Pahalgam Terrorist Attack: पहलगाम हमले में आतंकियों ने जिस तरह की बर्बरता की, उसे लेकर पूरे देश में गम और गुस्से का माहौल है. आतंकियों ने यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से घुमने आए लोगों को उनकी पत्नी, बच्चों के सामने गोलियों से भून दिया. आतंकियों ने लोगों से धर्म पूछा, कलमा पढ़ने को कहा... जो ऐसा नहीं कर सके उन्हें उन्हीं के परिजनों के सामने गोली मार दी. इस घटना के बाद भारत-पाकिस्तान में डिप्लोमेटिक वॉर छिड़ चुका है.
आतंकी आखिर कहां गए, किसी को खबर नहीं
दूसरी ओर NIA, BSF, जम्मू कश्मीर पुलिस सहित देश के अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस वारदात को अंजाम देने वाले दहशतगर्तों की तलाश में जुटी हैं. लेकिन अभी तक सुरक्षा बल किसी आतंकी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी कहां चले गए, इसकी किसी को कोई खबर नहीं है.
आखिर आतंकियों ने बैसरन को ही क्यों चुना?
पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा एक सवाल लोगों की जेहन में है कि आखिर आतंकियों ने इस हमले के लिए बैसरन को ही क्यों चुना? इस हमले के बाद ग्राउंड जीरो पर पहुंची NDTV टीम को कई ऐसी चीजें मिली, जिससे यह साफ हुआ आखिरी आतंकियों ने इस हमले के लिए बैसरन को ही क्यों चुना?
बैसरन घाटी तक पहुंचाना बेहद टफ
ग्राउंड जीरो पर पहुंची NDTV की टीम ने यह साफ तौर पर महसूस किया कि बैसरन पहुंचना कितना टफ है. 'मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से मशहूर बैसरन घाटी पहलगाम शहर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है. यहां पहुंचना काफी मुश्किल है. क्योंकि यहां नदियों, घने जंगलों और कीचड़ भरे इलाकों से गुजरने वाले सर्पीले ट्रेक से पहुंचा जाता है.
पहलगाम-बैसरन मार्ग पर कोई सुरक्षा तैनाती नहीं
पहलगाम से बैसरन तक जाने वाले रास्ते और बैसरन घाटी में सुरक्षा बलों की कोई तैनाती नहीं थी. इस हमले की रेकी कर रहे आतंकियों को इस बात की जानकारी पहले से रही होगी. ऐसे में यहां सैलानियों को निशाना बनाना आसान था. सूत्रों की माने तो स्थानीय लोगों की मिलीभगत से आंतकियों ने इस जगह को हमले के लिए चुना.
बैसरन में सुरक्षा बलों की तैनाती क्यों नहीं?
बैसरन के रास्ते और घाटी में सुरक्षा बलों की तैनाती क्यों नहीं थी, इस बात की जानकारी सरकार ने सर्वदलीय बैठक में दी. सरकार की ओर से बताया गया कि ये रूट अमरनाथ यात्रा के दौरान जून में खोला जाता है. अमरनाथ यात्री इसी जगह आराम करते हैं.
इस बार लोकल टूर ऑपरेटर्स ने सरकार को जानकारी दिए बिना ही बुकिंग शुरू कर दी. टूर ऑपरेटर्स ने 20 अप्रैल से टूरिस्ट को वहां ले जाना शुरू कर दिया. स्थानीय प्रशासन को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई इसलिए सुरक्षाबलों की तैनाती नहीं हुई.
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