्रवाल के खिलाफ चार्जशीट दायर की है. कोर्ट ने 1 मार्च 2025 को इस शिकायत का संज्ञान लिया.

ED ने यह जांच सीबीआई, एसीबी, हैदराबाद द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की, जिसमें हुमायून नगर उप-डाकघर के अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्रिशा पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया था.

 इसके बाद सीबीआई ने माननीय विशेष न्यायाधीश (सीबीआई मामले), हैदराबाद के समक्ष आरोपपत्र दायर किया. एफआईआर और आरोपपत्र के अनुसार, आरोपियों ने वैल्यू पेबल लेटर (VPL) / वैल्यू पेबल पोस्ट (VPP) के तहत अधिक वस्तुएं बुक कराकर डाक विभाग को 7.66 करोड़ रुपये का गलत नुकसान पहुंचाया.

डाक विभाग ने 'रिमोटली मैनेज्ड फ्रैंकिंग सिस्टम' लागू किया था और फ्रैंकिंग मशीनों के उपयोग के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOPs) निर्धारित की थीं. ये मशीनें विशिष्ट अनुक्रमिक क्रमांक वाले फ्रैंकिंग इंप्रेशन स्लिप्स प्रिंट करती थीं, ताकि बुक की गई डाक की सही संख्या का पता लगाया जा सके.

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 प्रिशा पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड ने दो ऐसी फ्रैंकिंग मशीनें खरीदी. डाक विभाग थोक मेल भेजने वालों को बारकोड प्रदान करता था, जिसका उपयोग VPL/VPP लेखों की ट्रैकिंग के लिए किया जाता था. डाक विभाग ने पाया कि  प्रिशा पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड ने फर्जी फ्रैंकिंग इंप्रेशन स्लिप्स बनाकर बिना वास्तविक डाक शुल्क भुगतान किए पार्सल बुक किए.

 ईडी की जांच से पता चला कि कंपनी और उसके निदेशकों ने उस अवधि में वास्तविक टर्नओवर को कम दिखाया और रंगीन फोटोकॉपी किए गए फ्रैंकिंग इंप्रेशन स्लिप्स का उपयोग करके अधिक संख्या में पार्सल भेजे. इस अपराध के जरिए प्रिशा पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड ने डाक विभाग को 7.66 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया. अपराध से आय को नकद में निकाला गया और धन के स्रोत को छिपाने के लिए निदेशकों और उनके परिवार के सदस्यों के व्यक्तिगत बैंक खातों में जमा किया गया.

इस धन को कई बैंकिंग लेनदेन के माध्यम से घुमाया गया और आरोपियों के पारिवारिक व्यवसायों में खर्च किया. ईडी ने इससे पहले प्रिशा पर्ल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों और संबंधित संस्थाओं के 4.36 करोड़ रुपये मूल्य के बैंक बैलेंस को अटैच किया था.

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