- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए बदलाव की बात कही है
- बीजेपी की सफलता का मुख्य कारण जमीनी स्तर पर उसकी मजबूत पहुंच और संगठनात्मक कामकाज माना जाता है
- बीजेपी ने बूथ स्तर तक पन्ना प्रमुख सहित कार्यकर्ताओं की नियुक्ति कर संगठन की मजबूती सुनिश्चित की है
कांग्रेस पार्टी में संगठन को मजबूत करने को लेकर बीते दिनों वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने जो बयान दिया उसे लेकर अब सियासत और तेज होती दिख रही है. उनके बयान को लेकर पार्टी के नेताओं से लेकर बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता भी अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. अभी तक जितनी भी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं उससे ये तो साफ है कि दबे जुबान ही सही लेकिन कांग्रेस में एक संगठन के तौर पर कई अहम बदलाव की बात उठने लगी है. अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस इन तमाम सुझाव को पॉजिटिव तरीके से स्वीकार करते हुए संगठन को मजबूत करने के लिए बड़े बदलाव के लिए हिम्मत दिखाएगी.
दिग्विजय सिंह के बयान के बाद अब कई नेता बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की, एक संगठन के तौर पर भी तुलना भी करने लगे हैं. कई जानकार भी मानते हैं कि बीजेपी अगर इतनी बड़ी और बूथ लेवल पर इतनी मजबूत पार्टी बन पाई है तो इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण संगठन के अंदर जमीनी स्तर पर किया गया काम है. जोकि कांग्रेस उस तरह से नहीं कर पाई है. आज हम आपको बताते हैं कि इन दोनों पार्टी में वो कौन सी बातें हैं जो दोनों को एक दूसरे से अलग बनाती हैं.
BJP का संगठन जमीनी स्तर पर सबसे ज्यादा प्रभावी
किसी भी पार्टी के मजबूत बनने और सफल होने के लिए जरूरी होता है कि वह जमीनी स्तर पर अपनी कितनी पहुंच रखती है. और इस मामले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) फिलहाल सबसे अव्वल है. जमीनी स्तर पर मजबूत पहुंच की वजह से ही आज देश के 20 से ज्यादा राज्यों में उसकी सरकार है. जिले से लेकर बूथ स्तर तक उसके कुशल कार्यकर्ता उसे और मजबूती देते हैं. यही नहीं प्रदेश संगठन पर उसकी मजबूत पकड़ भी है. पार्टी ने इसके लिए हर स्तर पर बगैर समय गंवाए काम भी किया है. आज हर प्रदेश में उसकी कार्यकारिणी है. बीजेपी के पास अपनी सटीक योजना के साथ-साथ आरएसएस का पूरा बैकअप भी है. बीजेपी ने बूथों में पन्ना प्रमुख तक की नियुक्ति की है.
चिंता में कांग्रेस के नेता
बीजेपी से उलट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संगठन को लेकर चिंतित हैं. उनकी मांग है कि कांग्रेस को संगठन में जमीनी स्तर पर काफी काम करना होगा. दिग्विजय सिंह जैसे कई वरिष्ठ नेता तो मुखर होकर कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने की बात भी कह चुके हैं. कांग्रेस के कमजोर होते संगठन की वजह से ही आज वो महज तीनों राज्यों तक सिमट कर रह गई है. अगर बात संगठन की करें तो कई राज्यों में कई पद खाली हैं. यूपी ऐसे बड़े राज्य में जो किसी भी पार्टी के लिए बेहद अहम माने जाते हैं वहां आज भी जिला अध्यक्षों के पद खाली हैं.
हरियाणा में तो इन नियुक्तियों के लिए 13 साल तक का लंबा इंतजार तक करना पड़ा है. इसी तरह मध्य प्रदेश में भी प्रदेश ईकाई खाली है. संगठनात्म स्तर पर इन कमजोर कड़ियों को मजबूत किए बगैर कांग्रेस के लिए अपनी साख को मजबूत कर पाना उतना असान नहीं होने वाला है. राहुल गांधी बीते लंबे समय से संगठन स्तर पर चीजों को दुरुस्त करने के लिए काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें ये समझना होगा कि अभी कुछ किया जाना बाकी है. संगठनात्म स्तर पर इन कमियों की वजह से राहुल गांधी पर भी सवाल उठने लगे हैं.
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