MCD Elections: दिल्ली में नगर निगम (MCD) के महापौर (Mayor) और उप महापौर (Deputy Mayor) का चुनाव आज होगा. राष्ट्रीय राजधानी में नगर निगम की सत्ता उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली की सत्ता. एमसीडी के अहम चुनाव में मुकाबला आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का है. दोनों दलों ने इस चुनाव के लिए अपनी-अपनी रणनीतियां बना ली हैं. ‘आप' और बीजेपी महापौर पद पर कब्जा जमाने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं. चुनाव गुरुवार को दोपहर 2 बजे होगा. मेयर के चुनाव के लिए बीजेपी की पार्षद और पूर्वी दिल्ली की पूर्व महापौर सत्या शर्मा को फिर से पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है. दिसंबर 2022 में हुए चुनाव में भी उन्हें ही यह जिम्मेदारी दी गई थी. वे इस बार भी चुनाव प्रक्रिया की देखरेख का जिम्मा संभालेंगी.
मेयर पद के चुनाव में देवनगर से आम आदमी पार्टी के पार्षद महेश खिंची का मुकाबला शकूरपुर से बीजेपी के पार्षद किशन लाल से है. उप महापौर के चुनाव में अमन विहार से ‘आप' के पार्षद रविंदर भारद्वाज के सामने सादतपुर से बीजेपी की नीता बिष्ट हैं. बीजेपी के पास बहुमत नहीं होने के बावजूद उसने अपने उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं.
मेयर और डिप्टी मेयर की चुनाव प्रक्रिया में बदलाव
सिविक सेंटर में दोपहर 2 बजे सदन की बैठक होगी. मेयर का चुनाव पहले होगा. वोट बैलेट पेपर के जरिए होंगे. वोट पार्षद और अन्य सदस्य मतदान करेंगे. इस बैठक की अध्यक्षता पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा करेंगी. इस बार चुनाव की प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन किया गया है. अब मतदान बूथ में पर्दा नहीं रहेगा. खुले बाक्स में वोट डाले जाएंगे. चुनाव में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नगर निगम ने यह कदम उठाया है. सदस्य बैलेट पेपर लेकर जाएंगे और मतदान करेंगे. पहले सदन में रखे बाक्स पर पर्दे होते थे. इसके अलावा यह इतने ऊंचे होते थे कि अंदर वोट डालने वाला व्यक्ति दिखाई नहीं देता था. बदली व्यस्था में वोट की गोपनीयता बनी रहेगी लेकिन वोट डालने वाले सदस्य की हर गतिविधि सभी पार्षद देख सकेंगे.
चुनाव के दौरान सदन में मोबाइल फोन ले जाने पर बंदिश लगाई गई है. सदन में जाने से पहले जांच होगी. सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवान तैनात रहेंगे. वोटिंग के दौरान विवाद या झगड़े को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
नगर निगम में सिर्फ अधिकारियों, पार्षदों और अन्य वोटरों को प्रवेश
मतदान के लिए केवल पार्षदों, अन्य वोटरों और चुनाव से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को ही नगर निगम मुख्यालय के ए ब्लॉक में प्रवेश की अनुमति होगी. पार्षदों के कार्यकर्ताओं या किसी अन्य को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. महापौर और उप महापौर चुनाव के लिए पार्षदों के अलावा निगम में नामांकित विधायक और राज्यसभा व लोकसभा के सांसद भी हिस्सा लेते हैं. एल्डरमैन को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है.
एमसीडी में पक्ष विपक्ष के आंकड़े
एमसीडी के पिछले चुनाव के बाद से 250 सदस्यों वाले सदन में आम आदमी पार्टी की सीटें घटकर 125 रह गईं. दूसरी तरफ बीजेपी की सीटें बढ़कर 113 हो गई हैं. इनके अलावा सदन में कांग्रेस के आठ पार्षद हैं और तीन निर्दलीय हैं. दिल्ली नगर निगम सदन में बार-बार व्यवधान और ‘आप' व बीजेपी के बीच रस्साकशी के चलते यह सात महीने की देरी से हो रहे हैं.
किस दल के पास कितना संख्या बल
बीजेपी के पास कुल 122 वोटर (114 पार्षद, एक विधायक और 7 लोकसभा सांसद)
आम आदमी पार्टी के पास 143 वोटर (127 पार्षद, 13 विधायक और तीन लोकसभा सांसद)
कांग्रेस के पास 8 वोटर
महेश कुमार (आम आदमी पार्टी) वार्ड नंबर -84, देव नगर के पार्षद
कृष्ण लाल (बीजेपी) वार्ड नंबर 62, शकूरपुर के पार्षद
रवींद्र भारद्वाज (आम आदमी पार्टी) वार्ड नंबर 41, अमन विहार के पार्षद
नीता बिष्ट (बीजेपी) वार्ड नंबर 247, सादतपुर की पार्षद
बहुमत नहीं होने के बावजूद बीजेपी मैदान में ठोक रही ताल
दिल्ली नगर निगम के सदन में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उसने अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी बनाए जाने से आम आदमी पार्टी चिंतित है. जनवरी 2022 में बीजेपी चुनाव जीतने के लिए जोर लगा रही थी. तब सत्या शर्मा पीठासीन अधिकारी थीं. उन्होंने एल्डरमैन को भी मतदान की इजाजत दे दी थी जबकि इस चुनाव में एल्डरमेन वोटर नहीं होता है. हालांकि एल्डरमैन का वोट मान्य नहीं हो पाया था. इसके बाद अप्रैल 2023 में मेयर के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया था. उस समय आम आदमी पार्टी के पार्षद मुकेश गोयल पीठासीन अधिकारी थे.
किस तरफ जाएंगे कांग्रेस के पार्षद?
इस चुनाव में कांग्रेस के आठ पार्षद किसके पक्ष में जाएंगे, यह एक बड़ा सवाल है. इससे पहले स्टैंडिंग कमेटी के एक मेंबर के चुनाव में कांग्रेस ने मतदान में भाग नहीं लिया था. सूत्रों के अनुसार गुरुवार को कांग्रेस के पार्षदों को दिल्ली प्रदेश के कांग्रेस आफिस में दोपहर 12 बजे बुलाया गया है. वहां कांग्रेस अपनी रणनीति तय करेगी. चुनाव दोपहर 2 बजे होगा.
हर साल अप्रैल में चुनाव का प्रावधान
एमसीडी में हर साल अप्रैल में महापौर के चुनाव की व्यवस्था है. नगर निगम परिषद का कार्यकाल पांच साल का होता है. इसमें विभिन्न वर्गों के पांच प्रतिनिधियों को एक-एक साल प्रतिनिधित्व का मौका दिया जाता है. पांच साल में से पहले साल महिला पार्षद के लिए महापौर पद आरक्षित होता है. दूसरा साल सामान्य वर्ग के लिए होता है. तीसरे साल मेयर पद अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित होता है. चौथे और पांचवे साल में यह पद सामान्य वर्ग के लिए होता है. इस बार तीसरे वर्ष का चुनाव हो रहा है और महापौर पद अनुसूचित जाति के पार्षद के के लिए आरक्षित है. नगर निगम में दल बदल कानून लागू नहीं है. आम आदमी पार्टी के निगम की सत्ता में आने के बाद एमसीडी में मेयर का यह तीसरा चुनाव है.
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