2017 : वित्त विधेयक में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की गयी.
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और कहा कि यह संविधान में प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है. राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता से जुड़े मामले में घटनाक्रम इस प्रकार हैं
- 2017 : वित्त विधेयक में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की गयी.
- 14 सितंबर 2017 : मुख्य याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स' ने इस योजना को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की.
- तीन अक्टूबर 2017 : उच्चतम न्यायालय ने एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र तथा निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया.
- दो जनवरी 2018 : केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित किया.
- सात नवंबर 2022 : चुनावी बॉन्ड योजना में एक वर्ष में बिक्री के दिनों को 70 से बढ़ाकर 85 करने के लिए संशोधन किया गया.
- 16 अक्टूबर 2023 : भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने इस योजना के खिलाफ याचिकाओं को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा.
- 31 अक्टूबर, 2023 : सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की.
- 2 नवंबर 2023 : उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा.
- 15 फरवरी 2023 : उच्चतम न्यायालय ने इस योजना को रद्द करते हुए कहा कि यह संविधान में प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है.
Advertisement
Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Advertisement
Featured Video Of The Day
BPSC Protest: BPSC छात्रों के समर्थन में Pappu Yadav के समर्थकों का Rail Roko, किया चक्काजाम | Bihar