"हम सभी के लिए अपमान...." : बंगाल के मंत्री के 'करीबी' के घर से करोड़ों की बरामदगी पर TMC के प्रवक्ता बोले

पार्टी मुखपत्र "जागो बंगला"  ने पार्थ को पार्टी के जेनेरल सेक्रेटरी और मंत्री के तौर पर वर्णित करना छोड़ दिया है. हालांकि, मुखपत्र के संपादक के रूप में उनका नाम प्रिंटर की पंक्ति में बना हुआ है.

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घोटाला उस वक्त हुआ है, जब शिक्षा विभाग पार्थ के जिम्मे था. 
नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल में एसएससी के तहत शिक्षक बहाली प्रक्रिया में कथित रूप से घोटाले के आरोपों में घिरे बंगाल कैबिनेट मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी के प्रति पार्टी ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. मंत्री की करीबी अर्पिता घोष के दो घरों से करीब 50 करोड़ नकद और पांच किलो सोना व फॉरेन एक्सचेंज बरामद होने के बाद पार्टी उनसे अलग-थगल दिख रही है. विवादों में घिरे मंत्री के संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी प्रवक्ता ने कहा, " वे हम सभी के लिए अपमान और शर्मिंदगी लेकर आए हैं." 

पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, " ये कार्रवाई चिंतन का विषय है. ऐसी घटनाएं पार्टी और पार्टी नेताओं के लिए अपमान और शर्मिंदगी लेकर आईं हैं. वे (पार्थ चटर्जी) ये कह रहे कि मंत्री पद से वो इस्तीफा नहीं देंगे. लेकिन वे पब्लिक डोमेन में ये क्यों नहीं कह रहे कि वो निर्दोष हैं. ऐसा करने से उन्हें क्या रोक रहा है." उन्होंने कहा, " वे ममता कैबिनेट में कई पदों पर हैं, ऐसे में उन्हें बताना चाहिए कि वे एक प्रभावशाली व्यक्ति होने का टैग कैसे त्यागेंगे."

कुणाल घोष ने बताया कि पार्थ वाणिज्य और उद्योग, संसदीय मामलों, सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स, सार्वजनिक उद्यम और औद्योगिक पुनर्निर्माण मंत्री हैं. उन्हें प्रवर्तण निदेशालय ने कोलकाता कोर्ट में प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में वर्णित किया है. पार्थ के संबंध में पार्टी प्रवक्ता द्वारा की गई इस टिप्पणी को पार्टी का मंत्री के प्रति स्टैंड समझा जा रहा है. गौरतलब है कि शनिवार को अपनी गिरफ्तारी के बाद पार्थ ने कहा था कि दोष सिद्ध होने तक पार्टी उन्हें मंत्री या अन्य किसी भी पद से नहीं हटाएगी. 

पार्टी मुखपत्र "जागो बंगला"  ने पार्थ को पार्टी के जेनेरल सेक्रेटरी और मंत्री के तौर पर वर्णित करना छोड़ दिया है. हालांकि, मुखपत्र के संपादक के रूप में उनका नाम प्रिंटर की पंक्ति में बना हुआ है. बता दें कि कोलकोता उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार सीबीआई शिक्षक बहाली मामले में कथित घोटाले में जांच कर रही है. वहीं, प्रवर्तन निदेशाय मामले में धन से जुड़ी अनियमितताओं को देख रही है. घोटाला उस वक्त हुआ है, जब शिक्षा विभाग पार्थ के जिम्मे था. 

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