देश में इस समय 731 मेडिकल कॉलेज काम कर रहे हैं.यह जानकारी सरकार ने लोकसभा में दी है.सरकार के मुताबिक इन मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की एक लाख 12 हजार 112 सीटें हैं. इसी तरह पीजी की 72 हजार 627 सीटें हैं. सरकार ने बताया है कि जुलाई 2024 तक राज्यों के मेडिकल काउंसिल और नेशनल मेडिकल कमीशन में 13 लाख 86 हजार 136 एलोपैथिक डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं.
लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के खलीलुर रहमान के एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि अनुमान के मुताबिक 80 फीसदी रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर और आयुष के पांच लाख 65 हजार डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं. स्वाथ्य मंत्री के मुताबिक देश में डॉक्टर और नागरिकों का अनुपात 836 नागरिकों पर एक डॉक्टर का है. यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुपात 1000 हजार लोगों पर एक डॉक्टर के अनुपात से बेहतर है.
कितने अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज बनाया गया है
इसके साथ ही सरकार ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का स्तर बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं. नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के तहत जिला और रेफरल अस्पतालों को विकसित कर 157 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की इजाजत दी गई है. इनमें से 109 पहले से ही काम कर रहे हैं.
इसके साथ ही देश में राज्यों और केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी की सीटें बढ़ाई जा रही हैं. इस तरह से देश के 83 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की चार हजार 977 सीटें बढ़ाई गई हैं. इसके लिए पांच हजार 972 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. वहीं पहले चरण में 72 मेडिकल कॉलेजों में पीजी की चार हजार 58 सीटें बढ़ाई गई हैं.इसके लिए 14 सौ 98 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. इसके दूसरे चरण में 65 मेडिकल कॉलेजों में पीजी की चार हजार सीटें बढाने के लिए चार हजार चार सौ 78 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं.
इस तरह से बढ़ाया जा रहा है शिक्षा का स्तर
सरकार ने लोकसभा में बताया कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक का निर्माण कर सरकारी मेडिकल कॉलेजों को उन्नत बनाया जा रहा है. इसके तहत 75 प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं. इनमें से 66 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं.
इसी तरह नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की स्थापना की योजना के तहत 22 नए एम्स बनाए गए हैं. इनमें से 19 में स्नातक की पढ़ाई शुरू हो चुकी है.
मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने डीएनबी डिग्रीधारियों को शिक्षक नियुक्त करने को मंजूरी दी है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक, डीन, प्रधानाचार्य और डायरेक्टर पर नियुक्ति, सेवा विस्तार, फिर नौकरी पर रखने के लिए आयु सीमा को बढ़ाकर 70 साल कर दिया है.
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