JNU में हो रहा है दोस्तोएव्स्की की White Nights पर आधारित नाटक 'चांदनी रातें' का मंचन

रूस और भारत के 500 लेखक-कलाकार और बुद्धिजीवी 3 दिन के आयोजन में जुटेंगे.

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  • JNU के रूसी भाषा, साहित्य व संस्कृति अध्ययन केंद्र में तीन दिवसीय खास आयोजन केंद्र की हीरक जयंती पर हो रहा है.
  • यहां दोस्तोएव्स्की के प्रसिद्ध उपन्यास White Nights पर बने नाटक 'चाँदनी रातें' के अंश भी प्रस्तुत किए जाएंगे.
  • दोस्तोएव्स्की के पोते अलेक्सी दिमित्रीविच भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं जो एक प्रसिद्ध संगीतकार और गिटार वादक हैं
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दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के रूसी भाषा, साहित्य और संस्कृति अध्ययन केंद्र में बुधवार को तीन दिन का एक विशेष आयोजन शुरू हुआ है जो 14 नवंबर तक चलेगा. इस अवसर पर भारत और रूस के लगभग 500 प्रतिष्ठित लेखक, कलाकार, पूर्व राजनयिक, राजदूत और विचारक जुट रहे हैं. यह आयोजन केंद्र की हीरक जयंती (60 वर्ष) के उपलक्ष्य में हो रहा है. इस सम्मेलन में केंद्र के पिछले साठ सत्रों के विद्यार्थी भी शामिल हो रहे हैं और वे अतीत, वर्तमान तथा भविष्य के सांस्कृतिक संबंधों पर गहन विचार-विमर्श करने वाले हैं.

ख़ास बात ये है कि रूस के महान लेखक फ़्योदोर दोस्तोएव्स्की के पोते अलेक्सी दिमित्रीविच दोस्तोएव्स्की भी इसमें हिस्सा ले रहे हैं जो ख़ुद एक प्रसिद्ध संगीतकार और बेस गिटार वादक हैं और सेंट पीटर्सबर्ग में रहते हैं.

कार्यक्रम में दोस्तोएव्स्की के प्रसिद्ध उपन्यास ‘रजत रातें' (White Nights) पर आधारित नाटक “चाँदनी रातें” के अंश भी प्रस्तुत किए जाएंगे. यह प्रस्तुति अपने संगीत, मंच-सज्जा, प्रकाश और लाइव गायन के लिए देश भर में अत्यंत सराही जा चुकी है. अब तक इसके दस शो मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में हो चुके हैं. इस नाट्य प्रस्तुति को आदित्य बिरला समूह के सांस्कृतिक सौजन्य से प्रस्तुत किया गया है.

यह नाटक रूसी कहानी का परिवेश जस का तस रखते हुए उसे भारतीय संगीत की आत्मा से सजाता है- ठुमरी, कजरी, चैती और नौटंकी की शैली में. संवादों में हिंदी के प्रसिद्ध कवि विनोद कुमार शुक्ल और नरेश सक्सेना की कविताओं का प्रयोग इसे और भी गहराई देता है. भारतीय संगीत और कविता के इस समन्वय ने प्रस्तुति को अत्यंत भावनात्मक और आकर्षक बना दिया है. 

नाटक की निर्देशक पूर्वा नरेश कहती हैं, “जब हमारा रूस टूर स्थगित हुआ, तो दिल टूट गया. यह नाटक इसी वर्ष रूस में तीन शहरों में होना था. किंतु किन्हीं कारणों की वजह से यह स्थगित हो गया. हमारा सपना था कि हम दोस्तोएव्स्की की समाधि पर जाकर नमन करें. अब यह जानकर रोमांच हो रहा है कि उनके पौत्र एक कलाकार हैं और हम उनसे मिल सकेंगे."

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