- दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 'गंभीर' श्रेणी में 400 से ऊपर दर्ज किया गया
- प्रदूषण का विरोध करते हुए स्वच्छ हवा के लिए मंगलवार को लोगों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया
- सुप्रीम कोर्ट बुधवार को प्रदूषण मामले पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में उसने दीर्घकालिक उपायों पर जोर दिया था
दिल्ली और आसपास के इलाकों में सांसों पर संकट कायम है. दिल्ली-एनसीआर के अधिकतर शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार पहुंच चुका है जो ‘गंभीर' श्रेणी में आता है. सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की मांग करते हुए तीसरी बार मंगलवार को लोग सड़कों पर उतरे. #LetUsBreathe अभियान के तहत जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया गया. इस बीच सबकी निगाहें प्रदूषण की गंभीर समस्या को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर लगी हैं.
प्रदूषण के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया गया.
जंतर मंतर पर मंगलवार को हुए प्रदर्शन में जेएनयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों समेत सैकड़ों दिल्लीवाले शामिल हुए और आबोहवा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की. दिवाली के बाद से दिल्ली में एयर क्वालिटी "बहुत खराब" श्रेणी में बनी हुई थी, जो अब बढ़कर ‘गंभीर' श्रेणी में पहुंच गई है.
दिल्ली के आनंद विहार, बवाना, चांदनी चौक और अलीपुर जैसे इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 से 426 के बीच बना हुआ है. ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 430 के रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज किया गया, जिससे यह एनसीआर के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. गाजियाबाद में कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर एक्यूआई 404 से 438 के बीच रिकॉर्ड किया गया, जो इस सीजन का सबसे खराब स्तर है. नोएडा के सेक्टर–125, सेक्टर–1 और सेक्टर–116 जैसे क्षेत्रों में एक्यूआई 324 से 402 के बीच रहा.
प्रदूषण के मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दीर्घकालिक उपाय की वकालत की थी और कहा था कि चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रेप) के प्रतिबंधों को साल भर लागू नहीं किया जा सकता. अदालत ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे अपने राज्यों में पराली जलाने से रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशों के तहत कार्रवाई करें.
चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रदूषण रोकने के शॉर्ट टर्म उपायों, AQI के आंकड़ों में हेरफेर की तीखी आलोचना की थी और संबंधित सरकारों से दीर्घकालीन उपाय पेश करने को कहा था. कोर्ट का कहना था कि अगर सीएक्यूएम द्वारा पंजाब और हरियाणा को दिए गए सुझावों पर अमल किया जाता तो पराली जलाने की समस्या से निपटा जा सकता है.
अदालत ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और दिल्ली सरकार को प्रदूषण रोकने की विस्तृत योजना दाखिल करने का निर्देश दिया. हालांकि कोर्ट ने टिप्पणी की कि वह निर्माण पर सालभर प्रतिबंध लगाने जैसे बेहद कठोर कदम उठाने का इच्छुक नहीं है. ऐसे निर्देशों से लोगों की रोजी-रोटी पर गंभीर असर पड़ेगा. आबादी का एक बड़ा हिस्सा इन गतिविधियों पर निर्भर है. हम केवल एक पक्ष को नहीं देख सकते.














