आईटी नियम पर खंडित फैसला : एक न्यायाधीश ने इसे सेंसरशिप के समान कहा, दूसरे ने असहमति जताई

न्यायमूर्ति गोखले ने कहा कि नियम किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते, न ही वे एकतरफा हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में नियम फर्जीवाड़े से परे तथ्यों पर चर्चा और सूचना के प्रसार को प्रोत्साहित करते हैं, जबकि, न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि सरकार जबरदस्ती भाषण को सही या ग़लत के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकती है और इसे हटाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है, क्योंकि यह एक तरह से ‘‘सेंसरशिप’’ के समान होगा.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins

मुंबई: फर्जी खबरों पर संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक खंडित फैसले में, बंबई उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बुधवार को कहा कि ये सेंसरशिप के समान हैं, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि नियमों का मुक्त अभिव्यक्ति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है. न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने अलग-अलग फैसले सुनाए.

न्यायमूर्ति पटेल ने संबंधित नियमों को असंवैधानिक करार दिया, जबकि न्यायमूर्ति गोखले ने याचिकाएं खारिज कर दीं. इस वजह से मामला अब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा जो इसे तीसरे न्यायाधीश को सौंपेंगे.

न्यायमूर्ति पटेल ने कहा, ‘‘हमारे बीच असहमति है. मैंने याचिकाओं पर विचार किया है और न्यायमूर्ति गोखले ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया है. इसलिए अब इस मामले की सुनवाई तीसरे न्यायाधीश द्वारा नए सिरे से की जाएगी.''

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को दिए गए पहले के आश्वासन को 10 दिन के लिए बढ़ाने पर सहमति जताई कि जब तक फैसला नहीं आ जाता, सरकार सोशल मीडिया पर फर्जी, झूठे और भ्रामक तथ्य चिह्नित करने के लिए संशोधित आईटी नियमों के तहत स्थापित की जाने वाली फैक्ट चेकिंग यूनिट (एफसीयू) को अधिसूचित नहीं करेगी.

नियमों के तहत, यदि एफसीयू को ऐसे किसी पोस्ट के बारे में पता चलता है या उसके बारे में सूचित किया जाता है जो फर्जी, गलत है या जिसमें सरकार के कामकाज से संबंधित भ्रामक तथ्य हैं, तो वह इसे सोशल मीडिया मध्यस्थों को भेज देगा. इसके बाद पोस्ट को हटाने या उस पर अस्वीकरण का विकल्प होगा. दूसरा विकल्प चुनने पर मध्यस्थ कंपनियों को कानूनी छूट नहीं मिलेगी और वे कानूनी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे.

न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि कोई भी मौलिक अधिकार यह नहीं कहता कि प्रत्येक नागरिक को केवल ‘‘सरकार द्वारा निर्धारित सच्ची और सटीक जानकारी'' प्राप्त होनी चाहिए. दूसरी ओर, न्यायमूर्ति गोखले का मानना था कि फर्जी या असत्य जानकारी साझा करने का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि उपयोगकर्ता जानबूझकर फर्जी या भ्रामक जानकारी साझा करता है, भले ही उसे एफसीयू द्वारा चिह्नित किया गया हो...तो अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा नहीं होगी.''

Advertisement

न्यायमूर्ति गोखले ने कहा कि नियम किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करते, न ही वे एकतरफा हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में नियम फर्जीवाड़े से परे तथ्यों पर चर्चा और सूचना के प्रसार को प्रोत्साहित करते हैं, जबकि, न्यायमूर्ति पटेल ने कहा कि सरकार जबरदस्ती भाषण को सही या ग़लत के रूप में वर्गीकृत नहीं कर सकती है और इसे हटाने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है, क्योंकि यह एक तरह से ‘‘सेंसरशिप'' के समान होगा.

न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में सबसे बड़ी कठिनाई यह हुई कि सरकार के पास किसी सामग्री या अभिव्यक्ति को सत्य मानने के एकतरफा निर्णय पर पहुंचने का सर्वोपरि अधिकार है.

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘कोई दिशानिर्देश नहीं हैं, सुनवाई के लिए कोई प्रक्रिया नहीं है, इस मामले का विरोध करने का कोई अवसर नहीं है कि कुछ जानकारी नकली, गलत या भ्रामक है...नियम स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार को अपने मामले में न्यायाधीश बनाते हैं.''

हालांकि, गोखले ने कहा कि नियम मध्यस्थ को सामग्री पर अस्वीकरण लगाने का अवसर प्रदान करते हैं और एफसीयू को केवल सरकार से संबंधित किसी भी कामकाज से संबंधित जानकारी की पहचान करने का काम सौंपा गया है.

Advertisement

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' और ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन्स' ने नियमों के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं थीं, उन्हें मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए दावा किया था कि उनका नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर भयानक प्रभाव पड़ेगा.

छह अप्रैल, 2023 को, केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में कुछ संशोधनों की घोषणा की थी.
 

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Bangladeshi Infiltration in Delhi: Delhi में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले में एक्शन
Topics mentioned in this article