हकीकत बयां कर रहीं पानी की सूखी टोंटियां, मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन का सच सामने आया

जल जीवन मिशन में टारगेट 64.59 फीसदी काम करने का था. यानी अब तक करीब 79 लाख घरों तक पानी पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन सरकारी किताबों में पहुंचा है, 44.64 लाख यानी (36.5 प्रतिशत) घरों में.

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मध्य प्रदेश जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल और जल पहुंचाने की योजना
भोपाल:

केंद्र सरकार देश के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को घर में पानी की सुविधा 2024 तक उपलब्ध करवाना चाहती है. इस उद्देश्य से देश में अगस्त 2019 से जल जीवन मिशन शुरू हुआ था. सरकारी आंकड़े कहते हैं कि मध्य प्रदेश में 36.5 फीसदी ग्रामीण आबादी को नल से जल मिलने लगा है. इस मामले में एक करोड़ से अधिक परिवार वाले राज्यों में मध्यप्रदेश इस मामले में चौथे नंबर पर है, लेकिन हकीकत कुछ अलग ही नजर आती है. प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था, आने वाले दिनों में जल जीवन मिशन को लेकर आगे बढ़ेंगे, आने वाले नर्षों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जल जीवन मिशन के लिये खर्च करने का निर्णय लिया है.

जल शक्ति राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल का कहना है कि दो महत्वपूर्ण विजन हैं एक है हर घर जल दूसरा आत्ननिर्भर भारत. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में 2024 तक कुल 1 करोड़ 22 लाख घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जाने हैं. 17 दिसंबर 2021 तक प्रदेश में 44.64 लाख यानी (36.5 प्रतिशत) परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध करा दिए गए हैं. जबकि पेयजल कनेक्शन को लेकर आलम ये है कि पिछले माह खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पैतृक गांव में पेयजल कनेक्शन में गड़बड़ी को लेकर बिफर गए थे.

शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से कहा था, कर क्या रहे हो मेरे क्षेत्र में ही पानी नहीं जा रहा, ये क्या मेरा काम है अगर एक जगह शिकायत आई तो तुम नहीं रहोगे क्या एक-एक टोंटी मैं देखूंगा ये मुख्यमंत्री का काम है. विदिशा के गुलाबगंज में ऐसे ही आधे अधूरे पाइप या हैंडपैंप से पानी भरते बच्चे दिखे. स्थानीय ग्रामीण वीर सिंह यादव ने कहा कि कभी पानी नहीं आया तो टैंकर से खरीदते हैं सभी. मंत्री आते हैं और चले जाते हैं कुछ नहीं हुआ. सायमा का कहना है कि पानी कभी आता ही नहीं, बस चुनाव के वक्त पाइप डल जाता है.

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शैलेन्द्र शर्मा ने बताया कि नल जल योजना में पानी नहीं दिया गया. टंकी खाली है और 2 साल से नल नहीं दिया. सब बंद हैं, ये पाइप दिखाने के लिए हैं. बेनी प्रसाद ने कहा कि पानी आधी रात भरते हैं हैंडपैंप से गर्मी में खरीदते हैं. भसौंदा गांव की भी यही हकीकत है. आंकड़े कहते हैं लगभग 45 लाख घरों को नल का पानी मिलने लगा है लेकिन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने नल तो लगा दिए हैं, लेकिन उनसे जल नहीं पहुंचता.

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जल जीवन मिशन का पोर्टल कहता है भोपाल की 4 पंचायतों  में नल से जल पहुंच रहा है, बैरसिया के भैंसोदा पंचायत फंक्शनल हाउसहोल्ड टेप कनेक्शन में रखा गया है यानी  हर घर में नल और पीने का पानी लेकिन गांववाले कहते हैं 3 महीने तक उन्हें नल से पानी मिला. लेकिन उसके बाद से नल सूखे ही पड़े रहे. लोग कैमरे पर आने से डर रहे थे लेकिन सारी बातें विस्तार से बताईं. ग्रामीणों का कहना है कि पानी नहीं आ रहा है, पानी कहीं से कहीं नहीं आ रहा है, फालतू का नल लगाया है चल ही नहीं रहा है. पंचायत भवन के परिसर में ही बनी आंगनबाड़ी में नल बंद पड़े हुए है। बच्चे हैंडपंप से ही पानी पी रहे हैं.

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गौरतलब है कि जल जीवन मिशन शुरू होने से पहले मध्यप्रदेश में 13.23 लाख घरों में नल कनेक्शन थे.जल जीवन मिशन में टारगेट 64.59 फीसदी काम करने का था. यानी अब तक करीब 79 लाख घरों तक पानी पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन सरकारी किताबों में पहुंचा है, 44.64 लाख यानी (36.5 प्रतिशत) घरों में.

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सरकार देरी की बात मानती है, पहली वजह कांग्रेस दूसरी कोरोना को बताती है.कांग्रेस का आरोप है सब कुछ किताबी है. लोक यांत्रिकी विभाग के मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव ने कहा, उस वक्त यहां कांग्रेस की सरकार थी अगर कांग्रेस तुरंत एक्शन लेती तो 1 साल उन्होंने खराब कर दिया. हमने सोचा था लेकिन अगले साल कोरोना महामारी आ गई.कहीं से शिकायत आती है तो तुरंत जांच करते हैं उसी दिन रिपोर्ट मांगते हैं.

पूर्व कानून मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि विभाग का सरकार की नाकामी है. करोड़ों खर्च होने के बाद भी पानी नहीं मिलता तो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. सब कागजी कार्रवाई होती है पता नहीं क्यों फेल पर फेल हो रहे हैं.

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