दिल्ली (Delhi) के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीएम अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) को लंबित पड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लेकर पत्र लिखा है. पत्र में सेंट्रल विस्टा (central vista) के काम में हो रही देरी का हवाला दिया गया है. पत्र में कहा गया है कि पेड़ हटाने की अनुमति लंबित रहने के कारण सेंट्रल विस्टा, मेट्रो के चौथे चरण के काम, क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस), द्वारका एक्सप्रेस वे जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में विलंब हो रहा है.
उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने बताया कि नियमों के अनुसार, दिल्ली सरकार के वन विभाग को 60 दिनों में पेड़ काटने/स्थानांतरित करने से संबंधित आवेदनों पर निर्णय लेना होता है, लेकिन कई मामलों में लंबित मामलों की संख्या एक वर्ष से अधिक हो गई है.सक्सेना ने केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा कि पेड़ों को काटने या स्थानांतरित करने के अभाव में कई बड़ी परियोजनाएं काफी समय से अटकी हुई हैं और दिल्ली वृक्ष संरक्षण अनुमति अधिनियम 1994 के तहत पेड़ों को काटने या स्थानांतरित करने की अनुमति दिल्ली सरकार के तहत आने वाला वन और वन्यजीव विभाग देगा.
उन्होंने वन विभाग की ओर से अनुमति लंबित होने के कारण परियोजनाओं में देरी का हवाला दिया. अधिकारियों के मुताबिक, इन परियोजनाओं में हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर ईएमयू, संट्रेल विस्टा के एक्जीक्यूटिव एन्क्लेव का निर्माण, सीआईएसएफ के लिए आवासीय क्वार्टर के निर्माण समेत अन्य परियोजनाएं शामिल हैं.
पत्र में क्या लिखा गया है?
पत्र में कहा गया है, “यह मेरे संज्ञान में लाया गया है कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति मांगने वाले आवेदन बड़ी संख्या वन विभाग के पास 60 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं.” चिट्ठी में कहा गया है, “कुछ मामलों में आवेदन एक वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं. निश्चित रूप से ऐसे सभी मामलों में विभाग द्वारा अनुमति को अनिश्चित काल तक रोके रखने का कोई कारण नहीं बताया गया है और यह कानून के तहत आवेदन का निपटान करने के लिए तय की गई समयसीमा का उल्लंघन है.”
अधिकारियों के मुताबिक, उपराज्यपाल ने कहा है कि पेड़ काटने/प्रत्यारोपण की अनुमति में देरी के लिए जवाबदेही तय करने की जरूरत है, क्योंकि विलंब की वजह से परियोजना की लागत और वक्त दोनों में इजाफा होता है. सक्सेना ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ अपनी बैठकों के दौरान कई बार इस मुद्दे को उठाया था, फिर भी मामले लंबित बने हुए हैं. उन्होंने पत्र में कहा, “मैं एक बार फिर व्यापक जनहित में आपसे इन लंबित आवेदनों पर गौर करने और वैधानिक प्रावधानों के अनुसार उनका निस्तारण सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हूं.”
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