मिडिल ईस्ट के आसमान में अचानक गायब होता विमानों का GPS सिग्नल, DGCA ने एयरलाइंस को किया अलर्ट

सितंबर के आखिर में ईरान के पास कई कॉमर्शियल फ्लाइट्स अपने नेविगेशन सिस्टम के जाम हो जाने के बाद बंद हो गईं. इनमें से एक फ्लाइट स्पूफिंग का शिकार हुई और लगभग बिना परमिशन ईरानी एयरस्पेस में उड़ गई.

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DGCA की चिंता का प्राथमिक क्षेत्र उत्तरी इराक और अज़रबैजान में एक व्यस्त एयरस्पेस है.
नई दिल्ली:

बीते कुछ दिनों में मिडिल ईस्ट (Middle East) के हवाई क्षेत्र में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के जाम (jamming)होने और स्पूफिंग (Spoofing) के कई मामले सामने आए. इन रिपोर्टों से चिंतित होकर नागरिक उड्डयन नियामक (DGCA) ने सभी भारतीय एयरलाइंस के लिए एक सर्कुलर जारी किया है. DGCA के सर्कुलर का मकसद एयरलाइंस को खतरे की प्रकृति और इस पर प्रतिक्रिया देने के बारे में अलर्ट करना है. 

DGCA के सर्कुलर में कहा गया है, "नए खतरों और GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) के जाम होने और स्पूफिंग की रिपोर्ट की वजह से एविएशन इंडस्ट्री अनिश्चितताओं से जूझ रही है."

DGCA के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि मिडिल ईस्ट एयरस्पेस में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के दखल की बढ़ती रिपोर्टों के मद्देनजर जारी किया गया सर्कुलर 4 अक्टूबर को एक इंटर्नल कमेटी बनाने के बाद जारी किया गया है. इस सर्कुलर में सुरक्षा से जुड़े खतरे को कम करने पर जोर दिया गया है. खासकर उड़ान के दौरान ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम को जैमिंग से बचाने और स्पूफिंग खतरों से निपटने की कवायद की गई है.

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सितंबर के आखिर में ईरान के पास कई कॉमर्शियल फ्लाइट्स अपने नेविगेशन सिस्टम के जाम हो जाने के बाद बंद हो गईं. इनमें से एक फ्लाइट स्पूफिंग का शिकार हुई और लगभग बिना परमिशन ईरानी एयरस्पेस में उड़ गई.

ऑप्सग्रुप के मुताबिक, पेशेवर पायलटों, फ्लाइट डिस्पैचर्स, शेड्यूलर्स और कंट्रोलर के एक ग्रुप ने DGCA के सामने इस मुद्दे को उठाया है.

कैसे काम करती है स्पूफिंग?
मिडिल ईस्ट के कुछ हिस्सों में उड़ान भरने वाले एयरक्राफ्ट को शुरू में फेक जीपीएस सिग्नल मिलता है. इस सिग्नल का मकसद एयरक्राफ्ट में इन-बिल्ड सिस्टम को गलत मैसेज देना है. सिग्नल अक्सर इतना मजबूत होता है कि एयरक्राफ्ट का सिस्टम इसे सही समझने लगता है. इसका नतीजा यह होता है कि कुछ ही मिनटों में इनर्शियल रेफरेंस सिस्टम (IRS) अस्थिर हो जाती है. कई मामलों में एयरक्राफ्ट अपनी सभी नेविगेशन क्षमता खो देता है.

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कौन से क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं हुईं?
DGCA की चिंता का प्राथमिक क्षेत्र उत्तरी इराक और अज़रबैजान में एक व्यस्त एयरस्पेस है. एरबिल के पास ऐसी कई घटनाएं हुई हैं. इस साल सितंबर तक 12 अलग-अलग घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से नवीनतम घटना 20 नवंबर को तुर्की के पास अंकारा में दर्ज की गई थी.

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कौन हैं इसके जिम्मेदार?
हालांकि, अब तक किसी भी दोषी की पहचान नहीं की गई है. माना जा रहा है कि जहां क्षेत्रीय तनाव है, वहां मिलिट्री इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम की तैनाती के कारण जैमिंग और स्पूफिंग हो रही है.

DGCA के सर्कुलर में क्या है?
DGCA के एक अधिकारी ने कहा, “सर्कुलर इस मामले पर सर्वोत्तम प्रथाओं, नवीनतम विकास और आईसीएओ मार्गदर्शन पर विचार करते हुए उभरते खतरे से निपटने के लिए कमेटी की सिफारिशों पर आधारित है. यह सर्कुलर सभी एयरक्राफ्ट ऑपरेटरों, पायलटों, एयर नेविगेशन सेवा प्रदाता (ANSP) कंपनी के साथ एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को किसी भी चुनौती से निपटने के लिए सतर्क रहने को कहा है. इसमें इमरजेंसी का आकलन करके उस खतरे को न्यूनतम स्तर तक लाने की सलाह दी गई है."

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अधिकारी ने कहा, “यह ANSP के लिए एक मैकानिज्म भी देता है, ताकि समस्या के निपटारे के साथ-साथ प्रतिक्रियाशील खतरे की निगरानी, डेटा के साथ एक डेंजर सर्विलांस और एनालिसिस नेटवर्क स्थापित किया जा सके.”

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