राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 50 से अधिक लाइसेंसधारी व्यापारियों ने शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दिवाली से पहले राजधानी में हरित पटाखों को बेचने की अनुमति देने का अनुरोध किया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसने पटाखों की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है. सभी प्रकार के पटाखों के भंडारण और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध करते हुए, दिल्ली सरकार ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के फैसले के मद्देनजर पटाखों की बिक्री नहीं की जा सकती है और यहां तक कि पटाखों के स्टॉक को भी शहर से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है. दिल्ली सरकार ने कहा कि अधिकरण ने हरित पटाखों के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है.
न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने पक्षकारों को आगे निर्देश लेने के लिए समय दिया और मामले को अगली सुनवाई के लिए एक नवंबर को सूचीबद्ध किया. दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील नौशाद अहमद खान ने कहा कि कोविड-19 से मुकाबले के लिए लगाये गये प्रतिबंध अब तक नहीं हटाए गए हैं, और यह देखते हुए कि राज्य के अधिकारियों द्वारा 28 सितंबर को पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था, याचिकाकर्ताओं को यह कदम पहले उठाना चाहिए था. अधिवक्ता रोहिणी मूसा के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्टीकरण के मद्देनजर उन्हें हरित पटाखों को बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए. इससे पहले 29 अक्टूबर को, शीर्ष अदालत ने कहा था कि केवल उन्हीं पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध है, जिनमें बेरियम लवण होते हैं. न्यायमूर्ति एम आर शाह एवं न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा था कि उत्सव की आड़ में दूसरों के स्वास्थ्य की कीमत पर प्रतिबंधित पटाखों को बेचने की अनुमति नहीं दी जा सकती.