सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली एक याचिका पर गुरुवार को केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया. इस मुद्दे पर एनडीटीवी ने याचिका कर्ता सुभाषिनी अली से बात की. सुभाषिनी अली ने कहा कि इंसाफ का दरवाजा अभी बंद नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि आज की सुनवाई से हमें काफी उम्मीदें थी. अदालत ने कहा भी कि ये गलत है कि हमारे आदेश पर दोषियों को रिहा किया गया है. यह एक ऐसी बात थी जिससे हम लोगों को काफी राहत मिली है. हमारे वकील की तरफ से भी कई बातें रखी गयी. अदालत ने गुजरात सरकार से इस मामले में जवाब भी मांगा है.अदालत ने यह भी कहा कि जल्द से जल्द अगली सुनवाई होनी चाहिए.
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं को सजा में छूट पाने वाले सभी 11 लोगों को मामले में पक्षकार बनाने को कहा है. इस पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ भी शामिल थे.न्यायालय ने मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. गोधरा में 2002 में ट्रेन जलाए जाने के बाद गुजरात में भड़की हिंसा के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार किया गया था. उस समय उसकी आयु 21 वर्ष थी और वह पांच महीने की गर्भवती थी. इस दौरान जिन लोगों की हत्या की गई थी, उनमें उसकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.
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