Lok Sabha Elections 2024: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने NDTV से एक इंटरव्यू में बताया कि विशेष दर्जा खत्म होने के बाद राज्य में सामान्य स्थिति में रह रहे जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के लोग सच्चे लोकतंत्र की तलाश करने के लिए उत्साहित हैं. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और राज्य में चुनाव कराने के बारे में उधमपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 12 अप्रैल के भाषण का जिक्र करते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि, विपक्ष सीमावर्ती राज्य में जमीनी हालात का गलत चित्रण करके लोगों को गुमराह कर रहा है.
जितेंद्र सिंह जम्मू कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार हैं. इस सीट पर 19 अप्रैल को मतदान हुआ था.
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने एनडीटीवी से कहा, "जम्मू-कश्मीर में दशकों से चुनाव हो रहे थे, लेकिन मतदान का प्रतिशत बहुत कम रहता था. यह लोकतंत्र का मजाक था कि हमारा मतदान प्रतिशत करीब 10 प्रतिशत था. लोग सांसद और विधायक चुनते थे, और विशेष रूप से कश्मीर घाटी में वे पीढ़ी दर पीढ़ी सांसद, विधायक, मंत्री बनते रहते थे.''
जितेंद्र सिंह ने वंशवादी राजनीति पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, "उन्होंने अब उग्रवाद की निरंतरता में एक निहित स्वार्थ ढूंढ लिया है. उग्रवाद और आतंकवाद की छाया में वे सीमित मतदान के साथ करीबी चुनाव करा सकते हैं, जिसे वे निश्चित तौर पर मैनेज करेंगे, और फिर वे अपनी जीत के लिए चुनाव दर चुनाव प्रबंधन करते रहेंगे.“
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी वाला अब्दुल्ला परिवार एक मजबूत राजनीतिक ताकत रहा है.
जितेंद्र सिंह ने कहा, "अब जब यह (जम्मू-कश्मीर) खुल गया है, तो मुझे लगता है कि यह लोकतंत्र की सच्ची भावना है कि हमारे यहां भारी मतदान हुआ. जिला विकास परिषद (DDC) चुनाव में भी अच्छा मतदान हुआ."
केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था. इसके बाद डीडीसी चुनाव हुआ था.
सिंह ने कहा कि, "यहां तक कि कश्मीर घाटी में भी (डीडीसी चुनाव) में भारी मतदान हुआ. स्थिति नाटकीय रूप से बेहतर हो गई है. इसका सबसे साफ प्रमाण के लिए यह तथ्य है कि कश्मीर घाटी में दो करोड़ से अधिक पर्यटक आए. कोई भी पर्यटक सिर्फ सरकार या किसी ट्रैवल एजेंसी द्वारा दिए गए आश्वासन जोखिम नहीं उठाएगा, जब तक कि उन्हें या उनके परिवार को अपने स्रोतों से जानकारी न मिल जाए.'' उन्होंने कहा कि, इन हालात ने कश्मीर घाटी की सड़कों पर आम आदमी को बाहर आने के लिए प्रोत्साहित किया है और यहां सच्चे लोकतंत्र की आकांक्षा जगी है.