कोटा, सीकर, दिल्ली, पटना और प्रयागराज... कहीं आपके शहर के कोचिंग सेंटर्स में तो नहीं है 'मौत' का बेसमेंट?

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे को लेकर NDTV ने दूसरे कोचिंग सेंटरों में पढ़ने वाले छात्रों से बात की. इस दौरान उन्होंने कोचिंग सेंटरों में ऐसी तमाम समस्याएं गिनाईं, जिनका निपटारा तुरंत होना चाहिए.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के राउ IAS कोचिंग सेंटर में हुए हादसे MCD एक्शन में है. शनिवार को ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित इस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में लाइब्रेरी थी. बारिश से यहां इतना पानी भर गया कि उसमें डूबने से UPSC की तैयारी कर रहे 3 छात्रों की मौत हो गई. इस मामले में एक जूनियर इंजीनियर को बर्खास्त और एक असिस्टेंट इंजीनियर को सस्पेंड कर दिया गया है. 7 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. अब तक 13 कोचिंग सेंटर के बेसमेंट को सील किया जा चुका है. यहां अवैध रूप से क्लासेस या लाइब्रेरी चल रही थीं. इस हादसे के बाद इन कोचिंग संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच NDTV ने अलग-अलग शहरों के कोचिंग हब वाले इलाकों का दौरा किया. इस दौरान हमने ये जानने की कोशिश की है कि कहीं आपके शहर में तो कोचिंग सेंटर के नाम पर 'मौत' के बेसमेंट तो नहीं हैं:-

पटना
पटना में ऐसे कई कोचिंग संस्थान हैं. नया टोला इलाके में बने कोचिंग संस्थानों में कम से कम 50 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. नया टोला इलाके में दो ही कारोबार हैं. पहला-कोचिंग सेंटर्स. दूसरा- कोचिंग सेंटर्स से जुड़े बिजनेस... जैसे किताबों की दुकानें, फोटोस्टेट की दुकानें, खाने-पीने की दुकानें और मोटे किराये पर तंग रूम वाले हॉस्टल. जहां तक सुरक्षा इंतजाम की बात है, तो हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. नया टोला इलाके की तुलना दिल्ली के राजेंद्र नगर से की जा सकती है. करीब 2 किलोमीटर के इलाके में आपको गली-गली और बेसमेंट में कोचिंग संस्थान मिल जाएंगे. यहां फीस तो अच्छी-खासी ली जाती है, लेकिन बेसिक सुविधाएं भी नहीं दी जाती. 

दिल्ली के राजेंद्र नगर जैसा हादसा, अगर पटना के नया टोला में हो जाए, तो बहुत हैरानी की बात नहीं होगी. क्योंकि इन कोचिंग सेंटर्स में सुरक्षा के इंतजामों की बात की जाए, तो उनका पालन नहीं किया जाता. बिल्डिंग की सेफ्टी की बात हो या फायर सेफ्टी का सवाल... यहां कुछ भी फॉलो नहीं किया जाता. कुछ कोचिंग सेंटरों में तो बाथरूम तक का इंतजाम नहीं है.

कोटा
राजस्थान के कोटा के कोचिंग सेंटरों की कमोबेश यही कहानी है. कोटा NEET-IIT प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए मशहूर हैं. देश के कोने-कोने से छात्र यहां पढ़ने आते हैं. यहां भी कोचिंग की फैक्ट्री लग चुकी है. कहीं बिल्डिंग की बेसमेंट में क्लासेस चल रही हैं, तो कहीं लाइब्रेरी बना दी गई है. बेसमेंट में कई कंप्यूटर लगा दिए गए हैं. किताबें रख दी गई हैं, छात्र यहां पढ़ाई करते हैं. इस तरह की बेसमेंट में लाइब्रेरी कई जगहों पर चल रही है.

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दिल्ली में हादसे के बाद जिला प्रशासन की टीमें लगातार कई इलाकों का दौरा कर रही हैं. सुरक्षा के इंतजामों का जायजा लिया जा रहा है. कई बेसमेंट की कोचिंगों में फायर सेफ्टी का इंतजाम तक नहीं है. इसके अलावा हॉस्टल के मेस में भी साफ-सफाई का इंतजाम नहीं रहता.

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सीकर
राजस्थान के कोटा की तरह सीकर में भी यही आलम है. यहां के कोचिंग सेंटर्स में भी छात्रों के लिए बेसिक सुविधाओं की कमी है. यहां भी कोचिंग की फैक्ट्री लग चुकी है. बेसमेंट में आपको तमाम कोचिंग सेंटर और लाइब्रेरियां मिल जाएंगी. बारिश की वजह से कोचिंग सेंटर वाली गलियों में जलजमाव भी होता है. ये गलियां इतनी संकरी हैं कि अगर कहीं आग लग जाए, तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियां घुस ही नहीं पाएंगी. अगर किसी छात्र की तबीयत खराब हो जाए, तो उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए यहां तक बड़ी गाड़ी या एंबुलेंस भी नहीं पहुंच सकती.

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दिल्ली
ओल्ड राजेंद्र नगर में स्थित राव स्टडी सर्किल की छात्र तनिषा ने 2 हफ्ते पहले ही यहां ज्वॉइन किया है. उन्होंने NDTV को बताया कि हादसे से तीन दिन पहले उन्होंने बेसमेंट की लाइब्रेरी में पानी भरने को लेकर शिकायत की थी. MCD ने लिखित में जवाब भी दिया था कि कार्रवाई की जाएगी. लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया.

वहीं, एक और छात्रा ने बताया कि इन कोचिंग सेंटर्स में इनरोल होने के लिए लाखों में फीस चार्ज की जाती हैं, लेकिन फीस के मुताबिक, सुविधाएं नहीं मिलतीं. कई बार तो बेसिक चीजों के लिए परेशान होना पड़ता है. जब कभी कोई टॉपिक समझमें नहीं आता, तो दोबारा पूछने पर इग्नोर कर दिया जाता है.

दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में एक कोचिंग के छात्र ने बताया, "दिल्ली के कोचिंग सेंटरों में छोटे-छोटे शहरों से बच्चे पढ़ने आते हैं. इनमें से ज्यादातर बच्चे ऐसे होते हैं, जो पहली बार अपने परिवार से अलग रह रहे होते हैं. कोचिंग सेंटरों के आसपास रहने के लिए रूम और हॉस्टल तो हैं. यहां मोटा किराया लिया जाता है, लेकिन कमरे रहने के लिहाज से बहुत छोटे होते हैं. एक छोटे से कमरे में 4 बेड डालकर एक साथ 4 लोगों को रहने के लिए दे दिया जाता है. जिसका बाथरूम भी कॉमन है. खाने-पीने का भी हिसाब सही नहीं होता." 

इलाहाबाद
दिल्ली से पहले इलाहाबाद (अब प्रयागराज) सरकारी परीक्षाओं की तैयारी का हब हुआ करता था. यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों की अच्छी-खासी तादाद है. ऐसे की कुछ छात्रों से NDTV ने बात की. दिल्ली के राजेंद्र नगर की तरह यहां की भी ऐसी ही कहानी है. छोटे-छोटे कमरों में कोचिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं. कोचिंग सेंटरों में क्षमता से ज्यादा छात्र भर लिए गए हैं. यहां सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं हैं. कई दफा छात्रों को बुनियादी सुविधाओं के लिए भटकना पड़ता है.


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दिल्ली बेसमेंट हादसे में गृह मंत्रालय ने बनाई जांच कमेटी
दिल्ली के बेसमेंट हादसे की जांच के लिए गृह मंत्रालय ने 5 सदस्यीय कमेटी बनाई है. कमेटी में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, प्रमुख सचिव (गृह), दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी, अग्निशमन सलाहकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव संयोजक हैं. मंत्रालय ने कमेटी की 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है. ऐसे हादसों से बचने के उपाय और नीति में बदलाव की सिफारिश भी होगी.