BJP, कांग्रेस हो या लेफ्ट, DUSU चुनाव पर क्यों आता है हर दल का दिल, जानिए

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव न सिर्फ छात्र राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति की “नर्सरी” और छवि गढ़ने का मंच भी माना जाता है. यहां जीतना-हारना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही मायने रखता है धारणा.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
DUSU Election 2025: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए मतदान करती छात्राएं.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पदों के लिए आज मतदान हुआ.
  • इस चुनाव में कुल 21 उम्मीदवार भाग ले रहे हैं, जिनमें मुख्य मुकाबला ABVP और NSUI के बीच माना जा रहा है.
  • DUSU चुनाव को राष्ट्रीय राजनीति की नर्सरी माना जाता है, जहां से कई दिग्गज नेता राजनीति में उभरे हैं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

DUSU Election 2025: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 के लिए गुरुवार को केंद्रीय पैनल के चार पदों अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के लिए मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. अब शुक्रवार को मतगणना के बाद यह तय होगा कि इन चारों पदों पर कौन विजयी होगा. इस बार कुल 21 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन मुख्य मुकाबला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और कांग्रेस समर्थित नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के बीच माना जा रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) चुनाव न सिर्फ छात्र राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति की “नर्सरी” और छवि गढ़ने का मंच भी माना जाता है. यहां जीतना-हारना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही मायने रखता है धारणा (Perception).

DUSU चुनाव से निकले देश के कई दिग्गज नेता

यह चुनाव बताता है कि कौन-सा छात्र नेता भविष्य में देश की राजनीति में बड़ा नाम बन सकता है. 1950-60 के दशक से शुरू हुए इन चुनावों ने धीरे-धीरे राष्ट्रीय पार्टियों को अपनी ओर खींचा. छात्र संगठनों ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की और यह मंच कई दिग्गज नेताओं की पहली सीढ़ी बना.

जिसमें पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, ललित माकन, अलका लांबा, प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, विजय गोयल जैसे नेता DUSU से ही निकले और बाद में राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हुए. यानी यहां की जीत या लोकप्रियता आने वाले समय की संभावनाओं का संकेत मानी जाती है. दिल्ली की मौजूदा सीएम रेखा गुप्ता भी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव से ही निकली हैं.

इस बार प्रशासन ने और सख्त किए नियम

चुनाव प्रक्रिया में नामांकन, प्रचार, मतदान और मतगणना शामिल हैं. छात्र संगठन हर साल नए नारे, रोड शो और अब डिजिटल प्रचार से छात्रों को आकर्षित करते हैं. इस बार प्रशासन ने नियम और कड़े किए हैं — एक लाख रुपये का जमानत बॉन्ड, पोस्टर-बैनर, रैली, रोड शो और लाउडस्पीकर पर रोक; उल्लंघन पर ₹25,000 तक जुर्माना. यह सब मिलकर एक “स्वच्छ चुनाव” की छवि गढ़ने की कोशिश है.

फिर भी कुछ स्थायी तत्व बने रहते हैं. बड़े राजनीतिक दलों से जुड़े संगठनों का वर्चस्व, प्रचार शैली में दिखावा और खर्च, और चुनावी वादों पर उठते सवाल. लेकिन धारणा यहीं बनता है — कौन नेता नियमों में रहते हुए भी छात्रों को अपने साथ खींच पाता है, कौन सोशल मीडिया पर छा जाता है, कौन भाषण से भीड़ बांधता है.

जातिगत, क्षेत्रीय, भाषाई विविधता और स्थानीय मुद्दे (परिवहन, फीस, हॉस्टल, महिला सुरक्षा, पानी) हर साल एजेंडे में रहते हैं. इस बार भी सोशल मीडिया ने इन्हें और धार दी. इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर पर छात्र संगठन पहले से अधिक आक्रामक हुए. यह सब केवल वोट नहीं, बल्कि छवि निर्माण की लड़ाई भी है.

Advertisement

कई छात्रों के लिए यह चुनाव राजनीति में प्रवेश का मंच है, जबकि कुछ के लिए कॉलेज जीवन में रुतबा दिखाने का जरिया. लेकिन जो भी इस रण में जीतता या चर्चित होता है, उसे मीडिया, पार्टी और छात्र राजनीति में “भविष्य के नेता” के तौर पर देखा जाता है.

लोकतंत्र की प्रयोगशाला मानी जाती है DUSU चुनाव

कुल मिलाकर, DUSU चुनाव में हर साल चेहरे, मुद्दे और प्रचार की तकनीकें बदलती हैं; मगर सत्ता संतुलन, संगठनात्मक वर्चस्व और धारणा की राजनीति वैसी ही रहती है. यह लोकतंत्र की प्रयोगशाला है जहां से भविष्य के नेता निकलते हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 के चुनाव किसे इस छवि की दौड़ में आगे बढ़ाते हैं. अब देखना है कि शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र किसे अपना नेता चुनते हैं.

(इनपुट- हरिकिशन शर्मा)

Advertisement

यह भी पढ़ें - दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ को क्या 17 साल बाद मिल पाएगी महिला अध्‍यक्ष? जानें क्‍या बन रहे समीकरण

Featured Video Of The Day
IND vs PAK Match: बल्ले की बंदूक वाले पाकिस्तानी 'आतंकी'! Farhan की करतूत पर बवाल | Syed Suhail