परिसीमन के खिलाफ चेन्नई में विपक्षी दलों का शक्ति प्रदर्शन, सर्वदलीय बैठक में भाग लेने पहुंचे ये नेता

परिसीमन के खिलाफ विपक्षी दलों को लामबंद करने के लिए चेन्नई में एक सर्वदलीय बैठक चल रही है. इसमें चार राज्यों के मुख्यमंत्री और एक राज्य के उपमुख्यमंत्री शामिल हैं. बैठक डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने बुलाई है.

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परिसीमन के खिलाफ चेन्नई में विपक्षी दलों का शक्ति प्रदर्शन, सर्वदलीय बैठक में भाग लेने पहुंचे ये नेता
नई दिल्ली:

परिसीमन के मुद्दे पर तमिलनाडु में सरकार चला रही डीएमके ने शनिवार को चेन्नई में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.यह बैठक चेन्नई के आईटीसी ग्रांड चोला होटल में चल रही है. इस बैठक में विपक्षी एकता प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है. बैठक में केरल, तेलंगाना और पंजाब के मुख्यमंत्री के मुख्यमंत्री और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री के शामिल हुए हैं. बैठक में ओडिशा के बीजू जनता दल और तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति भी शामिल हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही तृणमूल कांग्रेस ने इस बैठक से दूरी बना ली है. 

कौन कौन शामिल हैं विपक्ष की बैठक में

दक्षिण भारत के राज्यों में परिसीमन के खिलाफ बढ़ते रोष के बीच यह बैठक बुलाई गई है. इसकी पहल की है तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने. वो परिसमीन को लेकर काफी मुखर हैं. उन्होंने कहा कि यह बैठक भारतीय संघवाद के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित होगा. 

सर्वदलीय बैठक में शामिल होने पहुंचे केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का स्वागत करती डीएमके नेता कनिमोई.

विपक्षी एकता के इस प्रदर्शन में केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल हैं. इनके अलावा कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के भी इस बैठक में शामिल हो रहे हैं. बैठक में बीजू जनता दल (बीजद) और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को भी आमंत्रित किया गया है.बैठक का न्योता तो पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को भी दिया गया था, लेकिन उसने इससे दूरी बनाना ही बेहतर समझा. 

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एमके स्टालिन का संदेश

स्टालिन ने बैठक को लेकर शुक्रवार को एक वीडियो संदेश जारी किया था. इसमें स्टालिन ने कहा है कि जिन राज्यों ने अपनी जनसंख्या वृद्धि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर किया और राष्ट्रीय प्रगति में योगदान दिया, उन्हें परिसीमन के जरिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा,"यह भारत में संघवाद की नींव पर प्रहार करेगा. यह लोकतंत्र के सार को ही कमजोर कर देगा."

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